एक मई, 2020 को दोनों देशों के सैनिकों के बीच पूर्वी लद्दाख की पैंगोंग त्सो झील के उत्तरी किनारे पर झड़प हो गई थी। उस झड़प में दोनों तरफ के कई सैनिक घायल हो गए थे। यहीं से तनाव की स्थिति बढ़ गई थी। इसके बाद 15 जून की रात गलवां घाटी पर भारत और चीन के सैनिक आमने-सामने आ गए।
भारत और चीन के बीच पूर्वी लद्दाख के गलवां में हुई झड़प के आज तीन साल पूरे हो गए हैं, इसी दिन साल 2020 में दोनों देशों की सेनाओं के बीच झड़प हुई थी। इस बीच भारतीय सेना के अधिकारियों ने कहा कि चीन की सीमा से लगे क्षेत्र में रणनीतियों और तैयारियों पर चर्चा करने के लिए कई सैन्य शीर्ष अधिकारी गलवां झड़प की तीसरी वर्षगांठ पर गुरुवार को लेह में एकत्रित होंगे।बैठक उत्तरी कमान के वरिष्ठ सैन्य अधिकारियों, उत्तरी सेना के कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल उपेंद्र द्विवेदी, 14 कोर कमांडर के लेफ्टिनेंट जनरल राशिम बाली और अन्य शीर्ष अधिकारियों के बीच होगी।बताया गया है कि यह बैठक चीन की सीमा से लगे क्षेत्र में सेना की तैयारियों पर चर्चा के लिए होग
सीमा पर भारत ने मजबूत किया बुनियादी ढांचा
भारत और चीन के बीच साल 2020 से ही रिश्ते तनावपूर्ण हैं। तब पूर्वी लद्दाख के गलवां में हुई हिंसा ने दोनों देशों के रिश्तों में और भी ज्यादा तनाव पैदा कर दिया था। इसमें 20 भारतीय जवान शहीद हुए थे, जबकि चीन के 38 से ज्यादा जवान मारे गए थे। इसके बाद करीब एक साल तक दोनों देशों के बीच काफी तनाव की स्थिति थी। सीमा पर हजारों जवान तैनात कर दिए गए थे। अब इस हिंसा के तीन साल पूरे हो गए हैं। इन तीन सालों में भारत ने चीन से लगने वाली करीब 3,500 किलोमीटर लंबी वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर सैन्य बुनियादी ढांचे, निगरानी और युद्धक क्षमता में काफी इजाफा किया है। 15 जून 2020 को हुई उस हिंसा के तीन साल बाद हम आपको बता रहे हैं कि इन तीन सालों में दोनों देशों के बीच हालात कैसे हैं? चीन के साथ संबंधों पर भारत का रुख कैसा है और सीमा पर भारत ने कितनी ताकत बढ़ाई है।
पहले जानिए 15 जून 2020 को क्या हुआ था?
एक मई, 2020 को दोनों देशों के सैनिकों के बीच पूर्वी लद्दाख की पैंगोंग त्सो झील के उत्तरी किनारे पर झड़प हो गई थी। उस झड़प में दोनों तरफ के कई सैनिक घायल हो गए थे। यहीं से तनाव की स्थिति बढ़ गई थी। इसके बाद 15 जून की रात गलवां घाटी पर भारत और चीन के सैनिक आमने-सामने आ गए।