प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ड्रीम प्रोजेक्ट में शुमार मुंबई ट्रांस हार्बर लिंक (एमटीएचएल) परियोजना का ढांचा तैयार है। परियोजना के तहत समुद्र की लहरों को चीर कर देश का सबसे बड़ा पुल बनाया गया है। यह प्रोजेक्ट 600 इंजीनियरों की मेधा का कमाल है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मार्च 2018 में मुंबई के शिवड़ी से न्हावासेवा के बीच 22 किलोमीटर लंबे इस पुल के निर्माण की आधारशिला रखी थी। छह लेन के पुल के निर्माण में 17,843 करोड़ रुपये खर्च हुए हैं।
प्रोजेक्ट की नोडल एजेंसी मुंबई महानगर क्षेत्रीय विकास प्राधिकरण (एमएमआरडीए) के अधिकारी इसे इंजीनियरिंग का चमत्कार बताते हैं। एमएमआरडीए के वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि एमटीएचएल प्रोजेक्ट में 7500 श्रमिकों और करीब 600 इंजीनियर प्रतिदिन काम कर रहे हैं। वहीं, 5 देशों के इंजीनियरों ने भी इसमें अपना योगदान दिया है।
पुल बनाने में 1.70 लाख मीट्रिक टन स्टील बार का उपयोग किया गया है, जिससे 17 एफिल टॉवर बनाए जा सकते हैं। पृथ्वी के व्यास का चार गुना यानि 48 हजार किलोमीटर लंबे प्रीस्ट्रेसिंग तार और स्टैच्यू ऑफ लिबर्टी को बनाने में लगे कंक्रीट का छह गुना (9.75 लाख क्यूबिक मीटर) कंक्रीट लगा है।
चंद घंटे में तय होगी लंबी दूरी, दिसंबर से रफ्तार भरे सकेंगे वाहन
एमएमआरडीए के आयुक्त एसवीआर श्रीनिवास का कहना है कि एमटीएचएल भविष्य को ध्यान में रखकर बनाया गया है। इसका लाभ सिर्फ मुंबई और नवी मुंबई को नहीं मिलेगा, बल्कि यह मुंबई-पुणे एक्सप्रेस वे, मुंबई-गोवा नेशनल हाईवे से भी जुड़ेगा। पुल पर दिसंबर महीने से वाहन रफ्तार भर सकेंगे।