लोकसभा चुनाव के रण में उतरने से पहले नगर निकाय चुनाव एक तरह से सेमीफाइनल हुआ। इसमें बसपा मात खा गई। महापौर की तो एक भी सीट बसपा के हाथ नहीं आई जबकि पिछले चुनाव में बसपा के दो महापौर चुने गए थे। अब बसपा ने बूथों पर काम शुरू कर दिया है। जल्द बूथों पर बदलाव होंगे
नगर निकाय चुनाव में अपेक्षित सफलता न मिलने से परेशान बसपाई अब नए सिरे से पार्टी को मजबूत करने में जुटे हैं। बसपा सुप्रीमो मायावती ने कहा है कि पहले बूथों को सक्रिय करो। बूथ कमेटियों में बदलाव करो और पार्टी विरोध में काम करने वालों को बाहर का रास्ता दिखाओ। बसपाइयों ने इस पर तैयारियां शुरू कर दी हैं। खास तौर से युवाओं को जोड़ने के लिए मुहिम शुरू की जा रही है। लोकसभा चुनाव के रण में उतरने से पहले नगर निकाय चुनाव एक तरह से सेमीफाइनल हुआ। इसमें बसपा मात खा गई। महापौर की तो एक भी सीट बसपा के हाथ नहीं आई जबकि पिछले चुनाव में बसपा के दो महापौर चुने गए थे। 18 मई को बसपा सुप्रीमो मायावती ने लखनऊ में बैठक लेकर पार्टी सिपहसालारों को निर्देश दिए कि अब बदलाव करो। नई टीम खड़ी करो और खास तौर से उन लोगों को बाहर का रास्ता दिखाओ जिन्होंने पार्टी के विरोध में ही इस चुनाव में काम किया।
निर्दल को लड़ाया चुनाव
पार्टी में काफी निकायों से ऐसी सूचनाएं भी आई हैं जहां बसपाइयों ने अपने मनमाफिक टिकट न मिलने पर निर्दल प्रत्याशियों को चुनाव लड़ा दिया। नगर पालिका, नगर पंचायत और पार्षद में तो यह हुआ ही पर महापौर चुनाव में भी बसपा का काडर वोटर छिटका। इसी से मायावती नाराज हैं और कहा है कि ऐसे लोगों को चिह्नित करो और उन्हें बाहर का रास्ता दिखाकर नए लोगों को आगे बढ़ाओ। खास तौर पर उन युवाओं को आगे लाओ जो बेहतर काम कर सकते हैं।
लोकसभा चुनाव पर फोकस
निकाय चुनाव में बसपा ने दलित मुस्लिम समीकरण पर दांव लगाया था। महापौर पद पर ही 17 में से 11 मुस्लिम प्रत्याशी चुनावी रण में उतारे पर बसपा एक भी सीट नहीं जीत पाई। चार स्थानों पर दूसरे नंबर पर रही। बाकी जगह इससे पीछे खिसक गई। बसपा ने अब लोकसभा चुनाव की तैयारियों पर फोकस किया है। इसमें बसपा की नई रणनीति देखने को मिल सकती है।बसपाई आकलन कर रहे हैं कि किस सीट पर कौन सा वर्ग किस उम्मीदवार की तरफ ज्यादा गया। जैसे मुस्लिम विभिन्न सीटों पर बंटे। बसपा को कम मिले। सपा को मिले तो एआईएमआईएम को भी गए। इसी तरह से बसपा अपने काडर वोटर की भी समीक्षा कर रही है। बसपा के अलावा यह वोटर किस सीट पर कहां कहां गया, यह रिपोर्ट तैयार की जा रही है।
निकाय चुनाव में बसपा ने दलित मुस्लिम समीकरण पर दांव लगाया था। महापौर पद पर ही 17 में से 11 मुस्लिम प्रत्याशी चुनावी रण में उतारे पर बसपा एक भी सीट नहीं जीत पाई। चार स्थानों पर दूसरे नंबर पर रही। बाकी जगह इससे पीछे खिसक गई। बसपा ने अब लोकसभा चुनाव की तैयारियों पर फोकस किया है। इसमें बसपा की नई रणनीति देखने को मिल सकती है।बसपाई आकलन कर रहे हैं कि किस सीट पर कौन सा वर्ग किस उम्मीदवार की तरफ ज्यादा गया। जैसे मुस्लिम विभिन्न सीटों पर बंटे। बसपा को कम मिले। सपा को मिले तो एआईएमआईएम को भी गए। इसी तरह से बसपा अपने काडर वोटर की भी समीक्षा कर रही है। बसपा के अलावा यह वोटर किस सीट पर कहां कहां गया, यह रिपोर्ट तैयार की जा रही है।
मंडल से बूथ तक
बसपा सुप्रीमो मायावती ने इसके लिए पदाधिकारियों को निर्देश दिया है कि प्रत्येक मंडल से मशक्कत शुरू करो। मंडल स्तर पर बैठक करने के बाद सेक्टर प्रभारियों को लगाया गया है। सेक्टरों की बैठक में बूथ कमेटियां बनाने का निर्णय होगा। फिर बूथों पर भी बैठकें होंगी। नए सिरे से गठन करो। निकाय में जिन लोगों को जोड़ा गया था उनकी परफारमेंस देखने को कहा है। यदि किसी ने जरा सी भी गंभीरता दिखाई है तो उसे आगे बढ़ाने को कहा गया है।
बसपा सुप्रीमो मायावती ने इसके लिए पदाधिकारियों को निर्देश दिया है कि प्रत्येक मंडल से मशक्कत शुरू करो। मंडल स्तर पर बैठक करने के बाद सेक्टर प्रभारियों को लगाया गया है। सेक्टरों की बैठक में बूथ कमेटियां बनाने का निर्णय होगा। फिर बूथों पर भी बैठकें होंगी। नए सिरे से गठन करो। निकाय में जिन लोगों को जोड़ा गया था उनकी परफारमेंस देखने को कहा है। यदि किसी ने जरा सी भी गंभीरता दिखाई है तो उसे आगे बढ़ाने को कहा गया है।