प्रयागराज में महिला अधिकार संगठन की नगर अध्यक्ष शानू जौहर ने फांसी लगा ली। बताया जा रहा है कि बेटी को पढ़ाई के लिए डांटने पर पति से विवाद हो गया था। इसी से नाराज होकर उन्होंने सोमवार को साड़ी का फंदा बनाकर सुसाइड कर लिया। मरने से पहले सोशल मीडिया पर लिखा- “आखिर थक ही गए, हम सभी को खुश करते-करते और अपने आप को सही साबित करते।”
दोपहर 2 बजे बड़ी बेटी स्कूल से घर पहुंची तो मां का शव कमरे में लटकता देखा। बेटी ने फोन कर घटना की जानकारी पिता को दी। पड़ोसियों के साथ मिलकर परिजन शानू को अस्पताल ले गए। जहां इलाज के दौरान शानू की मौत हो गई। पुलिस ने शव को कब्जे में लेकर पोस्टमॉर्टम के लिए भेज दिया है।
जानकारी के मुताबिक, रविवार को मां-बेटी में विवाद हुआ। मां ने बेटी को थप्पड़ जड़ दिया। इस बात से नाराज होकर पति ने पत्नी की पिटाई कर दी। पति की पिटाई से परेशान होकर शानू ने खुदकुशी कर ली। मरने से पहले शानू ने सोशल मीडिया पर भावुक स्टेटस भी लगाया था।
बेटी की पिटाई करने के बाद पति-पत्नी में हुआ था विवाद
बैहराना की रहने वाली शानू जौहर की शादी 16 साल पहले कविश जौहर से हुई थी। कीडगंज थाना के जायसवाल हाता में दोनों किराए का मकान लेकर रहते थे। दोनों की दो बेटियां हैं। बड़ी बेटी चिंकी (15) हाईस्कूल की छात्रा है। छोटी बेटी पीहू (6) अभी यूकेजी में पढ़ती है। कविश जौहर एक प्राइवेट स्कूल में शिक्षक हैं।
पति कविश ने बताया, “शानू बच्चियों की पढ़ाई के लिए हमेशा से ही बोलती रहती थी। उसका सपना था कि बेटियां पढ़-लिखकर अच्छी नौकरियां पा जाएं। बड़ी बेटी की बोर्ड की परीक्षा चल रही है। रोज बेटी को पढ़ने के लिए बोलती थी। उसे लगता था कि चिंकी पढ़ाई नहीं कर रही है।
बोलती थी कि चिंकी का मन आज-कल पढ़ाई में नहीं, बल्कि गलत कामों में लग रहा है। मैं उसको बोलता था कि हमारी बेटी की संगति गलत नहीं है, फिर भी वह शक करती रहती थी। रविवार शाम की बात है। चिंकी मोबाइल पर किसी से बात कर रही थी। इस बात से शानू को गुस्सा आ गया। उसने चिंकी को डांटा, मना किया तो बेटी ने भी जवाब दे दिया। तभी गुस्सा होकर शानू ने चिंकी को थप्पड़ जड़ दिया।”
जिस दिन झगड़ा हुआ, उस दिन तनाव में थीं शानू जौहर
जिस समय घर पर मां-बेटी के बीच झगड़ा हो रहा था। उस समय पति कविश व छोटी बेटी भी वहीं पर थे। बेटी को पीटता देख पिता भड़क गए। आक्रोशित कविश ने भी गुस्से में पत्नी शानू की पिटाई कर दी। उसे खूब भला-बुरा कहा। इस बात से शानू तकलीफ में थीं। पारिवारिक कलर के चलते तनाव में आ गईं। उस दिन उन्होंने खाना भी नहीं खाया था।
बेटी ने दरवाजा खटखटाया तो कोई जवाब नहीं मिला
सोमवार को कविश ड्यूटी पर गए। इधर, छोटी बेटी पीहू भी स्कूल गई थी। बड़ी बेटी चिंकी बोर्ड की परीक्षा देने चली गई। इसी बीच शानू ने कमरे में जाकर साड़ी के फंदे से फांसी लगा ली। दोपहर 2 बजे के करीब पीहू स्कूल से आई। उसने दरवाजा खटखटाया, लेकिन मां ने कोई जवाब नहीं दिया।
6 घंटे इलाज के बाद शानू की मौत हो गई
चिंकी जब घर लौटी तो उसने कमरे की खिड़की से झांका तो मां का शव लटकता देख चीख पुकार निकल गई। फोन कर पिता को घटना के बारे में बताया। पिता कविश तत्काल घर पहुंचे और दरवाजा तोड़कर अस्पताल ले गए। यहां पर 6 घंटे इलाज चलने के बाद रात करीब 8 बजे शानू की मौत हो गई।
अस्पताल में भी रुपयों को लेकर हंगामा
शानू की मौत के बाद शव ले जाने को लेकर अस्पताल प्रशासन से परिजनों की बहस हो गई। घरवालों का कहना है कि भर्ती करते समय 25 हजार रुपए जमा कराया गया। इसके बाद फिर पैसे की डिमांड करने लगे। पांच हजार रुपए न देने पर शव देने से मना कर दिया।
घटना की जानकारी होने पर महिला अधिकार संगठन की राष्ट्रीय अध्यक्ष मंजू पाठक, थानाध्यक्ष राममूर्ति यादव मौके पर पहुंच गए। संगठन से जुड़े अन्य कार्यकर्ता भी पहुंच गए और हंगामा करने लगे। बाद में पुलिस ने किसी तरह से मामला शांत कराया। उसके बाद पुलिस ने शव को कब्जे में लेकर पोस्टमॉर्टम हाउस भेज दिया।
खुदकुशी करने से पहले शानू ने लगाया था स्टेटस
खुदकुशी करने से पहले शानू ने फेसबुक और व्हाट्सएप पर स्टेटस लगाया था। लिखा- अपने जीवन से थक चुकी हैं।” फेसबुक पोस्ट पर लिखा, “आखिर थक ही गए, हम सभी को खुश करते-करते और अपने आप को सही साबित करते।”
आज पोस्टमार्टम के बाद शव करीब साढ़े 3 बजे घर पहुंचा। पांच बजे के करीब शव का अंतिम संस्कार हुआ।
पत्नी को मुखाग्नि देने से कतरा रहा था पति
शानू जौहर की बेहद करीबी रही मंजू पाठक ने कहा कि कविश पत्नी से प्यार नहीं करता था। शानू के शव को कंधा देने की बात आई तो भी कतराने लगा। महिला संगठन की महिलाएं व समाज के अन्य पुरुष लोग आगे आएं, तब जाकर उसने अपनी पत्नी को कंधा दिया। इतनी ही नहीं, अन्त्येष्टि स्थल पर भी वह एंबुलेंस से नहीं, बल्कि अपनी गाड़ी से पहुंचा। लोगों के कई बार कहने पर शव को मुखाग्नि दी।
पारिवारिक कलह के चलते शानू परेशान रहती थीं
मंजू पाठक ने बताया कि शानू अपने पति व बच्चों से परेशान रहती थीं। घरेलू कलह से तनाव में थीं। पति नशेड़ी है। इस वजह से अपनी दोनों बेटियों के भविष्य को लेकर उन्हें चिंता रहती थी। पारिवारिक कलह के चलते ही शानू ने खुदकुशी कर ली है। वहीं, अभी बच्चे व पति कुछ भी बोलने को तैयार नहीं हैं।