अमेरिका, ब्रिटेन और इजराइल समेत दुनिया की तमाम बड़ी इंटेलिजेंस एजेंसीज बुधवार को आई एक खबर से परेशान हो उठीं। दरअसल, ब्रिटेन के एक अखबार ‘द सन’ की रिपोर्ट में खुलासा किया गया है कि दुनिया के सबसे बड़े और बिजी एयरपोर्ट्स में शुमार हीथ्रो से एक यूरेनियम का पैकेट बरामद किया गया है। यह पैकेज पाकिस्तान में तैयार किया गया था और कई देशों से होते हुए लंदन पहुंचा।
ब्रिटेन की खुफिया एजेंसी MI 6 और स्कॉटलैंड यार्ड पुलिस ने ऑफिशियली इस बारे में कुछ नहीं कहा है। पाकिस्तान पर इसके पहले एटमी हथियारों की तकनीक और पार्ट्स स्मगलिंग का आरोप लग चुका है।
तीन एजेंसियों के हवाले जांच
‘द सन’ की रिपोर्ट के मुताबिक- घटना 29 दिसंबर की है। तब एक फ्लाइट ओमान से लंदन के हीथ्रो एयरपोर्ट पर पहुंची। इस फ्लाइट से एक पैकेट मिला। इसमें यूरेनियम था। एयरपोर्ट पर मौजूद बॉर्डर सिक्योरिटी स्टाफ ने पैकेट को कब्जे में लिया और इसके बाद स्कॉटलैंड यार्ड और इंटेलिजेंस एजेंसियों को इस बारे में जानकारी दी।
स्कॉटलैंड यार्ड के मुताबिक- काउंटर टेरेरिज्म डिपार्टमेंट की एक स्पेशल टीम को इस मामले की जांच सौंपी गई है। बाकी जांच एजेंसियां इस टीम की मदद करेंगी। रूटीन जांच के दौरान हमें इस पैकेट के बारे में पता चला। जांच के दौरान इसमें यूरेनियम पाया गया।
रिपोर्ट के मुताबिक, यह पैकेट पाकिस्तान से ओमान भेजा गया था। वहां से इसे लंदन लाया गया। लंदन में यह पैकेट एक ईरानी बिजनेसमैन तक पहुंचाया जाना था। मामले की गंभीरता को देखते हुए जांच एजेंसियों ने इस बारे में कुछ भी बताने से इनकार कर दिया।
सवाल, जिनके जवाब नहीं मिले
- बॉर्डर फोर्स के कमांडर रिचर्ड स्मिथ ने कहा- मैं आम लोगों से सिर्फ इतना कहना चाहता हूं कि उन्हें डरने या परेशान होने की जरूरत नहीं है। पैकेट में यूरेनियम की क्वांटिटी कम थी। इससे रेडिएशन का खतरा नहीं था। हमारी जांच चल रही है। फिलहाल, कोई खतरा नहीं है। इससे ज्यादा अभी कुछ नहीं बताया जा सकता।
- वैसे, दो सवाल हर किसी की जुबान पर हैं। पहला- पाकिस्तान से यह पैकेट किसने भेजा और यह पहले ओमान क्यों पहुंचा। दूसरा- लंदन में ईरान का वो कौन कारोबारी है, जिसे यह पैकेट हैंडओवर किया जाना था।
- इसके अलावा जांच एजेंसियां यह भी बताने तैयार नहीं हैं कि क्या यह पैकेट किसी शख्स से बरामद किया गया है या किसी लगेज में रखा गया था। अगर लगेज में था तो पैसेंजर प्लेन में उस लगेज का मालिक कौन था। ब्रिटेन की होम मिनिस्ट्री ने इस बारे में कुछ भी कहने से इनकार कर दिया है।
तीन साल पहले अमेरिका ने पकड़ी थी चोरी
जनवरी 2020 में अमेरिकी जांच एजेंसियों ने पाकिस्तान के पांच नागरिकों को एटमी तकनीक और स्मगलिंग के आरोप में नामजद किया था। इनमें से सिर्फ एक पाकिस्तान में रहता था, जबकि चार दूसरे देशों में रहते थे। दो लोग कनाडा, एक हॉन्गकॉन्ग, एक ब्रिटेन और एक पाकिस्तान में रह रहा था। इन पांचों की गिरफ्तारी हुई या नहीं, इसकी जानकारी अब तक सामने नहीं आ सकी है।
अमेरिकी जांच एजेंसियों ने इन्वेस्टिगेशन के दौरान पाया कि एटमी तकनीक की तस्करी के लिए इन लोगों ने बिजनेस वर्ल्ड नाम से एक फर्जी कंपनी बनाई। इसके बाद बिना लाइसेंस हासिल किए ये गैरकानूनी तौर पर एटमी तकनीक और न्यूक्लियर प्लांट की तस्करी करने लगे।
चोरी का एटम बम
- पाकिस्तान एटमी ताकत रखने वाला अकेला मुस्लिम देश है, लेकिन उसने ये ताकत कैसे हासिल की? इस पर कई सवालिया निशान हैं। भोपाल में जन्मे और बाद में पाकिस्तान की नागरिकता हासिल करने वाले अब्दुल कादिर खान को पाकिस्तान के एटमी बम का जनक यानी फाउंडर माना जाता है।
- आरोप है कि कादिर ने इसकी तकनीक कनाडा के एक लैब में काम करते हुए चुराई। इसके बाद वो स्वीडन चले गए और फिर वहां से पाकिस्तान पहुंचे। कहा जाता है कि कादिर ने ईरान, लीबिया और उत्तर कोरिया जैसे देशों को यह तकनीक बेचकर लाखों डॉलर कमाए।
- जब दुनिया के सामने कादिर की सच्चाई उजागर हुई तो उन्हें पाकिस्तान में कैद कर लिया गया। जेल से छूटने के बाद अमेरिकी दबाव में कादिर को हमेशा के लिए हाउस अरेस्ट कर लिया गया। कुछ साल पहले उनकी मौत हो गई।
- 2015 में जब अमेरिका ने पाकिस्तान के एटमी हथियारों की सिक्योरिटी पर सवाल उठाए तो जांच शुरू हुई। इस जांच के बाद हथियारों से जुड़े पांच लोगों को बर्खास्त कर दिया गया। खास बात यह है कि ये सभी पाकिस्तानी फौज के आला अफसर थे।