वर्ष 1949 में एक फिल्म आई। नाम था ‘एक थी लड़की।’ फिल्म खूब पसंद की गई और साथ ही पसंद किया गया इसका गाना ‘लारा लप्पा लारा लप्पा लाई रखदा’। यह गाना एक्ट्रेस मीना शौरी पर फिल्माया गया था। वही, मीना शौरी जो पाकिस्तान से भारत आई तो थीं अपना घर बसाने की तलाश में, लेकिन किस्मत उन्हें बॉलीवुड गलियारों में खींचकर ले गई। जी हां, रिपोर्ट्स के मुताबिक मीना शौरी का जन्म ब्रिटिश इंडिया के रायविंड में हुआ था। इनका असली नाम खुर्शीद बेगम था। खुर्शीद की बड़ी बहन विवाह के बाद मुंबई आ गई थीं और उन्होंने ही खुर्शीद को अपने पास बुला लिया था, ताकि उनके लिए एक अच्छा रिश्ता देख सकें। लेकिन, खुर्शीद की तकदीर में कुछ और लिखा था। मुंबई आने के बाद न सिर्फ उनका नाम बदला, बल्कि पूरी जिंदगी ही बदल गई। आइए जानते हैं।
पिता के जुर्म से बचने को मुंबई चली आईं
रिपोर्ट्स के मुताबिक खुर्शीद बेगम का जन्म बेहद गरीब परिवार में हुआ था। ये चार भाई-बहनों में दूसरी सबसे बड़ी बहन थीं। जमींदार खानदान से इनका ताल्लुक रहा, लेकिन जब पिता की सारी संपत्ति छिन गई तो उनके पास कमाई का कोई जरिया नहीं था। आर्थिक तंगी में पिता बेटियों और पत्नी को खूब पीटा करते थे। पिता ने खुर्शीद की बड़ी बहन वजीर बेगम की शादी एक सेटल लड़के से कराई और वह शादी के बाद मुंबई आ गईं। वजीर ने ही खुर्शीद के लिए एक अच्छा रिश्ता तलाशने की मंशा से खुर्शीद और अपनी मां को भी मुंबई बुला लिया।
रिपोर्ट्स के मुताबिक खुर्शीद बेगम का जन्म बेहद गरीब परिवार में हुआ था। ये चार भाई-बहनों में दूसरी सबसे बड़ी बहन थीं। जमींदार खानदान से इनका ताल्लुक रहा, लेकिन जब पिता की सारी संपत्ति छिन गई तो उनके पास कमाई का कोई जरिया नहीं था। आर्थिक तंगी में पिता बेटियों और पत्नी को खूब पीटा करते थे। पिता ने खुर्शीद की बड़ी बहन वजीर बेगम की शादी एक सेटल लड़के से कराई और वह शादी के बाद मुंबई आ गईं। वजीर ने ही खुर्शीद के लिए एक अच्छा रिश्ता तलाशने की मंशा से खुर्शीद और अपनी मां को भी मुंबई बुला लिया।
इस तरह मिली ‘सिकंदर’
एक रोज खुर्शीद बेगम के बहन और जीजा उन्हें एक फिल्म के मुहूर्त में ले गए। यह मुहूर्त था सोहराब मोदी की फिल्म ‘सिकंदर’ का। खुर्शीद बेगम बेहद खूबसूरत थीं। उन्हें देखते ही सोहराब मोदी को वह इतनी पसंद आईं कि अपनी फिल्म की हीरोइन बना लिया और उन्हें ‘सिकंदर’में तक्षशिला नरेश की बहन आंबी की भूमिका दी। साथ ही खुर्शीद बेगम को नया नाम भी दिया। इसी के बाद उनका नाम मीना पड़ा। साथ ही एक अनुबंध भी साइन करवाया। यह 1941 की बात है।
एक रोज खुर्शीद बेगम के बहन और जीजा उन्हें एक फिल्म के मुहूर्त में ले गए। यह मुहूर्त था सोहराब मोदी की फिल्म ‘सिकंदर’ का। खुर्शीद बेगम बेहद खूबसूरत थीं। उन्हें देखते ही सोहराब मोदी को वह इतनी पसंद आईं कि अपनी फिल्म की हीरोइन बना लिया और उन्हें ‘सिकंदर’में तक्षशिला नरेश की बहन आंबी की भूमिका दी। साथ ही खुर्शीद बेगम को नया नाम भी दिया। इसी के बाद उनका नाम मीना पड़ा। साथ ही एक अनुबंध भी साइन करवाया। यह 1941 की बात है।
कॉन्ट्रैक्ट तोड़ने का आरोप लगा!
‘सिकंदर’ सफल हुई तो मीना को रूप के शौरी ने ‘शालीमार’ और महबूब खान ने ‘हुमायूं’ में काम करने का ऑफर दिया। इसके अलावा और भी कई फिल्मों के ऑफर उन्हें मिलने लगे। गरीबी से जूझने वाली खुर्शीद के परिवार के दिन बहुरने लगे। लेकन, इसी बीच अचानक मीना को एक नोटिस मिला, जो सोहराब मोदी ने भिजवाया था। इसमें लिखा था कि मीना ने उनके साथ तीन फिल्मों का कॉन्ट्रैक्ट साइन किया है। वह तब तक कोई दूसरी फिल्म साइन नहीं कर सकतीं। चूंकि मीना ने अनुबंध का उल्लंघन किया है लिहाजा हर्जाने के तौर पर तीन लाख रुपए चुकाएं। मीना हैरान रह गईं, क्योंकि उन्होंने तो एक फिल्म का अनुबंध साइन किया था, तीन फिल्मों का नहीं। उन्होंने मोदी पर आरोप लगाया कि उनके साथ धोखा हुआ है।
‘सिकंदर’ सफल हुई तो मीना को रूप के शौरी ने ‘शालीमार’ और महबूब खान ने ‘हुमायूं’ में काम करने का ऑफर दिया। इसके अलावा और भी कई फिल्मों के ऑफर उन्हें मिलने लगे। गरीबी से जूझने वाली खुर्शीद के परिवार के दिन बहुरने लगे। लेकन, इसी बीच अचानक मीना को एक नोटिस मिला, जो सोहराब मोदी ने भिजवाया था। इसमें लिखा था कि मीना ने उनके साथ तीन फिल्मों का कॉन्ट्रैक्ट साइन किया है। वह तब तक कोई दूसरी फिल्म साइन नहीं कर सकतीं। चूंकि मीना ने अनुबंध का उल्लंघन किया है लिहाजा हर्जाने के तौर पर तीन लाख रुपए चुकाएं। मीना हैरान रह गईं, क्योंकि उन्होंने तो एक फिल्म का अनुबंध साइन किया था, तीन फिल्मों का नहीं। उन्होंने मोदी पर आरोप लगाया कि उनके साथ धोखा हुआ है।
बनीं युवा दिलों की धड़कन
बाद में सोहराब मोदी और उनकी पत्नी से बातचीत करके मीना ने हर्जाने की रकम कम कराई और आखिर में यह 30 हजार रुपये तय हुई, जिसके बाद सोहराब मोदी ने इस समझौते के बाद मीना को कॉन्ट्रैक्ट से आजाद कर दिया। इस बीच मीना ने तीन निकाह कर डाले। पहले निर्माता, निर्देशक, अभिनेता जहूर राजा से। फिर अभिनेता अल नासिर से और आखिर में रूप के शौरी से। उधर भारत-पाक विभाजन के कारण लाहौर में रूप के शौरी का धंधा ठप पड़ गया तो वह अपनी अधूरी पंजाबी फिल्म ‘चमन’ लेकर मुंबई आ गए। यहां मीना के पैसों से ‘चमन’ पूरी की और एक नई फिल्म ‘एक थी लड़की’ (1949) की घोषणा कर दी। इस फिल्म में मोतीलाल और मीना की जोड़ी थी। संगीतकार विनोद का बनाया गाना ‘लारा लप्पा लारा लप्पा…’ खूब हिट हुआ। देखते-देखते मीना युवा दिलों की धड़कन बन गईं।
बाद में सोहराब मोदी और उनकी पत्नी से बातचीत करके मीना ने हर्जाने की रकम कम कराई और आखिर में यह 30 हजार रुपये तय हुई, जिसके बाद सोहराब मोदी ने इस समझौते के बाद मीना को कॉन्ट्रैक्ट से आजाद कर दिया। इस बीच मीना ने तीन निकाह कर डाले। पहले निर्माता, निर्देशक, अभिनेता जहूर राजा से। फिर अभिनेता अल नासिर से और आखिर में रूप के शौरी से। उधर भारत-पाक विभाजन के कारण लाहौर में रूप के शौरी का धंधा ठप पड़ गया तो वह अपनी अधूरी पंजाबी फिल्म ‘चमन’ लेकर मुंबई आ गए। यहां मीना के पैसों से ‘चमन’ पूरी की और एक नई फिल्म ‘एक थी लड़की’ (1949) की घोषणा कर दी। इस फिल्म में मोतीलाल और मीना की जोड़ी थी। संगीतकार विनोद का बनाया गाना ‘लारा लप्पा लारा लप्पा…’ खूब हिट हुआ। देखते-देखते मीना युवा दिलों की धड़कन बन गईं।
यूं आर्थिक संकट में गुजरे आखिरी पल
लाहौर में मीना की लोकप्रियता को देखते हुए वर्ष 1956 में एक पाकिस्तानी निर्माता जेसी आनंद ने शौरी और मीना को एक फिल्म ‘मिस 56’ बनाने का ऑफर दिया। फिल्म पूरी करने के बाद शौरी तो भारत लौट आए, मगर मीना नहीं लौटीं। रिपोर्ट्स के मुताबिक उन्हें वहां लक्स का विज्ञापन मिल गया था। पाकिस्तान की पहली लक्स गर्ल बनने वाली लारा लप्पा गर्ल पाकिस्तान में ही रह गईं। बताते हैं कि वहां उन्होंने रजा मीर और असद बुखारी से निकाह किया। इस तरह मीना के पांच पति हो गए। पाकिस्तान में रहते हुए मीना ने जिन 29 फिल्मों में काम किया, उनमें से 11 में वह हीरोइन थीं। लेकिन, बाद में मीना शौरी के दिन फिर बदल गए और वह पाई-पाई को मोहताज हो गईं। रिपोर्ट्स के मुताबिक 1974-75 से डेढ़ दशक तक आर्थिक संकटों का सामना करने के बाद 9 फरवरी 1989 को मीना ने पाकिस्तान में अंतिम सांस ली। आखिरी वक्त में पांच में एक भी पति उनके पास नहीं था। रिपोर्ट्स के मुताबिक चंदा इकट्ठा करके मीना शौरी का अंतिम संस्कार किया गया था।
लाहौर में मीना की लोकप्रियता को देखते हुए वर्ष 1956 में एक पाकिस्तानी निर्माता जेसी आनंद ने शौरी और मीना को एक फिल्म ‘मिस 56’ बनाने का ऑफर दिया। फिल्म पूरी करने के बाद शौरी तो भारत लौट आए, मगर मीना नहीं लौटीं। रिपोर्ट्स के मुताबिक उन्हें वहां लक्स का विज्ञापन मिल गया था। पाकिस्तान की पहली लक्स गर्ल बनने वाली लारा लप्पा गर्ल पाकिस्तान में ही रह गईं। बताते हैं कि वहां उन्होंने रजा मीर और असद बुखारी से निकाह किया। इस तरह मीना के पांच पति हो गए। पाकिस्तान में रहते हुए मीना ने जिन 29 फिल्मों में काम किया, उनमें से 11 में वह हीरोइन थीं। लेकिन, बाद में मीना शौरी के दिन फिर बदल गए और वह पाई-पाई को मोहताज हो गईं। रिपोर्ट्स के मुताबिक 1974-75 से डेढ़ दशक तक आर्थिक संकटों का सामना करने के बाद 9 फरवरी 1989 को मीना ने पाकिस्तान में अंतिम सांस ली। आखिरी वक्त में पांच में एक भी पति उनके पास नहीं था। रिपोर्ट्स के मुताबिक चंदा इकट्ठा करके मीना शौरी का अंतिम संस्कार किया गया था।