हाथरस मामले में आधी रात को पीड़िता के अंतिम संस्कार को लेकर हुए बवाल को देखते हुए सरकार ने ऐसी घटनाओं में मृतकों के अंतिम संस्कार के लिए ‘स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसीजर’ (एसओपी) जारी कर दी है। इसमें तय किया गया है कि अब डीएम की अनुमति के बगैर रात को अंतिम संस्कार नहीं किया जाएगा।
हाईकोर्ट के निर्देश पर गृह विभाग द्वारा तैयार एसओपी में किसी घटना में मारे गए व्यक्ति के अंतिम संस्कार की प्रक्रिया का निर्धारण किया गया है। नई व्यवस्था के मुताबिक यदि मृत व्यक्ति का अंतिम संस्कार रात में ही जरूरी है और कानून-व्यवस्था बिगड़ने की अंदेशा है तो ऐसी स्थिति में डीएम की अनुमति लेना जरूरी होगा। नई एसओपी में दो स्तरीय समिति गठित करने का भी प्रावधान किया गया है।
पहली समिति में घटना स्थल से संबंधित गांव या मोहल्ले के लोगों की होगी। इसमें उस खास जाति के व्यक्ति को भी रखा जाएगा, जिस जाति से मृतक का ताल्लुक होगा। इसी प्रकार क्षेत्रीय उपजिलाधिकारी के नेतृत्व में भी एक समिति बनेगी। इसमें क्षेत्रीय सीओ व थानाध्यक्ष रहेंगे। पहली समिति के लोग मृतक के परिजनों को अंतिम संस्कार के लिए राजी करेंगें और उनकी सहमति लेकर दूसरी समिति को अवगत कराएंगे।
राज्य सरकार ने अधिसूचित की अंतिम संस्कार की योजना
राज्य सरकार ने इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच को बताया कि हाथरस कांड जैसे मामलों में शवों के गरिमापूर्ण अंतिम संस्कार की नई योजना (एसओपी) को अधिसूचित कर दिया गया है। कोर्ट ने इस मामले में अगली सुनवाई दो नवंबर को नियत की है। न्यायमूर्ति राजन राय और न्यायमूर्ति जसप्रीत सिंह की खंडपीठ ने यह आदेश ‘शवों के गरिमापूर्ण अंतिम संस्कार का अधिकार’ शीर्षक से खुद संज्ञान लेकर दर्ज कराई गई पीआईएल पर सुनवाई के बाद दिया।
रात में अंतिम संस्कार के लिए मनाएगी एसडीएम की अध्यक्षता वाली कमेटी
हाईकोर्ट के निर्देश पर गृह विभाग द्वारा तैयार एसओपी में किसी घटना में मारे गए व्यक्ति के अंतिम संस्कार के लिए परिजनों को राजी करने के लिए दो कमेटी बनाने का प्रावधान किया गया है। पहली समिति में घटना स्थल से संबंधित गांव या मोहल्ले के लोगों की होगी। यह कमेटी मृतक के परिजनों को अंतिम संस्कार के लिए राजी करेंगे। यदि मृतक के परिजन पहली समिति की बात मानने से इंकार करते हैं तो एसडीएम की अध्यक्षता वाली समिति पहली समिति के लोगों को साथ लेकर खुद परिजनों से मिलकर उन्हें राजी करने का प्रयास करेगी।
एसडीएम की अध्यक्षता वाली समिति को रात में अंतिम संस्कार करने के संबंध में मृतक केपरिजनों को तैयार करना होगा और स्पष्ट कारण भी बताना होगा कि क्यों रात में अंतिम संस्कार करना जरूरी है। सहमति बनने के बाद समिति इसकी रिपोर्ट संबंधित जिले के डीएम व पुलिस अधीक्षक या कमिश्नरेट वाले शहरों में पुलिस कमिश्नर को देनी होगी। रिपोर्ट का परीक्षण करने के बाद ही डीएम की अनुमति पर मृतक के परिवार की सहमति लेकर रात में अंतिम संस्कार किया जा सकेगा।