सुप्रीम कोर्ट ने नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सोमवार को सुनवाई टाल दी है। आज इस मामले में पेश वकीलों ने सुनवाई टालने की मांग की, जिसके बाद चीफ जस्टिस यूयू ललित और जस्टिस एस रविंद्र भट्ट की बेंच ने 19 सितंबर को अगली सुनवाई करने का आदेश दिया।
सुप्रीम कोर्ट में नागरिकता संशोधन कानून को चुनौती देने वाली 200 से अधिक याचिकाएं दायर की गई हैं। केंद्र सरकार ने इस मामले में 17 मार्च, 2020 को 133 पेजों का हलफनामा दाखिल करके कहा था कि नागरिकता संशोधन कानून में कोई गड़बड़ी नहीं है। इस कानून में कुछ खास देशों के खास समुदाय के लोगों के लिए ढील दी गई है। केंद्र सरकार ने कहा था कि संबंधित देशों में धर्म के आधार पर उत्पीड़न किया जा रहा है। पिछले 70 सालों में उन देशों में धर्म के आधार पर किए जा रहे उत्पीड़न को ध्यान में रखते हुए संसद ने ये संशोधन किया है। केंद्र सरकार ने कहा था कि नागरिकता संशोधन कानून से किसी भी भारतीय नागरिक का कानूनी, लोकतांत्रिक और धर्मनिरपेक्ष अधिकार प्रभावित नहीं होता है।
केंद्र सरकार ने कहा था कि नागरिकता देने का मामला संसदीय विधायी कार्य है, जो विदेश नीति पर निर्भर करता है। इस मामले में न्यायिक हस्तक्षेप नहीं किया जा सकता है। केंद्र सरकार ने इससे भी इनकार किया था कि इस कानून से संविधान की धारा 14 का कोई उल्लंघन नहीं होता है।