सुप्रीम कोर्ट ने बिल्किस बानो गैंगरेप केस के दोषियों की रिहाई के खिलाफ याचिका पर सुनवाई तीन हफ्ते के लिए टाल दी है। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बावजूद रिहा हुए 11 लोगों को याचिकाकर्ताओं की तरफ से पक्षकार नहीं बनाने की वजह से सुनवाई टली। अब इस मामले में रिहा लोग जवाब दाखिल कर सकेंगे। सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात सरकार से याचिका पर दो हफ्ते में जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है।
कोर्ट ने 25 अगस्त को गुजरात सरकार को नोटिस जारी किया था। कोर्ट ने इस मामले में दोषियों को भी पक्षकार बनाने का निर्देश दिया था। याचिका सीपीएम की नेता सुभाषिनी अली ने दायर की है। याचिका में कहा गया है कि बिल्किस बानो गैंगरेप के 11 दोषियों को रिहा करना गैरकानूनी है। इन्हें 14 लोगों की हत्या का भी दोषी करार दिया गया था।
उल्लेखनीय है कि 27 फरवरी, 2002 को गोधरा कांड के बाद पूरे गुजरात में सांप्रदायिक दंगे भड़क गए थे। इसी के बाद 3 मार्च, 2002 को अहमदाबाद से 250 किमी दूर रंधीकपुर गांव में बिल्किस बानो के परिवार पर भीड़ ने हमला कर दिया था। इस हमले में बिल्किस की 3 साल की बेटी सहित उसके परिवार के सात लोगों की हत्या कर दी गई थी। पांच माह की गर्भवती बिल्किस बानो के साथ सामूहिक दुष्कर्म किया गया था। बिल्किस बानो ने इसके अगले दिन यानी 4 मार्च, 2002 को पंचमहल के लिमखेड़ा पुलिस स्टेशन में अपनी शिकायत दर्ज करायी थी।
इस घटना की शुरुआती जांच अहमदाबाद में हुई थी। सीबीआई ने 19 अप्रैल, 2004 को चार्जशीट दाखिल की थी। इसके बाद बिल्किस बानो ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर यह आशंका जाहिर की थी कि गवाहों को नुकसान पहुंचाया जा सकता है और सीबीआई के साक्ष्यों से छेड़छाड़ की जा सकती है। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने 6 अगस्त, 2004 में मामले को मुंबई ट्रांसफर कर दिया। स्पेशल कोर्ट ने 21 जनवरी, 2008 को दिए अपने फैसले में 11 लोगों को दोषी ठहराया था। इन 11 दोषियों ने अपनी सजा के खिलाफ बॉम्बे हाई कोर्ट में अपील की थी। हाई कोर्ट ने इनकी सजा बरकरार रखी थी।