बिहार की साहित्य और सांस्कृतिक राजधानी बेगूसराय रंगकर्म की नई पौध तैयार हो रहे बच्चों के कलरव से लगातार गुलजार हो रहा है। मध्य विद्यालय बीहट के प्रांगण में बाल रंगमंच आर्ट एंड कल्चरल सोसाइटी तथा संगीत नाटक अकादमी नई दिल्ली द्वारा चल रहे बाल रंगमंच नाट्य कार्यशाला में बच्चे नाटक-नाटक में नाटक सीख रहे हैं।
ऋषिकेश कुमार के निर्देशन में बच्चे मस्ती के साथ खेल-खेल में नाट्य विधा से अवगत हो रहे हैं। बच्चों के बीच रोचक तरीके से शारीरिक अभ्यास एवं अपने बोलचाल की भाषा को खेल-खेल में खुद को बेहतर बना के लिए प्रशिक्षण दे रहे हैं। जहां बच्चों का रंगमंच बहुत मुश्किल से होता था, आज वहां के बच्चे ज्यादा संख्या में नाटक सीखने के लिए आ रहे हैं। बाल रंगमंच द्वारा लगातार हो रहे नाट्य कार्यशाला ने बच्चे और अभिभावकों पर अपनी अमिट छाप छोड़ी है। जिससे कि बच्चों में उनकी प्रतिभा को नाटक के माध्यम से निखार आ रहा है।
अपने बच्चों को नाटक करते देख अभिभावक को भी नाटक के प्रति रुझान बढ़ने लगा है। ऐसे कार्यशाला का मुख्य उद्देश्य है बच्चों में बौद्धिक विकास, शारीरिक विकास, मानसिक विकास के साथ-साथ खुद का विकास, जिससे बच्चे मुखर हो सकते हैं। ऋषिकेश का कहना है कि एनवायरमेंटल थियेटर के माध्यम से बच्चों में एक-दूसरे के सहयोगात्मक भावनाएं बनी रहे। हमारी जिम्मेदारी खुद के लिए, परिवार के लिए, समाज के लिए और देश के लिए क्या है, इस पर भी बच्चों के साथ काम कर रहे हैं।
बच्चे अभिनय की बारीकियों को सीख रहे हैं, बच्चों को इमैजिनेशन, इंप्रोवाइजेशन पर भी काम करवाया जा रहा है। बाल रंगमंच नई पीढ़ी के लिए इस तरह का आयोजन कर समाज को सांस्कृतिक रूप से समृद्ध कम करने का काम लगातार कर रही है। जिससे कि रंगमंच में नई पौध का निर्माण हो सके।
प्रतिभागी प्राची, रिंकू, ज्योति, साधना, चंदा, मुस्कान, गुड़िया, प्रिया, चंद्रप्रभा, रागिनी, आरती, पूजा, सुमन, खुशी, अंजली, गुड़िया, सृष्टि, ज्योति, मुस्कान, जूसा, वैष्णवी, वैभव, सोनाक्षी, राज नंदनी, शिवम, हर्ष राज, धर्मवीर, विकास, मिथिलेश, शिवम, अनिमेष, रूपा, चंदा, प्रेमलता, मौसम, गौरी एवं रागिनी आदि बच्चों ने कहा कि ना सिर्फ नाटक सीख रहे हैं। बल्कि, जो सोचा नहीं था वह मिल रहा है, आने वाले समय में हम बच्चे रंगकर्म के क्षेत्र में अपनी अलग पहचान बनाएंगे।