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राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम से सौम्या को मिली नई जिंदगी, बंद हुआ दिल का छेद

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इलाज कराकर लौटी सौम्या

शून्य से 18 वर्ष के बच्चों के जन्म के समय की किसी प्रकार के विकार, बीमारी, कमी और विकलांगता सहित विकास में रूकावट वाले रोग के इलाज के लिए शुरू राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम (आरबीएसके) वरदान साबित हो रहा है।

हृदय रोग से पीड़ित बच्चों को इलाज के लिए जद्दोजहद का सामना नहीं करना पड़े और सुविधाजनक तरीके से समुचित और सफल इलाज के उद्देश्य से आरबीएसके के तहत बिहार सरकार द्वारा मुख्यमंत्री बाल हृदय योजना की शुरुआत की गई। अब यह योजना ऐसे पीड़ित बच्चों के लिए काफी सहयोगात्मक साबित हो रही है। उक्त योजना के तहत ना केवल निःशुल्क स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध कराई जा रही है, बल्कि, हृदय रोग से पीड़ित बच्चों का सफल और समुचित इलाज भी हो रहा है। जिसका सकारात्मक परिणाम है कि लगातार ऐसे बच्चे हृदय रोग को मात भी दे रहे हैं।

इसी कड़ी में जिले के बरौनी प्रखंड के सबौरा निवासी दीपक पाठक एवं सरिता देवी की चार वर्षीया पुत्री सौम्या कुमारी भी बेहतर स्वास्थ्य सुविधा की बदौलत ही जन्मजात हृदय रोग को मात देने में सफल रही। यह सरकार की मजबूत और बेहतर स्वास्थ्य सुविधा बदौलत ही संभव हुआ। वहीं, सरकार द्वारा लाई गई उक्त योजना को सार्थक रूप देने के लिए जिले की आरबीएसके टीम जिले के हृदय रोग से पीड़ित अन्य बच्चों को भी चिह्नित पूरी तरह निःशुल्क समुचित स्वास्थ्य सुविधा उपलब्ध कराने में अग्रसर है।

निजी क्लीनिक में पता चला दिल में छेद का-

सौम्या की मां सरिता देवी ने बताया कि जब मेरी बच्ची ठीक से चल नहीं पा रही थी और ना ही ढंग से खा पा रही थी तो बच्ची को जांच के लिए पहले एक निजी क्लीनिक ले गई। वहां डॉक्टर ने बताया कि बच्ची के दिल में छेद है। फिर कई निजी क्लीनिकों में भी हमलोगों ने बच्ची की जांच करवाई, सभी जगह एक ही बात कहा गया दिल में छेद और समुचित इलाज में लाखों का खर्च बताया गया। इतना खर्च करने में हमलोग समर्थ नहीं थे। जिसके कारण इलाज की उम्मीद ही छोड़ दिए थे।

इसी दौरान आस-पड़ोस के लोगों से जानकारी मिली कि ऐसे रोग से पीड़ित बच्चे का आरबीएसके टीम द्वारा मुख्यमंत्री बाल हृदय योजना के तहत पूरी तरह निःशुल्क इलाज कराया जाता है। यह जानकारी मिलते ही हमलोगों को उम्मीद की एक नई किरण मिली और अपनी बच्ची को जांच के लिए स्थानीय पीएचसी ले गई। जहां से जिला अस्पताल भेजा गया तथा जांच के बाद स्क्रीनिंग के लिए एंबुलेंस से पटना भेजा गया। पटना में स्क्रीनिंग के बाद हवाई जहाज से समुचित इलाज के लिए अहमदाबाद श्री सत्य साईं अस्पताल भेजा गया। वहां मेरी बच्ची का समुचित इलाज हुआ।

इलाज में मिली बेहतर और समुचित सुविधाएं-

बच्ची के पिता दीपक पाठक ने बताया कि मेरे पास अपनी बच्ची का इलाज कराने के लिए पर्याप्त पैसा नहीं था। इस बीच आरबीएसके कार्यक्रम के तहत मुख्यमंत्री बाल हृदय योजना की जानकारी मिली। इस योजना से मेरी बच्ची का इलाज शुरू हुआ और आज मेरी बच्ची हृदय रोग को मात देकर पूरी तरह स्वस्थ है। इस दौरान मेरी बच्ची को बेहतर और समुचित स्वास्थ्य सुविधा मिली एवं आरबीएसके टीम का भी काफी सहयोग मिला।

हृदय रोग से पीड़ित बच्चों का पटना में होता है स्क्रीनिंग-

सिविल सर्जन डाॅ. प्रमोद कुमार सिंह ने बताया कि स्थानीय आरबीएसके टीम द्वारा हृदय रोग से पीड़ित बच्चों की पहले पहचान की जाती है। इसके बाद स्क्रीनिंग यानी प्रारंभिक जांच के लिए पटना भेजा जाता है। जहां इंदिरा गांधी हृदय रोग संस्थान में बच्चों की समुचित जांच की जाती है। जांच में बीमारी की पुष्टि होने पर संबंधित बच्चे को समुचित एवं निःशुल्क इलाज के लिए अहमदाबाद के श्री सत्य साईं अस्पताल भेजा जाता है।

हृदय रोग से पीड़ित बच्चों का स्थाई इलाज समय पर जरूरी-

आरबीएसके टीम के जिला समन्वयक डाॅ. रतीश रमण ने बताया कि हृदय रोग से पीड़ित बच्चों की समस्या का स्थाई समाधान के लिए समय पर इलाज शुरू कराना जरूरी है, अन्यथा परेशानी का सामना करना पड़ सकता है। बच्चों के कटे होंठ का तीन सप्ताह से तीन माह के अंदर, तालु में छेद (सुराग) का छह से 18 माह तथा टेढ़े-मेढ़े पैर का दो सप्ताह से दो माह के अंदर शत-प्रतिशत सफल इलाज संभव है। ऐसे पीड़ित बच्चों का इलाज के साथ-साथ आने-जाने का खर्च भी सरकार ही वहन करती है।

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