बिहार में मानसून सक्रिय हो जाने से फिलहाल दो जुलाई तक बारिश होगा। मौसम विभाग ने अलर्ट जारी करते हुए लोगों को सतर्क रहने की सलाह दी है। डॉ. राजेंद्र प्रसाद केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय पूसा के कृषि विज्ञान केंद्र बेगूसराय की ओर से जारी मौसम के पूर्वानुमान में बेगूसराय के विभिन्न क्षेत्रों में एक जुलाई तक रोज 30 से 37 एमएम तक वर्षा की संभावना व्यक्त की गई है। वहीं, दो जुलाई को करीब 12 एमएम बारिश हो सकती है, इस दौरान हवा भी चलेगी।
आद्रा नक्षत्र में लगातार घूमड़ रहे बदरा के बरसते बारिश की बूंदों से लोगों को जहां भीषण गर्मी से राहत मिली है, वहीं धरती भी खिल उठी है। किसानों ने खेती का श्रीगणेश कर दिया है, धान के बिचड़े गिराए जा रहे हैं, जिन्होंने अगात बिचड़ा गिराया था वह रोपनी कर रहे हैं। बारिश ने गन्ना, सब्जी और घास को काफी फायदा पहुंचाया है। कृषि विज्ञान केंद्र के कृषि मौसम सेवा द्वारा समय के अनुसार गुणवत्तापूर्ण खेती के लिए समसामयिक सुझाव (एडवाइजरी) जारी कर किसानों को जागरूक किया जा रहा है।
केंद्र के वरीय वैज्ञानिक और प्रधान डॉ. रामपाल ने बताया कि आषाढ़ की बारिश कृषि कार्य की श्रीगणेश करने का सर्वोत्तम समय है, अभी अलग-अलग क्षेत्रों में मध्यम से भारी बारिश तक की संभावना है। उन्होंने बताया कि जो किसान अब तक धान का बिचडा नहीं गिराए हैं वे जल्दी करें। धान की अगात किस्में प्रभात, धनलक्ष्मी, रिछारिया, साकेत-4, राजेन्द्र भगवती, राजेन्द्र नीलम तथा मध्यम अवधि की किस्में संतोष, सीता, सराज, राजेन्द्र सवासनी, राजेन्द्र कस्तुरी, कामिनी, सुगंधा उत्तर बिहार के लिए अनुशंसित है। 12 से 14 दिनों के बिचड़ा वाली नर्सरी से खर-पतवार निकालें। जिन किसानों के पास धान का बिचड़ा तैयार है वे निचले तथा मध्यम जमीन में रोपनी करें। धान की रोपाई के समय उर्वरकों का व्यवहार मिट्टी जांच के आधार पर करें। अगात एवं मध्यम धान के किस्मों की किसान सीधी बुवाई करना चाहते हैं तो खेत में ही धान को छिटकांवा विधि से सीधी बुआई करें। यदि खेत सूखा है तो सीडडील मशीन से या छिटकांवा विधि से बुआई कर सकते हैं। सूखे खेत में सीधी बुआई करने पर बुआई के 48 घंटे के अन्दर खर-पतवार नाशी दवा पेन्डिमेथीलीन 1.0 लीटर प्रति एकड़ की दर से छिड़काव करें। यदि बुआई के बाद बारिश शुरू हो जाती है तो पेन्डिमेथीलीन दवा का छिड़काव नहीं करें, वैसी हालत में बुआई के 10-15 दिनों के बीच में नामिनी गोल्ड (बिसपेरिबेक सोडियम 10 एस.सी.) दवा का 100 मि.ली. प्रति एकड़ की दर से छिड़काव करना नहीं भूलें।
खरीफ मक्का की सुआन, देवकी, शक्तिमान-1, शक्तिमान-2 एवं राजेन्द्र संकर मक्का-3 किस्म की बुआई अतिशीघ्र करें। खेत की जुताई में प्रति हेक्टयर 10 से 15 टन गोबर की सड़ी खाद, 30 किलो नेत्रजन, 60 किलो स्फुर एवं 50 किलो पोटाश का व्यवहार करें। इसके लिए प्रति किलो बीज को 25 गाम थीरम द्वारा उपचारित कर बुआई करें, बीज दर 20 किलो प्रति हेक्टेयर रखें। सूयमुखी की बुआई के लिए खेत की तैयारी करें। खेत की जुताई में गोबर की खाद कम्पोस्ट का अधिक से अधिक प्रयोग करें। यह भूमि की जलधारण क्षमता एवं पोषक तत्व की मात्रा बढ़ाती है। तिल की बुआई उंचास भूमि में करें, कृष्णा, कांके सफेद, कालिका एवं प्रगति तिल की अनुशंसित किस्में है। बुआई के समय प्रति हक्टेयर 60 क्विंटल कम्पोस्ट, 20 किलो नेत्रजन, 20 किलो स्फुर एवं 20 किला पोटाश का व्यवहार करें, बीज दर चार किलो प्रति हक्टेयर तथा कतार से कतार एवं पौध से पौध की दूरी 30-10 सेमी रखें। 2.0 ग्राम थीरम दवा से प्रति किलो बीज को उपचारित करें।
उथली क्यारिओं में खरीफ प्याज की नर्सरी लगाएं तथा नर्सरी में जल निकास की व्यवस्था रखें। एन.-53, एगोफाउंड डीक रेड, अर्का कल्याण एवं भीमा सुपर खरीफ प्याज के लिए अनुशंसित किस्में हैं। बीज को कैप्टान या थीरम दो ग्राम प्रति किलो बीज की दर से मिलाकर बीजोपचार कर लें। पौधशाला को तेज धूप एवं वर्षा से बचाने के लिए छायादार नेट से छह-सात फीट की ऊंचाई पर ढंक सकते हैं। प्याज के स्वस्थ पौध के लिए पौधशाला से नियमित रूप से खरपतवार को निकालते रहें, कीट-व्याधियों से नर्सरी की निगरानी करते रहें। हल्दी की राजेन्द्र सोनिया, राजेन्द्र सानाली किस्में एव अदरक की मरान एवं नदिया किस्में की बुआई करें, बीज को उपचारित करने के बाद बुआई करें।ऊपरी जमीन में अरहर की बुआई के लिए खेत की तैयारी करें, बुआई के समय प्रति हेक्टेयर 20 किलो नेत्रजन, 45 किलो स्फुर तथा 20 किलो पोटाश का व्यवहार करें। बहार, पूसा-9, नरेद अरहर-1, मालवीय-13, राजेन्द्र अरहर-1 आदि किस्में बुआई के लिए अनुशंसित है। खरीफ चारा फसलें मल्टीकट मीठा ज्वार, एम.पी. चरी, कोहवा एवं मक्का (अफ्रीकन टौल) लगाने का सही समय है। इन चारा फसलों के साथ दलहनी चारा मेथ, लाविया या हाइब्रीड मेथ भी लगाएं। बहुवर्षीीय चारा फसलें हाईब्रीड नेपियर, गिनिया घास, अंजन घास लगाएं।