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यूपी में माधुरी से माधव, पंकज से पिंकी बनने वाले मामले बढ़े, कई केस मनोचिकित्सकों के पास

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प्रतीकात्मक तस्वीर

लिंग परिवर्तन से पूरी कर रहे मन की चाहत, डेढ़ दर्जन से अधिक लोग करवा चुके हैं सर्जरी, इनमें अफसर से व्यापारी तक। जेंडर डिस्पोरिया के शिकार लोगों में होती है लिंग बदलवाने की ख्वाहिश।

दिल्ली, मुंबई की तर्ज पर अब प्रदेश में भी प्लास्टिक सर्जरी के जरिए लिंग परिवर्तन किया जा रहा है। माधुरी से माधव और पंकज से पिंकी बनने वालों की तादात बढ़ रही है। यहां चिकित्सकों के सामने हर माह दो से तीन केस आ रहे हैं। प्रदेश में लिंग परिवर्तन के अब तक डेढ़ दर्जन से अधिक ऑपरेशन हो चुके हैं। इनमें सरकारी अस्पताल में एक पुरुष व एक महिला का लिंग परिवर्तन हो चुका है। वहीं, लखनऊ के निजी अस्पताल में ऐसी 15 सर्जरी की जा चुकी है जबकि कुछ केस मनोचिकित्सकों के हवाले हैं। उनकी सहमति मिलने के बाद उनकी सर्जरी की प्रक्रिया अपनाई जाएगी।

केजीएमयू में जून 2018 में और कुछ दिन पहले मेरठ में लिंग परिवर्तन के लिए सर्जरी हो चुकी है तो प्रयागराज के एमएलएन मेडिकल कॉलेज में युवती को युवक बनाने की प्रक्रिया शुरू की गई है। अब इसके केस बढ़ रहे हैं। स्थिति यह है कि केजीएमयू की ओपीडी में हर माह दो से तीन केस आ रहे हैं। प्लास्टिक सर्जरी विभागाध्यक्ष प्रो. विजय कुमार की मानें तो इस तरह के केस में मनोचिकित्सकीय परीक्षण की प्रक्रिया कठिन और लंबी है। चार केस काउंसिलिंग के दौरान ही गायब हो गए। फिलहाल दो केस पर कार्य चल रहा है। छह से दो साल तक काउंसिलिंग एवं हार्मोनल थेरेपी के बाद सर्जरी की प्रक्रिया अपनाई जाती है। इसकी पुख्ता गाइडलाइन है। मनोचिकित्सा की कसौटी पर खरे उतरने वालों की ही सर्जरी होती है।

लखनऊ में लिंग परिवर्तन करा चुके हैं थाइलैंड के लोग
राजधानी के शाहमीना रोड़ स्थित सुपर स्पेशियलिटी हॉस्पिटल के प्लास्टिक सर्जन डॉ. आरके मिश्रा बताते हैं कि वे अब तक 15 केस की सर्जरी कर चुके हैं। इसमें छह थाइलैंड के थे जो पुरुष से महिला बने। दिल्ली केचार केस में तीन महिला से पुरुष बने और एक पुरुष से महिला। इसमें एक अफसर और एक व्यापारी है। वे सामान्य तरीके से अपना कार्य कर रहे हैं।

लखनऊ के दो केस सहित प्रदेश के विभिन्न इलाके से आए कुल पांच केस में एक पुरुष से महिला और चार महिला से पुरुष बने हैं। सभी लगातार निगरानी में हैं। तीन केस पर कार्य चल रहा है। वे बताते हैं कि भारत में महिला से पुरुष बनने वालों की तादात अधिक है। इसकी सामाजिक वजहें हैं। लोगों को भय रहता है कि कहीं महिला बनने के बाद समाज में समस्या न झेलनी पड़े। वहीं, विदेशों में पुरुष से महिला बनने वालों की संख्या लगातार बढ़ रही है। डॉ. मिश्रा बताते हैं कि महिला से पुरुष बनने में करीब छह से आठ लाख रुपये जबकि पुरुष से महिला बनाने में करीब तीन से चार लाख रुपये खर्च आता है।

ऐसे करते हैं सर्जरी
प्लास्टिक सर्जरी विभागाध्यक्ष प्रो. विजय कुमार बताते हैं कि महिला से पुरुष बनने वालों में से उनका गर्भाशय निकाला जाता है। हाथ के पास से खाल लेकर माइक्रो सर्जरी की जाती है।

इसी तरह पुरुष से महिला बनने वालों में सर्जरी करके जननांग को हटा देते हैं। अंडकोष को कट करके नया जननांग बनाते हैं। लेजर सर्जरी करके सीने का बाल हटा देते हैं और फिर हार्मोन थेरेपी देते हैं। कई बार छाती में इंप्लांट भी लगाया जाता है।

शारीरिक बनावट से मेल नहीं खाता मन तो लेते हैं इसका सहारा
केजीएमयू के मानसिक रोग विभाग के डॉ. आदर्श त्रिपाठी बताते हैं कि कई लोगों की शारीरिक बनावट के हिसाब से उनका मन मेल नहीं खाता है। इसे जेंडर आईडेंटिटी डिसऑर्डर या जेंडर डिस्पोरिया कहते हैं।

इस स्थिति में व्यक्ति को यह महसूस होता है कि उसका प्राकृतिक लिंग उसके लैंगिक पहचान के अनुसार नहीं है। वह अपनी बनावट, पहनावा, आवाज आदि को लेकर चिंतित होता है।

इसके लक्षण कम आयु में भी सामने आते हैं, लेकिन उस वक्त दिमागी फितूर मानकर टाल दिया जाता है। वयस्क होने पर वे असहज होने लगते हैं। 30-40 हजार लोगों में से किसी एक में यह समस्या हो सकती है।

लिंग परिवर्तन के लिए सर्जरी का सवाल है तो लंबे समय तक संबंधित व्यक्ति को हार्मोनल थेरेपी दी जाती है। काउंसिलिंग की जाती है। देखा जाता है कि वह जिस दिशा में जाना चाहता है, उसे अपना पाएगा या नहीं। जैसे कोई महिला बनना चाहता है तो उसे लंबे समय तक महिला के रूप में रहना पड़ता है। 

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