राजधानी लखनऊ के चारबाग रेलवे स्टेशन पर करीब 28 साल पुरानी रूट रिले इंटरलॉकिंग (आरआरआई) को अत्याधुनिक बनाने का कार्य शुरू हो गया है। इस कार्य पर लगभग पर 90 करोड़ रुपये खर्च होंगे। रूट रिले इंटरलॉकिंग के अत्याधुनिक होने से ट्रेनों को बेवजह आउटर पर नहीं रुकना पड़ेगा। इससे यात्रियों को ट्रेनों की लेटलतीफी से राहत मिलेगी।
उत्तर रेलवे के लखनऊ मंडल का चारबाग स्टेशन प्रमुख स्टेशनों में शामिल है। इसके पुनर्विकास से लेकर यार्ड रिमॉडलिंग तक के तमाम कार्य करने की योजना है। इसी क्रम में स्टेशन पर करीब 28 साल पुरानी रूट रिले इंटरलॉकिंग को अत्याधुनिक बनाने का कार्य शुरू हो गया है। यह कार्य पेंडिंग था, जिसे अब पूरा करने की अनुमति मिल गई है। इस कार्य पर करीब 90 करोड़ रुपये खर्च होंगे। रूट रिले इंटरलॉकिंग के अत्याधुनिक होने से ट्रेनों को चारबाग स्टेशन के आउटर पर प्लेटफॉर्म खाली होने के इंतजार में खड़ा नहीं रहना पड़ेगा। इससे यात्रियों को ट्रेनों की लेटलतीफी से राहत मिलेगी।
रूट रिले इंटरलॉकिंग ट्रेन संचालन की धड़कन है। यह ऑटोमेटिक सिग्नलिंग का कार्य करती है। रूट रिले इंटरलॉकिंग बेहतर होने पर ट्रेनों को आउटर पर रोकने के संकट से मुक्ति मिल जाएगी। साथ ही सिग्नल फेल होने तथा ट्रेनों को प्लेटफॉर्म नहीं मिलने की दिक्कतें भी दूर हो जाएंगी।
उत्तर रेलवे के लखनऊ मंडल के डीआरएम सुरेश कुमार सपरा का कहना है कि रूट रिले इंटरलॉकिंग के पहले चरण में चारबाग स्टेशन पर कानपुर एंड की ओर नया भवन बनाया गया है,जहां से पूरी रूट रिले इंटरलॉकिंग की देखरेख होगी। यह अत्याधुनिक आरआरआई होगी, जिससे ट्रेनों का संचालन आसान और बेहतर हो जाएगा। चारबाग रेलवे स्टेशन पर आरआरआई के बेहतर होने से सिग्नल सिस्टम सुधर जाएगा। आरआरआई में जो तार बिछे हुए हैं, वे जर्जर और पुराने हो चुके हैं। जिन्हें चूहे कुतर देते हैं। ऐसे में नई आरआरआई होने से करीब ढाई सौ किलोमीटर लम्बे तारों को बदला जाएगा, जिससे उनके क्षतिग्रस्त होने का खतरा कम हो जाएगा।