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क्या टाइफाइड भी मच्छरों के काटने से होता है? जानिए इसके लक्षण-कारण और बचाव के तरीके

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मानसून का ये मौसम अपने साथ कई तरह की बीमारियां लेकर आता है, इसमें सबसे ज्यादा खतरा मच्छर जनित रोगों का होता है। डेंगू-मलेरिया और चिकनगुनिया जैसे रोगों के कारण हर साल बड़ी संख्या में लोगों को अस्पतालों में भर्ती होना पड़ता है। हालिया रिपोर्ट्स से पता चलता है कि महाराष्ट्र, कर्नाटक, केरल सहित कई राज्यों में डेंगू का खतरा बढ़ रहा है।

राजधानी दिल्ली-एनसीआर में भी इसको लेकर लोगों को सावधान किया गया है। स्वास्थ्य विशेषज्ञ कहते हैं, डेंगू के साथ इन दिनों टाइफाइड का जोखिम भी अधिक देखा जा रहा है, जिसको लेकर भी सभी लोगों को सावधानी बरतने की आवश्यकता है।

क्या टाइफाइड भी मच्छरों के कारण होने वाली बीमारी है? क्या ये भी डेंगू जितना ही खतरनाक है? इससे किस तरह से बचाव किया जा सकता है? आइए इस बारे में विस्तार से समझते हैं।

डेंगू के साथ टाइफाइड का खतरा

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक मानसून की शुरुआत के साथ ही देश में टाइफाइड के मामले भी बढ़ने लगे हैं। तेलंगाना के कई शहरों में डॉक्टरों को अस्पताल में रोजाना 5 से 6 मामले देखने को मिल रहे हैं। राजधानी दिल्ली-एनसीआर में भी मौसमी बीमारियों के कारण बुखार की शिकायत के साथ रोजाना ओपीडी में 700-800 मरीज आ रहे हैं। डेंगू के साथ-साथ टाइफाइड से भी बचाव को लेकर लोगों को जागरूक किया जा रहा है।

टाइफाइड बुखार को एंटरिक बुखार भी कहा जाता है, ये साल्मोनेला बैक्टीरिया के कारण होता है। यहां जानना जरूरी है कि टाइफाइड मच्छरों के काटने से नहीं फैलता है।

टाइफाइड संक्रमण के बारे में जानिए

स्वास्थ्य विशेषज्ञ कहते हैं, टाइफाइड बुखार साल्मोनेला बैक्टीरिया से दूषित भोजन और पानी के सेवन के कारण होता है। कई मामलों में संक्रमित व्यक्ति के निकट संपर्क से भी टाइफाइड का खतरा हो सकता है। वैसे तो टाइफाइड बुखार से पीड़ित अधिकांश लोग एंटीबायोटिक्स उपचार से लगभग एक सप्ताह में ठीक हो जाते हैं हालांकि अगर इसका समय पर उचित इलाज न हो पाए तो इसके कारण गंभीर जटिलताओं और मृत्यु का खतरा भी हो सकता है।

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क्या हैं टाइफाइड के लक्षण?

टाइफाइड संक्रमण के लक्षण बैक्टीरिया के संपर्क में आने के 1 से 3 सप्ताह बाद दिखाई देते हैं। इसमें हल्के से लेकर तेज बुखार (104 डिग्री फारेनहाइट), ठंड लगने, सिरदर्द, कमजोरी और थकान, मांसपेशियों और पेट में दर्द के साथ दस्त या कब्ज की दिक्कत हो सकती है। कुछ लोगों को त्वचा पर चकत्ते होने, भूख न लगने और पसीना आने की भी समस्या होती है।

इलाज न होने पर ये बीमारी कुछ सप्ताह बाद आंतों में भी दिक्कतें पैदा कर सकती है। इसके कारण पेट में सूजन, पूरे शरीर में फैलने वाले आंत के बैक्टीरिया के कारण संक्रमण (जिसे सेप्सिस कहा जाता है) और भ्रम की दिक्कत भी हो सकती है। टाइफाइड बुखार के कारण आंतों में क्षति और रक्तस्राव का भी जोखिम रहता है।

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टाइफाइड का इलाज और बचाव

टाइफाइड बुखार के लिए एंटीबायोटिक दवाएं ही एकमात्र प्रभावी उपचार है। टाइफाइड से बचाव के लिए टीके उपलब्ध हैं जो इस संक्रमण के खतरे को कम कर सकते हैं।  दैनिक जीवन में कुछ उपायों की मदद से टाइफाइड से बचाव किया जा सकता है।

  • संक्रमण को नियंत्रित करने का सबसे अच्छा तरीका हाथों की स्वच्छता का ध्यान रखना है। बार-बार हाथ धोना आपको संक्रमण से बचा सकता है।
  • दूषित पानी से ये संक्रमण फैलता है इसलिए केवल उबाल कर या फिर फिल्टर किया हुआ पानी ही पीना चाहिए।
  • कच्चे फल और सब्जियां खाने से बचें। कच्चे उत्पाद दूषित पानी में धुले हो सकते हैं, इसलिए इनके उपयोग से पहले इसे अच्छे से साफ करें।
  • भोजन को अच्छे से पकाकर ही खाएं। बासी भोजन से बचना चाहिए।
  • अगर आपको 2-3 दिनों से बुखार है और ये सामान्य दवाओं से नहीं ठीक हो रहा है तो डॉक्टर की सलाह पर खून की जांच जरूर कराएं।

नोट: यह लेख मेडिकल रिपोर्टस से एकत्रित जानकारियों के आधार पर तैयार किया गया है।

अस्वीकरण: अमर उजाला की हेल्थ एवं फिटनेस कैटेगरी में प्रकाशित सभी लेख डॉक्टर, विशेषज्ञों व अकादमिक संस्थानों से बातचीत के आधार पर तैयार किए जाते हैं। लेख में उल्लेखित तथ्यों व सूचनाओं को अमर उजाला के पेशेवर पत्रकारों द्वारा जांचा व परखा गया है। इस लेख को तैयार करते समय सभी तरह के निर्देशों का पालन किया गया है। संबंधित लेख पाठक की जानकारी व जागरूकता बढ़ाने के लिए तैयार किया गया है। अमर उजाला लेख में प्रदत्त जानकारी व सूचना को लेकर किसी तरह का दावा नहीं करता है और न ही जिम्मेदारी लेता है। उपरोक्त लेख में उल्लेखित संबंधित बीमारी के बारे में अधिक जानकारी के लिए अपने डॉक्टर से परामर्श लें।

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