वित्त वर्ष 2023-24 में बंटी 6,800 करोड़ रुपये की प्रोत्साहन राशि, जो सरकार के अनुमान से कम है
सरकार की एक उच्च स्तरीय समिति ने उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन (पीएलआई) योजनाओं के तहत कंपनियों को रकम देने में लगातार हो रही देर पर चिंता जताई है। समिति ने योजना सुचारु रूप से चलाने के लिए सभी विभागों से सुधार करने के लिए कहा है ताकि देश में विनिर्माण को बढ़ावा और सहारा मिल सके।
समिति का गठन पीएलआई योजनाओं की समीक्षा के लिए किया गया है। इसके अध्यक्ष कैबिनेट सचिव हैं और इसमें उद्योग एवं आंतरिक व्यापार संवर्द्धन विभाग (डीपीआईआईटी), नीति आयोग, आर्थिक मामलों के विभाग तथा वित्तीय सेवा विभाग के प्रतिनिधि शामिल हैं। समिति को सभी पीएलआई योजनाओं की स्थिति के बारे में बताना डीपीआईआईटी का जिम्मा है।
मार्च 2024 को हुई बैठक के ब्योरे से पता चलता है कि समिति ने अब उद्योग सवंर्द्धन और आंतरिक व्यापार विभाग को पीएलआई योजनाओं के कार्यान्वयन के लिए जिम्मेदार सभी नोडल एजेंसियों, साथ ही मंत्रालयों और सरकारी विभागों को प्रेरित करने का काम सौंपा है ताकि आवंटन में मदद मिल सके और कंपनियों को सही दावा दाखिल करने में सहूलियत हो। बिज़नेस स्टैंडर्ड ने बैठक का ब्योरा देखा है।
बिज़नेस स्टैंडर्ड ने समिति की मार्च 2024 में हुई बैठक का ब्योरा देखा है। ब्योरे के मुताबिक समिति ने पीएलआई योजनाएं लागू करने के लिए जिम्मेदार सभी नोडल एजेंसियों, मंत्रालयों और सरकारी विभागों से रकम जारी करने का काम दुरुस्त कराने की जिम्मेदारी डीपीआईआईटी को सौंप दी है। उससे यह भी कहा गया है कि विभागों को सही दावे दाखिल करने में कंपनियों की मदद करने के लिए कहा जाए।
अधिकारियों ने बताया कि समिति ने सभी नोडल विभागों को सतर्क रहने और प्रोत्साहन के दावों की जांच में गुणात्मक सुधार सुनिश्चित करने के लिए कहा है ताकि गलत दावों पर भुगतान न हो जाए। परियोजना संभालने वाली एजेंसियों पर नजर रखने का काम वित्तीय सेवाओं के विभाग का है और दावों का तेजी से निपटारा भी वही सुनिश्चित करता है।
बिज़नेस स्टैंडर्ड ने हाल ही खबर दी थी कि कि सरकार कपड़ा और फार्मा जैसे क्षेत्रों में पीएलआई को दुरुस्त करने तथा प्रोत्साहन की रकम हर तीन महीने में देने पर विचार कर रही है। दावे आने के बाद प्रोत्साहन राशि देने में हो रही देर को देखते हुए कुछ महीने पहले ही कैबिनेट सचिव ने नीति आयोग को इन योजनाओं में शामिल परियोजना प्रबंधन एजेंसियों के कामकाज की समीक्षा करने के लिए कहा था।
बिज़नेस स्टैंडर्ड ने इस बारे में जानकारी हासिल करने के लिए डीपीआईआईटी और वित्त मंत्रालय को ईमेल भेजे। लेकिन दोनों में से किसी का जवाब नहीं आया।
पता चला है कि बैठक में समिति के अध्यक्ष ने पीएलआई क्षेत्रों के डोमेन विशेषज्ञों को शामिल करने में और पीएलआई के लिए कामकाज की मानक प्रक्रिया तैयार करने में हो रही देर पर नाखुशी जताई थी।
पिछले साल परियोजना प्रबंधन एजेंसियों और नोडल मंत्रालयों को दावे निपटाने में लगने वाला समय कम करने के लिए जून तक कामकाज की मानक प्रक्रिया तैयार करने के लिए कहा गया था। सरकार ने मोबाइल, ड्रोन, सोलर, दूरसंचार, कपड़ा और वाहन समेत 14 क्षेत्रों के लिए पीएलआई योजनाओं की घोषणा की है।
इसे 5 पीएमआई– भारतीय औद्योगिक वित्त निगम, भारतीय लघु उद्योग विकास बैंक , मेटलर्जिक ऐंड इजीनियरिंग कंसल्टेंट्स लिमिटेड, भारतीय अक्षय ऊर्जा विकास संस्था और सोलर एनर्जी कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया संभालती हैं। इन परियोजना प्रबंधन एजेंसियों का काम योजनाओं के क्रियान्वयन, अर्जियों की जांच, प्रोत्साहन के लिए अर्हता तय करने और विनिर्माण इकाइयों का दौरा करने में मंत्रालयों की मदद करना है।
केंद्र ने वित्त वर्ष 2023-24 में पीएलआई के तहत कुल 11,000 करोड़ रुपये आवंटित किए जाने का लक्ष्य तय किया था मगर इससे कम रकम ही बंट पाई। परियोजना संभालने वाली एजेंसियों ने लगातार निगरानी की और रकम मिलने में देर की बात भी बताई मगर मार्च के अंत तक 6,800 करोड़ रुपये की प्रोत्साहन राशि ही जारी हो सकी।