नीति आयोग ने इस वर्ष फरवरी में दावा किया था कि देश में गरीबी वर्ष 2022-23 में घटकर 5 प्रतिशत से नीचे रह गई है।
प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद के अध्यक्ष विवेक देवराय ने कहा है कि देश में गरीबी एवं पिछड़ेपन का आकलन करने के लिए एक नई गरीबी रेखा का निर्धारण करना जरूरी हो गया है। देवराय ने कहा कि सुरेश तेंडुलकर समिति के अनुमान एक दशक पुराने हैं और बहु-आयामी गरीबी सूचकांक (एमडीपीआई) पूरी तरह गरीबी रेखा नहीं माना जा सकता है।
देवराय ने बुधवार को सांख्यिकी एवं कार्यक्रम क्रियान्वयन मंत्रालय द्वारा आयोजित एक सम्मेलन में हाल में जारी घरेलू उपभोग व्यय सर्वेक्षण (एचसीईएस) पर ये बातें कहीं। देवराय ने पूछा कि क्या ये नवीनतम आंकड़े नई गरीबी रेखा के निर्धारण के लिए इस्तेमाल किए जाएंगे।
उन्होंने कहा, ‘देश में अब भी तेंडुलकर समिति से इतर कोई आधिकारिक गरीबी रेखा नहीं है। रंगराजन समिति की रिपोर्ट औपचारिक रूप से कभी स्वीकार नहीं हुई और एमडीपीआई भी पूरी तरह गरीबी रेखा को परिभाषित नहीं करता है। इन तथ्यों पर विचार करने के बाद क्या हमें एक नई गरीबी रेखा निर्धारित करनी चाहिए जिसके लिए एचसीईएस आंकड़े इस्तेमाल किए जा सकें।‘
नीति आयोग ने इस वर्ष फरवरी में दावा किया था कि देश में गरीबी वर्ष 2022-23 में घटकर 5 प्रतिशत से नीचे रह गई है। आयोग ने 2022-23 के एसीईएस आंकड़ों के आधार पर यह दावा किया था। वर्तमान गरीबी रेखा प्रोफेसर सुरेश तेंडुलकर की अध्यक्षता वाली एक विशेषज्ञ समिति के सुझावों पर आधारित है।
समिति ने दिसंबर 2009 में अपनी रिपोर्ट सौंपी थी। समिति के अनुमानों के अनुसार वर्ष 1993-94 और 2004-05 के दौरान प्रति वर्ष गरीबी में 0.74 प्रतिशत अंक औसत दर से कमी आई। समिति के अनुसार 2004-05 और 2011-12 के बीच यह प्रति वर्ष 2.18 प्रतिशत अंक दर से कम हुई।