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मानव इतिहास में जो अब तक नहीं हुआ, वो अमेरिकी वैज्ञानिकों ने कर दिया…सूरज और पृथ्वी के साथ इस गुप्त परीक्षण से दुनिया हैरान

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अमेरिका के वैज्ञानिकों ने धरती पर कमाल कर दिखाया है। आज तक के मानवीय इतिहास में अमेरिकी वैज्ञानिकों ने उस घटना को अंजाम दे दिया है, जिसके बारे में कल्पना करना भी मुश्किल था। सूरज और पृथ्वी के साथ किए गए अमेरिकी वैज्ञानिकों के इस गुप्त परीक्षण से दुनिया हैरान है।

अमेरिकी वैज्ञानिकों ने मानव इतिहास का सबसे बड़ा परीक्षण करके दुनिया को हैरान कर दिया है। वैज्ञानिकों ने अपने इस नायाब और क्रांतिकारी परीक्षण से पूरी मानवता के लिए उम्मीद की नई किरण जगा दी है। अमेरिकी वैज्ञानिकों ने वाकई वो कमाल कर दिखाया है, जिसे आज तक के इतिहास में दुनिया में कोई भी नहीं कर सका।

बता दें कि अमेरिकी वैज्ञानिकों ने सूरज और पृथ्वी के साथ एक ऐसा गुप्त परीक्षण किया है, जिसका सरोकार पूरी मानवता और पूरे विश्व से है। वैज्ञानिकों का यह गुप्त परीक्षण मानव इतिहास की सबसे क्रांतिकारी घटना के रूप में युगों-युगों तक याद की जाएगी। आइए अब आपको बताते हैं कि अमेरिकी वैज्ञानिकों ने धरती पर कौन सी सबसे बड़ी खोज की है।बता दें कि आज के समय में धरती का तापमान और सूरज की गर्मी लगातार बढ़ती जा रही है। इससे पूरी दुनिया में मानव और पशु-पक्षियों समेत पेड़-पौधों का जीवन भी खतरे में पड़ गया है। मगर अब वैज्ञानिकों ने एक ऐसा बड़ा परीक्षण कर दिखाया है, जिसके बारे में कल्पना कर पाना भी मुश्किल है। दरअसल अमेरिकी वैज्ञानिकों ने पृथ्वी को ठंडा करने का गुप्त परीक्षण किया है। इस दौरान वैज्ञानिकों ने सूर्य की रोशनी को वापस अंतरिक्ष में भेजने में सफलता पाई है। वैज्ञानिकों के इस प्रयोग से दुनिया हैरान है।

धरती और समुद्र का तापमान कम करने में मिल सकती है सफलता

अगर सबकुछ ठीक रहा तो आगे वैज्ञानिकों के इस प्रयोग से धरती और समुद्र का तापमान कम करने में सफलता मिल सकती है। इस प्रौद्योगिकी का उद्देश्य बढ़ते समुद्र के तापमान को कम करने के लिए महासागरों के ऊपर आकाश में कई उपकरण स्थापित करना है। न्यूयॉर्क टाइम्स की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि संयुक्त राज्य अमेरिका में वैज्ञानिकों ने पृथ्वी को अस्थायी रूप से ठंडा करने के तरीके के रूप में सूर्य की कुछ किरणों को अंतरिक्ष में वापस भेजने में सफलता हासिल की है। वर्ष 2023 में धरती ग्रह ने अपना सबसे गर्म वर्ष देखा था। उन्होंने बादलों को उज्जवल बनाने वाली ऐसी क्लाउड ब्राइटनिंग का उपयोग किया जो सूरज से आने वाली धूप के एक छोटे से अंश को प्रतिबिंबित करें और परिणामस्वरूप, किसी क्षेत्र का तापमान कम हो जाए। वैज्ञानिक आखिरकार इसमें सफल हो गए।

एक सेवामुक्त जहाज पर एक गुप्त परीक्षण

वैज्ञानिकों ने इसके लिए एक सेवा मुक्त जहाज पर 2 अप्रैल को यह गुप्त परीक्षण किया। इसमें वाशिंगटन विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं ने सैन फ्रांसिस्को में सेवामुक्त विमानवाहक पोत के ऊपर रखे एक बर्फ-मशीन जैसे उपकरण से तेज गति से आकाश में नमक के कणों की एक धुंध छोड़ी। यह प्रयोग CAARE या कोस्टल एटमॉस्फेरिक एरोसोल रिसर्च एंड एंगेजमेंट नामक एक गुप्त परियोजना के तहत किया गया था। विचार बादलों को दर्पण के रूप में उपयोग करने का था जो आने वाली सूर्य की रोशनी को प्रतिबिंबित करता है। यह अवधारणा 1990 में ब्रिटिश भौतिक विज्ञानी जॉन लैथम द्वारा बताई गई थी। उन्होंने 1,000 जहाजों का एक बेड़ा बनाने का प्रस्ताव रखा था जो दुनिया भर में यात्रा करेगा और सौर ताप को विक्षेपित करने के लिए हवा में समुद्री जल की बूंदों का छिड़काव करेगा।

पृथ्वी का तापमान कम करने में मिल सकती है मदद

इस प्रौद्योगिकी के पीछे का विचार सरल विज्ञान का उपयोग करता है। इसका मकसद पृथ्वी के तापमान को कम करना है। बड़ी संख्या में छोटी बूंदें छोटी संख्या में बड़ी बूंदों की तुलना में अधिक सूर्य के प्रकाश को प्रतिबिंबित करती हैं। इसलिए हवा में एरोसोल खारे पानी की धुंध का छिड़काव करके सूरज की रोशनी को वापस लौटाया जा सकता है। मगर कणों का आकार और मात्रा सही होना बेहद महत्वपूर्ण है। यदि कण बहुत छोटे हैं, तो वे परावर्तित नहीं होंगे और बहुत बड़े कण बादलों को और भी कम परावर्तित कर देंगे। इस परीक्षण के लिए, वैज्ञानिकों को ऐसे कणों की आवश्यकता होती है जो मानव बाल की मोटाई का 1/700वां हिस्सा हों और हर सेकंड ऐसे चार अरब कण निकलते हों। वैज्ञानिकों के इस प्रयोग के सफल होने से ग्लोबल वार्मिंग से लड़ने में सहायता मिल सकती है।

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