न कोई किंतु, न कोई परंतु। हवाएं तैयार हैं। बेताब हैं। बेकरार हैं। दीयों का इम्तिहान लेने को। रामपुर के चुनावी रण में सवालों के बवंडर हैं। मुद्दे भी कई हैं। पर, हवाओं को सब पता है। फैसला तो हवाओं का रुख ही करेगा। जिन चिरागों में दम होगा, वही टिकेंगे। रामपुर में हवा का रुख कैसा है, पेश है ये रिपोर्ट…
जिला कारागार रामपुर के सामने चाय की छोटी सी गुमटी पर हमने भरपूर समय बिताया। इस दौरान लोग आते-जाते रहे। जो किस्से उन्होंने सहेजे थे, हमें सुनाते रहे। बिना किसी लाग-लपेट के चुनाव के बारे में भी अपनी राय देने से वे नहीं झिझके। जफर खां यही कोई 65 बरस के होंगे। वह कहते हैं, आजम खां ने कैबिनेट मंत्री रहने के दौरान लोगों की बहुत हाय ली। जिसका घर उनके किसी प्रोजेक्ट की जद में आया, उसे लेने से गुरेज नहीं किया। एक महिला का घर गिरवाया तो उसने कुरान शरीफ को हाथ में लेकर कहा था-‘हे अल्लाह! ताकत है, तो सबक जरूर सिखाना।’
मो. उमर बताते हैं-‘आजम खां ने मजार गिरवाई तो जमीनों पर भी कब्जे किए। जिसने जमीन नहीं दी, उसके खिलाफ मुकदमे लिखवाए।’ उन्होंने और भी कई किस्से सुनाए। हमारी दिलचस्पी चुनाव में ज्यादा थी, सो जफर खां और मो. उमर से सीधा सवाल किया-मतदान के लिहाज से लोगों का क्या रुख है? जवाब में उन्होंने सवाल उछाल दिया-‘सपा के अलावा हमारे पास विकल्प क्या है?’
गुंडागर्दी कम हुई…अब डर कम हो गया है
शाहबाद-मिलक विधानसभा क्षेत्र का चहल-पहल भरा कस्बा है मिलक। कोतवाली के पास विक्की कश्यप का छोटा सा रेस्टोरेंट है। हमने भी चाय का ऑर्डर दिया तो बातचीत का सिलसिला शुरू हो गया। विक्की कश्यप कहते हैं, यहां तो भाजपा का ही जोर है। सौरभ सक्सेना कहते हैं, जब से भाजपा सरकार आई है, यहां गुंडागर्दी कम हुई है। रात में भी कहीं जाने में डर नहीं लगता।
- बीच में ही विक्की कश्यप बोल उठे-जब सपा सरकार थी, तब हमारी बिक्री ज्यादा थी। हंसते हुए कहते हैं, लोग झगड़े-फसाद में फंसते थे और थाना-कचहरी खूब आते थे। जाहिर है कि थाने के पास उनका रेस्टोरेंट होने के चलते इसका फायदा उन्हें भी मिलता था। पर आगे वह कहते हैं, इस सबके बावजूद मैं खुश हूं, क्योंकि लड़ाई-झगड़े और चोरी-चकारी का डर बहुत कम हो गया है।
कसौटी पर विकास
बिलासपुर विधानसभा क्षेत्र में मिले ग्राम आदपुर के सुरेंद्र पाल सिंह बसपा प्रत्याशी को आगे बताते हैं। मिलक के ओमकार बौद्ध बसपा सरकार की उपलब्धियों का एक पत्रक हमें देते हुए कहते हैं, जितना काम मायावती ने मुख्यमंत्री रहते कराया, उतना आज तक किसी ने नहीं किया। रामपुर सदर के जसराज सागर इस तर्क को खारिज करते हैं कि बसपा प्रमुख मायावती भाजपा को लाभ पहुंचाने की दृष्टि से प्रत्याशी उतार रही हैं। वह कहते हैं, मायावती इस देश में मुस्लिम-दलित गठजोड़ चाहती हैं और इसी समीकरण को देखते हुए फैसले ले रही हैं। हालांकि, जसराज सागर रामपुर में सपा-भाजपा के बीच ही टक्कर मानकर चल रहे हैं।
- जसराज यह बात भी मानने को तैयार नहीं कि रामपुर में मुस्लिम मतदाता संख्या में ज्यादा यानी बहुसंख्यक हैं। फिर वर्ष 2019 के चुनाव में सपा के टिकट पर आजम खां कैसे जीते? इस सवाल पर जसराज बताते हैं कि 2019 में आजम खां को सपा-बसपा गठबंधन होने के कारण दलित वोट भी अच्छी खासी संख्या में मिला।
सवालों में अतीक और मुख्तार के मामले भी
स्वार विधानसभा क्षेत्र के ग्राम धनौरा पहुंचे तो वहां गनपति मौर्य पत्नी पुष्पा के साथ अपने खेत से प्याज निकाल रहे थे। गनपति मौर्य ने बड़ी ही साफगोई से कहा कि वे कमल के साथ हैं। पुष्पा भी उसे ही वोट देंगी, जिसको उनके पति देंगे। स्वार कस्बे में पहुंचे तो मारूफ अपने कई साथियों के साथ बैठे मिले। वह मौजूदा राजनीतिक व्यवस्था को लेकर काफी गुस्से में दिखे। कहते हैं-अतीक और मुख्तार का क्या हश्र कर डाला। कोर्ट को अपना काम करने देना चाहिए था। मारूफ और उनके साथी इस बात से भी काफी खफा दिखे कि दिल्ली में नमाज पढ़ने के दौरान पुलिस ने एक व्यक्ति को पीटा। सभी एक स्वर में कहते हैं कि हमें चेहरे से मतलब नहीं, जिसे सपा ने उतार दिया, वही सिर-माथे पर।
जो विकास करे, हम उसके साथ
चमरौआ विधानसभा क्षेत्र के डिलारी ग्राम पंचायत निवासी सरदार जसविंदर सिंह और दारा सिंह कहते हैं कि इस चुनाव में योगी-मोदी की बयार चल रही है। शेर अली सपा प्रत्याशी मोहिब्बुल्लाह को बाहरी मानते हैं। वहीं स्वार की मुस्लिम बहुल ग्राम पंचायत मुकरमपुर में अलग ही तस्वीर देखने को मिली। यहां मस्जिद के सामने के मुख्य मार्ग पर काफी कीचड़ है।
- जमील अहमद यह स्थिति दिखाते हुए कहते हैं कि हमारे गांव में किसी ने भी विकास कार्य नहीं कराए। इस बार कोई नेता हमारे यहां आकर हमें यह भरोसा तो दिलाए कि जीतने पर यह तस्वीर बदल देंगे। हम उसके साथ हो लेंगे, भले ही दल कोई भी हो। अगर हमारी समस्या सुनी तो भाजपा के घनश्याम लोधी को भी जिताने से पीछे नहीं हटेंगे। हालांकि, रियासत अली और अंजार अली कहते हैं कि ईद के बाद गांव वाले मिलकर तय करेंगे कि किधर जाना है। युवा वजाहत अली और बाबू पासी सपा को आगे बताते हैं। कुल मिलाकर रामपुर में जो समीकरण चल रहे हैं, उसमें पुख्ता तौर पर नहीं कहा जा सकता कि ऊंट किस करवट बैठेगा।
रामपुर के समर में ये योद्धा
घनश्याम लोधी, भाजपा : 2022 में उप चुनाव में आजम खां के करीबी आसिम राजा को हराकर सांसद बने। सपा में रहते हुए आजम के करीबी रह चुके हैं। इस सीट पर 1 लाख से ज्यादा लोधी वोट है। इस सीट पर 52 प्रतिशत मुस्लिम मतदाता एकजुट हुए तो लोधी को मुश्किल में डाल सकते हैं।
मोहिब्बुल्लाह नदवी, सपा : पेशे से दिल्ली पार्लियामेंट्री की जामा मस्जिद में इमाम हैं। तुर्क बिरादरी से ताल्लुक रखने वाले मौलाना नदवी के लिए अपनी बिरादरी मजबूती देगी। यहां 2 लाख से ज्यादा तुर्क वोटर हैं। हालांकि वह आजम खां के पसंदीदा नहीं हैं, इससे उनको नुकसान उठाना पड़ सकता है।
जीशान खान बसपा : प्रॉपर्टी डीलर जीशान खान लोकसभा चुनाव में नया नाम हैं। अभी तक उनके परिवार की रामपुर के नगर पालिका के चुनाव में ही सक्रियता रहती थी। वह पठान बिरादरी से हैं। यहां सवा लाख पठान वोटर हैं। पार्टी संगठन की निष्क्रियता से उनको नुकसान हो सकता है।
उपचुनाव में भाजपा ने सपा से छीनी सीट
रामपुर से 2004 और 2009 में सपा के टिकट पर जयाप्रदा जीती थीं। 2014 में भाजपा के डॉ. नेपाल सिंह विजयी हुए। 2019 में सपा के मो. आजम खां जीते, लेकिन वर्ष 2022 में विधानसभा चुनाव जीतने के बाद उन्होंने यह सीट छोड़ दी। इसके बाद हुए उपचुनाव में यहां भाजपा के घनश्याम लोधी ने आजम के करीबी आसिम राजा को 42,192 मतों के अंतर से हराया।
आजम खां के बहिष्कार को लेकर असमंजस में लोग
थोड़ा आगे बढ़े तो मिलक में ही डॉ. राजकुमार माहेश्वरी के क्लीनिक पर राजनीतिक चर्चा-परिचर्चा का दौर चलता मिला। डॉ. माहेश्वरी कहते हैं, मोदी-योगी के राज में देश-प्रदेश में अमन-चैन कायम हुआ है। मिलक में सौ करोड़ का पुल मंजूर हुआ है। सड़कें सुधरी हैं। युवा राशिद अंसारी उनकी बात काटते हुए कहते हैं, भाजपा राज में अवाम का कोई भला नहीं हुआ है।
छुट्टा पशुओं से काश्तकार परेशान हैं। सड़कों का जाल तो सपा सरकार में जितना बिछा, उतना किसी सरकार में नहीं। यहां की जनता अब बदलाव चाहती है। इकरार हुसैन कहते हैं कि सपा ने बाहरी प्रत्याशी उतारा है, इसलिए आजम खां ने चुनाव के बहिष्कार की बात की है। इसलिए हम अभी असमंजस में हैं। अगर यह बहिष्कार जारी रहा तो क्या करेंगे? इस सवाल पर इकरार हुसैन बोले-‘वोट डालने नहीं जाएंगे।’ देवेंद्र सिंह आश्वस्त हैं कि भाजपा न सिर्फ रामपुर से जीतेगी, बल्कि देश में पूर्ण बहुमत की सरकार भी बनाएगी।