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उठनी थी डोली, घर से निकली छह अर्थियां: बेटी बोली- पापा कार चला रहे थे, अचानक झटका लगा और सब खत्म, जानें मामला

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सिकंदरा थाना क्षेत्र के जगन्नाथपुर गांव के पास अंधे मोड़ पर रविवार की देर रात बारिश के दौरान कार अनियंत्रित होकर सड़क किनारे नाले में पलट गई। हादसे में बीएसएफ के दरोगा समेत एक होमगार्ड, दो सगी बहनों समेत छह लोगों की मौत हो गई।

Kanpur Dehat Accident, Daughter said Papa was driving the car, suddenly there was a shock and everything was o

‘जाको राखे साइयां मार सके न कोई’ यह कहावत रविवार देर रात सिकंदरा के जगन्नाथपुर में कार पलटने के बाद विराट और वैष्णवी के साथ चरितार्थ हुई। दोनों किसी तरह शीशे से बाहर आ गए, लेकिन पिता व परिवार के अन्य लोगों को नहीं बचा सके। रात के सन्नाटे में मदद मांगने के लिए चीख पुकार करते रहे, लेकिन जब मदद मिली तब तक वह दोनों अपनों को खो चुके थे। सिसकियां भरते हुए विराट उर्फ शिवा व नैनसी उर्फ वैष्णवी ने बताया कि तिलक समारोह से लौटते समय वह कार में जग रहे थे।

उनके चाचा की बेटियां, मामा के लड़के गोलू उर्फ अंश, प्रतीक व बाबा संजय सो रहे थे। पापा विकास गाड़ी चला रहे थे। वह समझ ही नहीं पाए कि कब गाड़ी बेकाबू होकर नाले में चली गई। तेज झटका लगने पर उन्हें हादसा होने का एहसास हुआ।  वह दोनों पीछे की सीट पर एक साथ किनारे की तरफ बैठे थे। वहीं, जिस तरफ वैष्णवी बैठी थी, उस खिड़की का शीशा खुला था। जब कार नाले में पलटी तो सबसे पहले वह बाहर निकली। इसके बाद उसने भाई शिवा उर्फ विराट को बाहर निकाला।

उसके बाहर आते ही कार पानी के अंदर और चली गई। बाहर आने के बाद दोनों मदद मांगने के लिए सुनसान सड़क पर चिल्लाते रहे। गांव की तरफ जाकर शोर मचाया, तो कुछ ग्रामीण घर से निकले। गांव के लोग जब मौके पर पहुंचे तो पुलिस को जानकारी दी गई। वैष्णवी बिलखते हुए यह कहती रही कि उसके सामने पिता व परिवार के लोगों की जान चली गई, वह कुछ नहीं कर सकी। एसपी ने दोनों बच्चों से हादसे की जानकारी भी ली।

दामाद और पौत्र की मौत के बाद बदहवाश रही दादी

जिला अस्पताल पहुंची शैलहा शिवराजपुर निवासी मुन्नी देवी बदहवाश दिखी। दामाद विकास व पौत्र प्रतीक की मौत के बाद ”सब कुछ उजड़ गया” की बात कहकर वह दहाड़े मार मारकर बिलखती रही। उसे बेटा श्रवण उर्फ बउवन ढांढस बंधाता रहा। श्रवण ने बताया कि प्रतीक उनके बड़े भाई पवन का बेटा है, जबकि विकास उनके बहनोई थे। विकास बिल्हौर में होमगार्ड हैं और तहसील में एक अधिकारी की गाड़ी चलाते थे। मुन्नी देवी ने सिसकियां भरते हुए बताया कि प्रतीक अपनी दादी का ख्याल रखता था। रोज सुबह चाय लेकर आता था। वह बार-बार यही कह रही थी, उठो प्रतीक अब दादी का चाय कौन पिहैये। इधर पति विकास की मौत के बाद पत्नी माया का रो-रोकर बुरा हाल रहा।

इकलौते बेटे की मौत से गुमसुम हो गया पवन
बेटे प्रतीक की मौत के बाद पिता पवन, मां कामिनी, बहन दीपाली उर्फ दीपांशी बिलखते रहे। पवन ने बताया कि प्रतीक उनका इकलौता बेटा था। घर में सबसे तेज था। दादी के साथ ही वह अपनी मां व बहन का ख्याल रखता था।

उठो गोलू, तुम्हें तो डॉक्टर बनना है
हादसे में बेटे अंश उर्फ गोलू को खोने के बाद पिता विजय शर्मा, मां विनीता का बुराहाल था। पिता बेटे के शव को देखकर बार-बार यही कह रहा था, उठो गोलू तुम्हें तो डॉक्टर बनना है। तुमने तो मेरे सपने अधूरे छोड़ दिए। कभी वह पत्नी को संभलता तो कभी बेटे के शव के पास दहाड़े मार-मारकर रोता। परिवार के लोग उसे ढांढस बंधाते रहे। बैरी बाघपुर के रहने वाले विजय शर्मा ने बताया कि वह पंकज शर्मा का साला है। भांजी के तिलक समारोह में शामिल होने परिवार के लोग मुर्रा डेरापुर गए थे। बताया कि बेटा अंश शर्मा उर्फ गोलू नीट की तैयारी कर रहा है। उसने डॉक्टर बनाने का सपना देखा था, जबकि छोटा बेटा तनिष्क एयरफोर्स में है।

नातिन की शादी के लिए संजय ने बढ़ाई थी छुट्टी
बीएसएफ जवान संजय शर्मा मूलरूप से मुर्रा डेरापुर के रहने वाले थे। उनके भतीजे पंकज की बेटी सुगम का चार फरवरी को तिलक था। हादसे में संजय की मौत के बाद बेटा शिवम जिला अस्पताल में बेसुध रोता बिलखता रहा। शिवम ने बताया कि पिता बीएसएफ के एसटीसी टेकनपुर ग्वालियर में एएसआई के पद पर तैनात थे। छह जनवरी तक छुट्टी लेकर घर आए थे लेकिन चाचा की बेटी का तिलक होने के कारण दो दिन पहले ही छुट्टी बढ़वाई थी। बताया कि परिवार बर्रा-4 कानपुर में रह रहा है। संजय की मौत के बाद पत्नी ममता, छोटा बेटा, सत्यम शर्मा, उनके रिश्तेदार ज्ञान प्रकाश शर्मा जिला अस्पताल में बिलखते रहे। शिवम ने बताया कि अनंतराम टोल पहुंचने पर उसने पापा से फोन पर बात की थी। इस पर पापा ने बताया कि कुछ देर वह गांव पहुंच जाएंगे।

तीव्र मोड़ औरर बारिश की फिसलन बनी हादसे की वजह

थाना क्षेत्र के जगन्नाथपुर गांव के पास जिस जगह पर कार बेकाबू होकर नाले में पलटी, वहां पर तीव्र मोड़ है, ऊपर से बारिश होने के कारण सड़क पर बहकर आई मिट्टी की वजह से फिसलन हो गई थी। हादसे के बाद पुलिस भी इन्हीं बिंदुओं पर जांच कर रही है। पुलिस का भी मानना है कि अचानक से ब्रेक लगाने से गाड़ी का संतुलन बिगड़़ने से पलटी होगी। पुलिस को भी काफी दूर से टायर मार्क (रगड़ के निशान) मिले हैं। पुलिस ने फोरेंसिक टीम व टेक्निकल टीम बुलाकर जांच कराई।

जांच में मौके पर टायर रगड़ने के निशान मिलें हैं

घटनास्थल पर मौजूद कुछ लोगों ने पुलिस को बताया कि गांव से पहले तीव्र मोड़ होने के कारण कई बार पहले भी हादसे हो चुके हैं। यहां पर न तो कोई ब्रेकर है और न ही संकेतक लगा है। अनजान राहगीरों को मोड़ का अंदाजा नहीं लग पाता और अक्सर हादसे का शिकार हो जाते हैं। रविवार रात बारिश होने के बाद बढ़ी फिसलन और तीव्र मोड़ भी हादसे का कारण मानी जा रही है। एसपी बीबीजीटीएस मूर्ति ने बताया कि जांच में मौके पर टायर रगड़ने के निशान मिलें हैं। इससे पता चलता है कि चालक ने तीव्र मोड़ होने पर गाड़ी रोकने का प्रयास किया लेकिन गाड़ी फिसलने के बाद नाले में पलट गई। हादसे की जांच की जा रही है।

डोली उठने से पहले उठी अर्थियां, हर आंख हुई नम

बेटी सुगम के हाथ पीले करने से पहले पिता पंकज को दो बेटी, भाई और चाचा को कंधा देना पड़ा। जिस घर से डोली उठनी थी उस घर व परिवार के छह लोगों की अर्थी उठी। हादसे को लेकर गांव का हर कोई गमगीन दिखा और लोगों की आंखें नम हो गईं। सुगम को विश्वास भी नहीं हो रहा था कि कुछ घंटे पहले जिस घर में ढोलक, मंजीरों की धुन, मंगलगीत सुनाई दे रहे थे। वहीं, मातम के साथ चीखपुकार सुनाई दे रही है।

सब कुछ छिन गया, किसी की नजर लग गई

वह गुमसुम थी, जबकि मां सुनीता बदहवाश थी। कभी वह अपने आप को कोस रही थी तो कभी एक-दूसरे के चेहरे को देखकर सिसकियां भर रही थी। सुगम के तिलक चढ़ाने जाने और छह फरवरी को शादी होने को लेकर काफी रिश्तेदार घर आ चुके थे। हर कोई सुगम के वैवाहिक जीवन में बंधने को लेकर खुश था। सुगम भी अपनी लाडली बहन प्राची, खुशबू के साथ तैयारी में जुटी थी। जब उसे हादसे की खबर मिली तो अचेत होकर गिर पड़ी। लोगों ने उसे किसी तरह से संभाला। इसके बाद शादी की खुशियां मातम में बदल गई। कभी सुगम मां को संभाल रही थी को कभी मां व रिश्तेदार सुगम को। उसने रोते बिलखते सिर्फ इतना ही कहा कि सब कुछ छिन गया, किसी की नजर लग गई।

कृषक दुर्घटना के तहत पीड़ित परिवार की होगी मदद

हादसे की जानकारी मिलने के बाद जिलाधिकारी आलोक सिंह के निर्देश पर एसडीएम डेरापुर शालिनी उत्तम, नायब तहसीलदार अनुरुद्ध सिंह टीम के साथ मुर्रा डेरापुर पहुंची। यहां पर पीड़ित परिवार के कुछ लोगों व ग्रामीणों से जानकारी ली। एसडीएम ने परिवार के लोगों को ढांढस बंधाया। एसडीएम ने बताया कि राजस्व टीम के साथ वह गांव पहुंची थी। परिवार के जिम्मेदार लोग नहीं मिले हैं। इस कारण से खेती की जानकारी नहीं मिल सकी है। नियमानुसार पीड़ित परिवार की कृषक दुर्घटना बीमा योजना के तहत मदद की जाएगी।

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