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यह है अयोध्या का रेड जोन, लोग कहते हैं रामलला के साथ हम भी सुरक्षित

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राजीव नयन धरें धनु सायक।

भगत बिपती भंजन सुखदायक।।

यानी, कमल जैसे नयन वाले भगवान राम अपने भक्तों की विपत्तियों का नाश करके उन्हें सुख प्रदान करने के लिए सदैव हाथ में धनुषबाण धारण किए रहते हैं।

अयोध्या…। यह तारबंदी और चाक-चौबंद सुरक्षा में सांस लेने वाली अयोध्या का रेड जोन है। रामलला विराजमान से चारों दिशाओं में 500 मीटर तक इसकी सरहदें हैं। यहां अपने घर आने के लिए भी आईडी कार्ड दिखाना होता है। इसकी संकरी से संकरी गली सीसीटीवी से लैस है। बाहरी इलाके में चेक पोस्ट और बैरिकेडिंग हैं। 24 घंटे सातों दिन यहां हथियारों से लैस पुलिस तैनात रहती है। अगर आपका घर इस इलाके में है, तो आपके घर बिन बुलाए मेहमानों के आने की संभावना जीरो है। वैसे जीरो तो यहां क्राइम भी है। शायद पुख्ता सुरक्षा का असर है।

35 सालों से अपनी छत से हर सुबह अयोध्याजी के तीन सबसे बड़े मंदिर रामलला, हनुमानगढ़ी और कनक भवन के दर्शन करनेवाले संकेत मिश्रा 1992 तक मंदिर से 50 मीटर दूर धार्मिक किताबों की दुकान चलाते थे। पास ही के आनंद मंदिर में परिवार रहता था। कहते हैं, हम राष्ट्रपति जैसी सुरक्षा का एहसास करते हैं। रामलला की तरह हम भी सुरक्षित हैं। हमारे मोहल्ले के घरों में डोर बेल लगाने की जरूरत नहीं, क्योंकि मेहमान से पहले मोबाइल पर फोन आता है। सिक्योरिटी वाला पूछता है-फलां-फलां को आने दें?

टेढ़ी बाजार से रामजन्मभूमि को जानेवाले रास्ते से शुरू होती है यलो और रेड जोन की हदें। जन्मभूमि वाली ओर ऊंची मोटे सरियों की जालियों के साथ रेड जोन, बीच में सड़क और दूसरी ओर यलो जोन। 77 एकड़ के रामजन्मभूमि परिसर को छोड़ दें, तो लगभग 2,000 एकड़ में फैला है यह देश का सबसे हाईसिक्योरिटी इलाका।

90 साल की गयावती हिंदी नहीं जानती, अवधी भी नहीं। वो मिथिला से हैं। मैथिली में राजाराम को गाली देना अपना अधिकार समझती हैं। उनकी एक बहू दरभंगा और दूसरी जनकपुर से है। दुल्हा धीरे-धीरे चलीयौ जनकपुर में गुनगुनाने लगी हैं। उन्हीं की पड़ोसन 80 साल की बुजुर्ग ठकुराइन चाची लक्ष्मीणा देवी कहती हैं, रामलला पर आतंकी हमला हुआ तो 24 घंटे हम घर की छत पर रहे, आंगन मा खून पड़न रहा, हमऊ ईंटी धरे रहली, जब आंतकी अइहें त हमहुं ईंटा गुम्मा चलाइब जा।

कारसेवक जब आए तो उनके मोहल्ले की बेटी-बहुओं ने हर घर से पूड़ी-सब्जी बनाकर साथ बांधी थी। शम्मी इसी मोहल्ले की बहू हैं। उनकी सास उन्हें ढांचा गिरने के वक्त की कई कहानियां सुनाती हैं। इलाके में 6,000 वोटर हैं और उनमें से 45% महिलाएं। पार्षद भी महिला ही हैं। पिछले तीन बार से चमेला वर्मा पार्षद का चुनाव जीत रही हैं। हालांकि इलाके में अच्छे-खासे मुस्लिम वोटर हैं, लेकिन फिर भी वो अपनी विरोधी मुस्लिम कैंडिडेट को हरा देती हैं।

इलाके में रहनेवाले ज्यादातर लोगों का काम मंदिर से जुड़ा है। कोई पूजन सामग्री की दुकान चलाता है, तो कोई पीतल के सामान की। किसी का प्रसाद का काम है, तो किसी का पोशाक का। शम्मी कहती हैं…जयपुर, जनकपुर और समस्तीपुर से उनके नाते-रिश्तेदारों के लगातार फोन आ रहे हैं। सब नए मंदिर में बैठे रामलला के दर्शन करना चाहते हैं। उनके यहां वैसे भी इतने रिश्तेदार-मेहमान आते हैं कि दिन का खाना चार बजे से पहले नहीं होता। घर के ड्राइंग रूम को वो डॉरमेट्री बना चुकी हैं। वहां अब एक साथ 15 बिस्तर लगे हैं। यही नहीं, घर में इतने सारे रजाई गद्दे खरीद लिए हैं, मानों घर में बेटी का ब्याह हो।

हालांकि उन्होंने अब किसी भी रिश्तेदार को 25 जनवरी के बाद ही आने को कह दिया है। जिन्हें ट्रस्ट का न्योता है, उसके अलावा कोई बाहरी यहां 17 तारीख के बाद नहीं आ पाएगा। रेड-यलो जोन ही नहीं, सभी होटल-लॉज-धर्मशालाओं और मठों में पुलिस बकायदा चेकिंग कर रही है, कहीं बाहरी तो नहीं रह रहे। आखिर कई हजार अति से भी अति विशिष्ट अतिथियों की आवभगत का सवाल है। अयोध्या अब तैयार हो रही है…देश के सबसे बड़े उत्सव के लिए।

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