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होटलों का गृहकर कम होगा, पर्यटन को मिलेगा बढ़ावा, पढ़ें योगी कैबिनेट के महत्वपूर्ण फैसले

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अयोध्या में श्री रामलला के प्राण प्रतिष्ठा के साथ ही सरकार प्रदेश में पर्यटन को बढ़ावा देने की दिशा में महत्वपूर्ण फैसला किया है। इसके लिए सरकार होटलों के प्रापर्टी टैक्स को कम करने जा रही है। सरकार ने होटलों को उद्योग का दर्जा देते हुए इनपर लगने वाले गृहकर में भारी कमी करने का फैसला किया है। मौजूदा समय में होटलों से आवासीय भवनों पर लगने वाले गृहकर से छह गुना अधिक गृहकर ली जा रही है। सरकार के फैसले के बाद अब सिर्फ तीन गुना गृहकर लिया जाएगा। इससे संबंधित नगर विकास विभाग के प्रस्ताव को बृहस्पतिवार को कैबिनेट बाई सर्कुलेशन मंजूरी दे दी गई है। बता दें कि प्रदेश में होटलों पर गृहकर की दरें अलग-अलग तय की गई हैं। चार सितारा से कम की रेटिंग वाले होटलों से आवासीय का पांच गुणा गृहकर लिया जाता है। चार सितारा व इससे अधिक की रेटिंग वाले होटलों से यह छह गुणा वसूला जाता है। जिन होटलों में बार की सुविधा होती है, फिर चाहे वे किसी भी श्रेणी के हों, उनका टैक्स आवासीय भवनों का छह गुणा लिया जाता

प्रदेश में होटल व्यवसाय को बढ़ावा देने के लिए ही सरकार ने इन्हें राहत देने का निर्णय लिया है। उत्तर प्रदेश पर्यटन नीति 2022 में होटलों को उद्योग का दर्जा दिया गया है। नगर विकास विभाग ने गृहकर कम करने के लिए निर्धारित प्रारूप में आपत्तियां व सुझाव मांगे थे। गुरुवार को इनका गृहकर कम करने का प्रस्ताव कैबिनेट ने पास कर दिया है। गृहकर में छूट उन्हीं होटलों को मिलेगी, जो पर्यटन विभाग में पंजीकृत होंगे। अगर किसी होटल का पंजीकरण पर्यटन विभाग में नहीं होगा तो उन्हें छूट नहीं दी जाएगी।

प्रदेश के 17 नगर निगमों में जो होटल हैं उसमें वर्ष 2022-23 में 48.36 करोड़ रुपये का गृहकर वसूला गया था। प्रापर्टी टैक्स की दरें कम होने से नगर निगमों की आय में कुछ कमी हो सकती है। हालांकि, विभागीय अधिकारियों का मानना है कि इससे होटल व्यवसाय में तेजी आएगी और नए होटल खुलेंगे। इससे प्रापर्टी टैक्स भी बढ़ने की उम्मीद है।

 

पुरानी नीति के बजाय नई नीति का लाभ ले सकेंगे निवेशक

उत्तर प्रदेश औद्योगिक प्रोत्साहन एवं रोजगार प्रोत्साहन नीति 2022 का लाभ वर्ष 2017 की पुरानी नीति के तहत आवेदन करने वाले निवेशकों को भी मिलेगा। कैबिनेट ने इस प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है। उत्तर प्रदेश में निवेश की राह और आसान हो गई है। प्रदेश में पहले से निवेश करने वाले उद्यमियों की पुरानी मांग को सरकार ने स्वीकार कर लिया है। उद्यमियों ने मांग की थी कि पुरानी नीति का लाभ लेने वाले निवेशकों के लिए भी एसी नीति लाई जाए, जिसके तहत नई नीति का लाभ ले सकें। इसके लिए मुख्य सचिव की अध्यक्षता में गठित इम्पावर्ड कमेटी की बैठक पिछले साल 27 सितंबर को बुलाई गई थी। इसमें औद्योगिक निवेश एवं रोजगार प्रोत्साहन नीति 2017 के क्रियान्वन संबंधी नियमावली के अंतर्गत मेगा श्रेणी के औद्योगिक उपक्रमों को विशेष सुविधाएं व रियायतें देने संबंधी संस्तुतियों को गुरुवार को पारित कर दिया गया। नई नीति में पुरानी की तुलना में ज्यादा रियायतें दी गई हैं।

वर्ष 2017 की नीति के तहत केवल स्टांप ड्यूटी में छूट का लाभ लेने वाले उद्यमी उसे वापस कर नई नाीति का लाभ ले सकेंगे। अगर निवेशक को वर्ष 2017 की नीति के तहत एलओसी (लेटर आफ कम्फर्ट) जारी हो गया है लेकिन उसका लाभ नहीं लिया है तो उसे निरस्त कर नई नीति का लाभ लिया जा सकेगा। कुल मिलाकर पुरानी नीति का लाभ वापस करने पर ही नई नीति का लाभ लिया जा सकेगा। भूमि पूजन समारोह की तैयारी में इस प्रस्ताव का काफी असर पड़ेगा। बड़ी संख्या में ऐसे निवेशक हैं जो इसकेे इंतजार में थे। प्रस्ताव पर मुहर लगने के बाद भूमि पूजन समारोह में शामिल होने वाले उद्यमियों की संख्या बढ़ेगी।

अयोध्या में 365 करोड़ रुपये से बनेगा वाटर ट्रीटमेंट प्लांट

अयोध्या में आने वाले श्रद्धालुओं को शुद्ध पेयजल मुहैया कराने के लिए सरकार एक नया वाटर ट्रीटमेंट प्लांट लगाया जाएगा। अमृत योजना- दो के तहत लगने वाले प्लांट लगाने पर कुल 365.89 करोड़ रुपये खर्च होंगे। नगर विकास के इस प्रस्ताव को कैबिनेट बाई सर्कुलेशन मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने गुरुवार को मंजूरी दे दी है।

बता दें कि अमृत-दो के अंतर्गत अयोध्या में सरयू नदी जलापूर्ति स्रोत से वाटर ट्रीटमेंट प्लांट फेस-एक का काम होना है। नगर विकास विभाग ने इसके लिए प्रस्ताव तैयार करते हुए कैबिनेट से मंजूरी के लिए भेजा था। व्यय वित्त समिति द्वारा अनुमोदित लागत में 1347.82 लाख रुपये सेंटेज और 269.06 लाख रुपये लेबर सेस को शामिल करते हुए 36589.54 लाख रुपये के प्रस्ताव भेजा था, जिसे मंजूरी दी गई है। इस योजना से अयोध्या में सभी परिवारों को पाइप लाइन से शुद्ध पेयजल उपलब्ध कराया जाना है। इस योजना के अंतर्गत प्रस्तावित काम पूरा होने के बाद अयोध्या में पुनर्गठन पेयजल योजना द्वारा यहां रहने वालों को शत-प्रतिशत शुद्ध पेयजल मिलेगा।

सड़कों के रखरखाव की जिम्मेदारी पांच साल तक ठेकेदार की

प्रदेश की सभी सड़कों के रखरखाव की जिम्मेदारी पांच साल तक ठेकेदार की होगी। वर्तमान में अलग-अलग सड़कों के लिए अलग-अलग समयावधि थी, जिसे खत्म कर दिया गया है। इस फैसले से सड़कों की लागत में मामूली वृद्धि होगी क्योंकि पांच साल का रखरखाव शुल्क ठेकेदार को दिया जाएगा।

लोक निर्माण विभाग में वर्तमान में अनुबंध के तहत राज्यमार्ग, मुख्य जिला मार्ग और अन्य जिला मार्गों के रखरखाव की जिम्मेदारी ठेकेदार की एक वर्ष की होती है। अन्य ग्रामीण मार्गों में रखरखाव अवधि दो वर्ष की है। इस अवधि में कोई टूट फूट होने पर ठेकेदार उसे ठीक कराया है, जिसके लिए उसे कोई अतिरिक्त भुगतान नहीं किया जाता। केंद्र सरकार के ग्राम विकास मंत्रालय के तहत बनाए जाने वाले मार्गों के रखरखाव की अवधि पांच वर्ष है। इसका अनुसरण करते हुए उत्तर प्रदेश लोक निर्माण विभाग ने भी इसे लागू कर दिया है।

अब राज्य मार्ग, प्रमुख जिला मार्ग, अन्य जिला मार्ग, शहरी मार्ग और बायपास बनाने वाले ठेकेदार को पांच साल तक मेंटीनेंस का जिम्मा दिया जाएगा। इसके एवज में लागत का 2.5 फीसदी मेंटीनेंस शुल्क भी दिया जाएगा। ग्रामीण मार्गों में मेंटीनेंस शुल्क 7.5 फीसदी होगा। महत्वपूर्ण सड़कों के चौड़ीकरण व सुदृढ़ीकरण के लिए ठेेकेदार को 2.5 फीसदी और 5 फीसदी शुल्क अलग से दिया जाएगा। ग्रामीण मार्गों में ये शुल्क 7.5 फीसदी और 10 फीसदी होगा। सामान्य मरम्मत के साथ नवीनीकरण में मेंटीनेंस शुल्क लागत का 15 फीसदी और 25 फीसदी तक होगा। सीमेंट-कंक्रीट मार्ग में भी ठेकेगार को लागत का 2.5 फीसदी मेंटीनेंस शुल्क के रूप में दिया जाएगा।

इन सड़कों को मिली स्वीकृति
दो सड़कों को भी मंजूरी दी गई। ये प्रोजेक्ट 200 करोड़ रुपये से ऊपर के थे इसलिए कैबिनेट में लाए गए थे। इसमें गोरखपुर-महराजगंज मार्ग एचएन सिंह चौराहा से हड़हवाफाटक-जोगेश्वर पासी चौराहा होते हुए गुरु गोरक्षनाथ मंदिर तक चार लेन के चौड़ीकरण शामिल है। इसकी कुल लंबाई 4.23 किलोमीटर है। गोरखपुर में ही नकहा जंगल-गोरखपुर रेलवे स्टेशन के पास फोर लेन रेल ओवरब्रिज निर्माण को भी मंजूरी दी गई।

इंजीनियरों की भर्ती का नियम बदला
उत्तर प्रदेश लोक निर्माण विभाग सहायक अभियंता सेवा नियमावली में भी संशोधन कर दिया गया है। पहले अवर अभियंता से सहायक अभियंता के पद 40 फीसदी प्रमोशन से भरे जाते थे। शेष में से 8.33 फीसदी बीटेक वालों के लिए आरक्षित थे। 51.67 फीसदी में सीधी भर्ती होती थी। बीटेक प्रमोशन का कोटा विद्युत यांत्रिकी से खत्म कर दिया गया हैै। अब 50 फीसदी प्रमोशन और 50 फीसदी सीधे भरे जाएंगे।

किसानों को मिलता रहेगा अनुदान

प्रदेश के किसानों को पीएम कुसुम योजना में 60 फीसदी की सब्सिडी मिलती रहेगी। इसमें किसी तरह की कटौती नहीं की जाएगी। इस संबंध में बृहस्पतिवार को कैबिनेट बाई सर्कुलेशन प्रस्ताव को मंजूरी दे दी गई है। मालूम को इस योजना में 40 फीसदी किसान देते हैं, जबकि 30 फीसदी केंद्र एवं 30 फीसदी राज्य सरकार की ओर से सब्सिडी दी जाती है। ऐसे में यदि केंद्र सरकार की ओर से सब्सिडी की राशि कुल मूल्य पर तय कर दी जाती है तो भी राज्य सरकार अतिरिक्त सब्सिडी देकर इसकी पूर्ति करेगी। यानी किसानों को मिलने वाली सरकारी सब्सिडी में कोई कटौती नहीं होगी।

एनटीपीसी से हुए एमओयू को मिली मंजूरी
एनटीपीसी ओबरा में दो ऊर्जा यूनिट लगाएगी। इसे बृहस्पतिवार को हुई कैबिनेट बाई सर्कुलेशन की बैठक में मंजूरी दे दी गई है। मालूम हो कि विद्युत उत्पादन निगम और एनटीपीसी के साथ दिसंबर में एमओयू हुए थे। इसके तहत 800-800 मेगावाट की दो यूनिटें लगाई जाएंगी। सरकार की ओर से ओबरा में खाली पड़ी जमीन उपलब्ध कराई जाएगी।

अति संवेदनशील जगहों की सुरक्षा के लिए खरीदे जाएगे छह एंटी ड्रोन सिस्टम
कैबिनेट बाई सर्कुलेशन के जरिए छह एंटी ड्रोन सिस्टम खरीदने की बृहस्पतिवार को मंजूरी प्रदान कर दी गयी। इनको सुरक्षा के दृष्टिगत अति संवेदनशील अयोध्या, काशी, मथुरा, गोरखपुर और लखनऊ मे मुख्यमंत्री आवास के साथ राजभवन, विधानभवन, लोकभवन में लगाया जाना है, ताकि अति विशिष्ट महानुभावों की सुरक्षा मजबूत की जा सके। इसके अलावा लोकभवन और विधानभवन की सुरक्षा के लिए दो बख्तरबंद वाहन (महिंद्रा मार्क्स मैन) को खरीदने का प्रस्ताव भी मंजूर कर लिया गया है।

गोरखपुर में गोड़धइया नाले व रामगढ़ ताल के जीर्णोद्धार पर अब 495.23 करोड़ होंगे खर्च

राज्य सरकार ने गोरखपुर में गोड़धइया नाले और रामगढ़ ताल के जीर्णोद्धार पर खर्च होने वाली राशि बढ़ा दी है। अब इस पर 495.23 करोड़ रुपये खर्च होंगे। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने गुरुवार को कैबिनेट बाई सर्कुलेशन इस प्रस्ताव को मंजूरी दी।

अटल नवीकरण और शहरी रूपांतरण मिशन दो में गोरखपुर में गोड़धइया नाले के चैनलाइजेशन का काम किया जाना है। इसके साथ ही रामगढ़ताल के जीर्णोद्धार का काम भी होना है। इन कामों पर पहले 47442.22 लाख रुपये खर्च होने का अनुमान लगाया गया था। अब इसमें बढ़ोत्तरी हो गई है। इसको मंजूरी दे दी गई है। इन दोनों कामों से गोरखपुर के संबंधित क्षेत्रों में जलभराव की समस्या से लोगों को मुक्ति मिलेगी और इससे होने वाले रोगों पर भी नियंत्रण पाया जा सकेगा।

अपग्रेड हो रही आईटीआई में होगी विनायल फ्लोरिंग
प्रदेश में टाटा टेक्नोलॉजी लिमिटेड के सहयोग से 150 राजकीय औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थानों (आईटीआई) व प्रादेशिक स्टाफ प्रशिक्षण व शोध केंद्र अलीगंज को अपग्रेड किया जा रहा है। बृहस्पतिवार को कैबिनेट ने बाई सर्कुलेशन इन संस्थानों को सीलन आदि से बचाने के लिए विनायल फ्लोरिंग कराने का निर्णय लिया है। यह निर्णय संस्थानों के निर्माण कार्य की गुणवत्ता बेहतर करने के लिए लिया गया है।

उच्चतर न्यायिक सेवा नियमावली 2023 को जारी करने के प्रस्ताव को कैबिनेट ने दी मंजूरी
कैबिनेट ने उच्च न्यायालय इलाहाबाद द्वारा उत्तर प्रदेश उच्चतर न्यायिक सेवा नियमावली 1975 में भर्ती के स्रोत, चयन प्रक्रिया, चयन समिति परीक्षा पैटर्न और पाठ्यक्रम संबंधी नियमों में संशोधन के लिए जो प्रस्ताव उपलब्ध कराए गए थे, उन्हें मंजूरी दे दी है। उच्च न्यायालय की संस्तुति के आधार पर उत्तर प्रदेश उच्चतर न्यायिक सेवा नियमावली- 1975 में संशोधन किए जाने के लिए उत्तर प्रदेश उच्चतर न्यायिक सेवा नियमावली-2023 जारी की जाएगी।

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