कोई भी कलाकार मुंबई में कदम रखता है तो सबसे पहले सेलिब्रिटी कास्टिंग डायरेक्टर मुकेश छाबड़ा के ऑफिस ही पहुंचता है। उनके ऑफिस में हर रोज पांच हजार आर्टिस्ट काम की तलाश में पहुंचते हैं। यह देखकर उन्हें अच्छा भी लगता है और बुरा भी लगता है। बुरा इसलिए लगता है कि इतने सारे लोग बहुत सारी उम्मीदें लेकर आते हैं और सबकी उम्मीदों को पूरा नहीं किया जा सकता। और, अच्छा इसलिए लगता है कि उसमें से बहुत सारे बड़े स्टार बने भी है। मुकेश छाबड़ा एक्टिंग कोच भी हैं और खुद भी गाहे बेगाहे कैमरे के सामने आते रहते हैं। नई वेब सीरीज ‘चमक’ में भी वह अभिनय करते दिखने वाले हैं। उनसे एक खास बातचीत।
वेब सीरीज ‘चमक’ में क्या कर रहे हैं आप?
‘चमक’ में सबको चमका रहा हूं। एक तरह से देखा जाए जो काम मैं अपने निजी जीवन में कर रहा हूं वही किरदार इस सीरीज में निभा रहा हूं। । इसमें मैं डिंपी ग्रेवाल का किरदार निभा रहा हूं, जो यारों का यार है, अपने दोस्तों पर जान छिड़कता है। अपनी म्यूजिक कंपनी को बचाने के लिए बहुत मेहनत करता है। नए नए लोगों को आगे बढ़ाने में सपोर्ट करता है जो मैं निजी जिंदगी में भी करता हूं। यह सीरीज पूरी तरह से पंजाब की म्यूजिक इंडस्ट्री के बारे में हैं। 28 गाने हैं जो मलकीत सिंह और मीका सिंह जैसे गायकों ने गाए हैं।
वेब सीरीज ‘चमक’ की पूरी कास्टिंग तो आपने की, खुद का चयन अपने कैसे किया ?
मुझे खुद नहीं पता कि मैं कैसा एक्टर हूं। इसलिए खुद का चयन मैं कैसे कर सकता हूं। इस सीरीज के लिए मेरा चयन निर्देशक रोहित जुगराज ने किया। उनका ही सुझाव था कि डिंपी ग्रेवाल की भूमिका मैं निभाऊं। जब उन्होंने इस प्रोजेक्ट की कास्टिंग की जिम्मेदारी हमे सौंपी तभी उन्होंने कह दिया था कि डिंपी ग्रेवाल की कास्टिंग के अलावा सबकी कास्टिंग करनी है। इससे पहले मैं कुछ पूछता उन्होंने कह दिया कि अगर मुझे कोई दिक्कत ना हो तो वह चाहते हैं कि डिंपी ग्रेवाल की भूमिका मैं खुद ही करू।
कास्टिंग डायरेक्टर के रूप में एक एक किरदार का चयन करना कितना मुश्किल होता है?
बहुत ही मुश्किल होता है। हर निर्देशक अलग अलग तरीके से सोचता है। उसके तरीके से सोच कर किरदार का चयन करना बहुत मुश्किल होता है। जैसे कि राजकुमार हिरानी की बात करें, उनकी सोच बहुत अलग होती है। उनकी जगह पर जाकर सोचना पड़ता कि उनको किस तरह के लोग पसंद आएंगे। फिल्म में किस तरह का एक्टिंग स्टाइल होना चाहिए, जैसी तमाम बातों को ध्यान देना पड़ता है। कभी-कभी बड़े स्टार का भी अपना सुझाव होता है उस पर भी ध्यान देना पड़ता है।
आमतौर पर मुंबई में जो भी एक्टर बनने आता है वह आपके ऑफिस जरूर आता है, अब तक आपके डाटाबेस में कितने आर्टिस्ट शामिल हो गए होंगे?
कम से कम पांच लाख कलाकारों का डाटा मेरे पास है। हर दिन कम से कम पांच हजार लोग तो आते ही हैं। अच्छा भी लगता है और बुरा भी लगता है। बुरा इसलिए लगता है कि इतने सारे लोग लोग बहुत सारी उम्मीदें लेकर आते हैं। और, हम सबकी उम्मीदों को हम लोग पूरा नहीं कर सकते हैं। अच्छा इसलिए लगता है कि उसमे से कुछ लोग बन जाते हैं। और बहुत सारे बड़े स्टार बने भी है।
आप एक्टिंग कोच भी हैं, कैसे पता चलता है कि अभिनय के प्रति कितने लोग गंभीर हैं?
जब किसी कलाकार से बात होती है तो बातचीत के दौरान ही पता चल जाता है कि अभिनय के प्रति कौन कितना सीरियस है। मैं हर साल एक वर्कशॉप का भी आयोजन करता हूं जिसमें बहुत सारे आर्टिस्ट शामिल होते हैं। उसी दौरान समझ में आ जाता है कि एक्टिंग के प्रति कौन कितना सीरियस है। वैसे तो हर साल वर्कशॉप में शामिल होने के लिए बहुत सारे लोग आवेदन करते हैं, लेकिन इस वर्कशॉप में म सिर्फ 65 लोगों को ही शामिल कर पाते हैं, जिन पर ध्यान दिया जा सके।
कास्टिंग के दौरान आपकी पारखी नजर कलाकारों का चयन कैसे करती है ?
जब काम का अनुभव बढ़ता जाता है तो उस काम में आपका कंट्रोल भी बढ़ता जाता है। पहली बात तो जो लोग मेरे साथ काम कर रहे हैं, उनका चयन बहुत ही सोच समझकर करता हूं ताकि कोई मेरे काम का दुरुपयोग न करें। जब आप सही लोगों को चुनते हैं तो आपका काम सही चलता है। आप कितनी भी बड़ी कंपनी क्यों न चलाएं आपके साथ अच्छे लोग होने चाहिए। अगर आपके साथ अच्छे लोग ना हो तो आप डूब जाएंगे। मेरी कास्टिंग टीम में 100 लोग हैं। मेरे टीम में जो सीनियर है वह शॉर्टलिस्ट करके मुझ तक पहुंचते हैं, वह मैं सब देखता हूं। उन्हें पता है कि मेरी क्या पसंद है और कास्टिंग को लेकर मेरा नजरिया क्या है।
आपकी कास्टिंग कंपनी से बहुत सारे स्टार निकले हैं, पहली ही नजर में कैसे भांप जाते हैं कि आगे चलकर वह बहुत बड़ा स्टार बनेगा ?
पता नहीं, शायद ऊपर वाले की तरफ से इशारा मिल जाता है कि विकी कौशल, राजकुमार राव या और लोग एक दिन बहुत बड़ा स्टार बनेंगे। मुझसे कई लोग यह सवाल पूछते हैं , मैं बोलता हूं जब मैं ऐसे लोगों से मिलता हूं तो मेरे दिल में कुछ अलग तरह की फीलिंग होती है और मुझे लगता कि उसके अंदर एक कामयाब स्टार बनने की पूरी कूबत है। राजकुमार राव ने आज तक जितने भी ऑडिशन दिए कभी फेल नहीं हुए। मेरे साथ ‘गैंग्स ऑफ वासेपुर’, ‘काई पोचे’, ‘शाहिद’, ‘बरेली की बर्फी’ या और भी बहुत सारी फिल्में की हैं।
और, स्टार बनने के बाद व्यवहार में क्या बदलाव आता है?
मेरे प्रति तो किसी भी स्टार के व्यवहार में कोई भी बदलाव नहीं आया। सभी मुझे बहुत प्यार करते हैं। सभी स्टार मेरे दोस्त ही है। जब स्टार आपके दोस्त होते हैं तो आपको एक अलग तरह की फीलिंग होती है और साथ काम करने में काफी मजा आता है।
आपने फिल्म ‘दिल बेचारा’ का निर्देशन भी किया, उसके क्या सबक रहे?
‘दिल बेचारा’ के के सेट पर मैने जितना भी वक्त सुशांत सिंह राजपूत के साथ बिताया, एक- एक पल याद आता रहता है। सुशांत सिंह राजपूत के जाने के बाद हर दिन उनकी याद आती है। जब कोई इंसान आपकी जिंदगी में नहीं होता है तो उसकी बहुत याद आती है। फिल्म में संजना सांघी को मैंने सबसे पहले ‘रॉकस्टार’ में कास्ट किया था। जो भी उसने सीखा है काम करके ही सीखा है। ‘रॉकस्टार’ के बाद उसने हमारे वर्क शॉप में भी एक्टिंग सीखी है। उसने जो कुछ भी सीखा है एक प्रोसेस में रहकर सीखा है, वह बहुत कमाल की बात है।
अगली फिल्म कब निर्देशित कर रहे हैं?
अभी एक लव स्टोरी प्लान कर रहा हूं। कोशिश यही है कि अगले साल शुरू हो जाए।