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आमिर खान ने सिखाई सीन और संवाद याद करने की ये अद्भुत तकनीक, अक्षय ने कहा, काम करते रहो

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निर्माता, निर्देशक अनुराग कश्यप की फिल्म ‘शैतान’ से हिंदी सिनेमा में डेब्यू करने वाले अभिनेता शिव पंडित खुद को काफी भाग्यशाली मानते हैं कि उन्हें अक्षय कुमार, मिथुन चक्रवर्ती, आमिर  खान और सिद्धार्थ मल्होत्रा जैसे स्टार्स के साथ काम करने का मौका मिला है। शिव पंडित अपनी आने वाली फिल्म ‘शास्त्री विरुद्ध शास्त्री’ में परेश रावल के साथ काम कर रहें हैं। शिव पंडित से ‘अमर उजाला’ की एक खास बातचीत।

फिल्म ‘शास्त्री विरुद्ध शास्त्री’ के बारे में पाठकों को कुछ बताना चाहेंगे?
इस फिल्म में मैं पहली बार पिता की भूमिका निभा रहा हूं। यह फिल्म पिता और पुत्र की कहानी है। परेश रावल जी मेरे पिता की भूमिका निभा रहे हैं और मैं उनका बेटा बना हूं। साथ ही मैं भी इसमें पिता की भूमिका निभा रहा हूं। यह फिल्म एक संवेदनशील मुद्दे आधरित है, इससे न केवल दर्शकों का मनोरंजन होगा बल्कि वे मार्मिक और प्रासंगिक सामाजिक आख्यानों पर भी गौर करेंगे। इस फिल्म का क्लाइमेक्स ऐसा है कि उससे आधे दर्शक सहमत रहेंगे और आधे दर्शक सहमत नहीं रहेंगे। यह फिल्म लोगों को सोचने पर मजबूर करेगी, यही इस फिल्म की जीत होगी।

परेश रावल जैसे दिग्गज अभिनेता के साथ करने का अनुभव कैसा रहा?
वह बहुत बड़े कलाकार और बहुत बड़े दिलवाले इंसान हैं। इस फिल्म की शूटिंग के दौरान उन्होंने मुझे बहुत ही सहज करवाया। इस फिल्म में मेरा 90 प्रतिशत काम उन्हीं के साथ है। मेरे अंदर शूटिंग के दौरान घबराहट होती है लेकिन मैं यह नहीं सोचता कि मेरे सामने अक्षय कुमार हैं, मिथुन चक्रवर्ती या फिर आमिर खान हैं। मैने परेश रावल जी के बेटे आदित्य रावल के साथ भी वेब सीरीज ‘बंबई मेरी जान’ में काम किया है।

अपनी पहली फिल्म ‘शैतान’ से जुड़ी कुछ खास यादें शेयर करना चाहे?
यह फिल्म मेरे दिल के बहुत करीब है। इस फिल्म को बेजॉय नांबियार ने निर्देशित किया था। वह बहुत ही काबिल निर्देशक हैं। मुझे इसमें राजीव खंडेलवाल, गुलशन देवैया, नील भूपलम, कीर्ति कुल्हारी, कल्कि और  राजकुमार राव के साथ काम करने का मौका मिला।। फिल्म को रिलीज हुए 12 साल हो गए हैं और आज भी सभी से मेरी दोस्ती है। इस फिल्म के निर्माता अनुराग कश्यप थे, हमेशा मुझे इस बात का मलाल रहता है कि उनके निर्देशन में मुझे काम करने का मौका नहीं मिला।

अक्षय कुमार से आपने क्या सीखा?
फिल्म ‘बॉस’ में काम करने के दौरान उनकी एक बात मुझे बहुत अच्छी लगी कि हमेशा काम करते रहो। उनके दिमाग में यह बात बहुत स्पष्ट रहती है। उनके जीवन में काफी उतार चढ़ाव रहे हैं फिर भी वह नंबर वन की पोजीशन में आ ही जाते हैं। उन्होंने मुझे एक बात सिखाई कि हमेशा काम करते रहो क्योंकि  काम करना बहुत जरूरी है। जब काम नहीं होता है तो आदमी सोच विचार में पड़ जाता है, लाचार हो जाता है। अगर आप ज्यादा सोचेंगे तो कंफ्यूज हो जायेंगे। मेरे हिसाब से यह बहुत सही चीज है कि बिना कुछ सोचे हमेशा काम करते रहो।

और, आमिर खान से…?
फिल्म ‘लाल सिंह चड्ढा’ की शूटिंग के दौरान एक दिन आमिर खान के साथ टेंट में अकेले बैठा हुआ था। उनको शूटिंग के दौरान कभी स्क्रिप्ट पढ़ते नहीं देखा। उनको एक- एक सीन के डायलॉग याद रहते हैं।  मैंने उनसे पूछा कि कैसे आप इतना अच्छा काम कर लेते हैं? वह उठे, एक रजिस्टर लेकर आए और  बोले, ‘मैं फिल्म की स्क्रिप्ट पढ़ता हूं और पूरी स्क्रिप्ट के एक-एक सीन को अपने हाथों से रजिस्टर पर दो-तीन बार लिखता हूं। लिखने से मुझे रियाज हो जाता है।’ उनके इस फार्मूले को मैंने भी आजमाया है, यह डायलॉग को याद करने और किरदार को समझने का बहुत ही अद्भुत फार्मूला है।

छोटे पर्दे को कितना मिस करते हैं?
मैं टेलीविजन इंडस्ट्री का बहुत आभारी हूं। उसने मुझे वह बनाया है, जो मैं आज हूं। धारावाहिक ‘एफआईआर’ में हनुमान प्रसाद के किरदार ने मुझे खूब लोकप्रियता दिलाई। फिल्मों में सक्रियता बढ़ने के बाद भी कुछ टीवी शो के ऑफर आए थे, लेकिन नहीं कर पाया। फिल्मों में मुझे कॉमेडी किरदार निभाने की बहुत तमन्ना है।

 

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