स्टालिन ने कहा कि इस मामले को गौर करने के लिए सरकार द्वारा 22 दिसंबर, 2021 को मद्रास उच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीश,एन ऑथिनाथन के नेतृत्व में छह सदस्यीय समिति का गठन किया गया था।
समिति, ने 28 अक्टूबर, 2022 को अपनी रिपोर्ट सौंपी और उसने 264 आजीवन दोषियों की रिहाई की सिफारिश की।
तमिलनाडु विधानसभा में मंगलवार को मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने आजीवन कारावास की सजा काट रहे मुस्लिम कैदियों के प्रति उमड़े अन्नाद्रमुक के अचानक प्रेम की आलोचना की , जबकि मुख्य विपक्षी दल ने नागरिकता संशोधन अधिनियम जैसे केंद्र के कदमों का आंखें बंद करके समर्थन किया था।
तमिलनाडु विधानसभा में मंगलवार को मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने आजीवन कारावास की सजा काट रहे मुस्लिम कैदियों के प्रति उमड़े अन्नाद्रमुक के अचानक प्रेम की आलोचना की , जबकि मुख्य विपक्षी दल ने नागरिकता संशोधन अधिनियम जैसे केंद्र के कदमों का आंखें बंद करके समर्थन किया था।
इस मामले के लेकर विपक्ष के नेता एडप्पादी के पलानीस्वामी के नेतृत्व में अन्नाद्रमुक विधायकों ने सदन से वॉक आउट किया।
मुस्लिम कैदियों की समयपूर्व रिहाई की याचिका से संबंधित एक विशेष ध्यानाकर्षण प्रस्ताव का जवाब देते हुए, मुख्यमंत्री ने आजीवन कारावास की सजा काट रहे कैदियों की समयपूर्व रिहाई के संबंध में सरकार द्वारा उठाए गए कदमों के बारे में विस्तार से बताया।
पलानीस्वामी ने वृद्धावस्था और बीमारी जैसे कारकों को ध्यान में रखते हुए पिछले लगभग 20 से 25 वर्षों से जेल में बंद 36 मुस्लिम कैदियों की रिहाई की अपील की है।
स्टालिन ने कहा कि इस मामले को गौर करने के लिए सरकार द्वारा 22 दिसंबर, 2021 को मद्रास उच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीश,एन ऑथिनाथन के नेतृत्व में छह सदस्यीय समिति का गठन किया गया था।
समिति, ने 28 अक्टूबर, 2022 को अपनी रिपोर्ट सौंपी और उसने 264 आजीवन दोषियों की रिहाई की सिफारिश की।
स्टालिन ने बताया कि पहले चरण में, सरकार ने उचित विचार-विमर्श के बाद, 49 आजीवन कारावास की सजा काट रहे कैदियों की फाइलें 24 अगस्त, 2023 को राज्यपाल आरएन रवि को उनकी मंजूरी के लिए भेजीं।
राज्यपाल की मंजूरी है जरूरी
उन्होंने बताया कि इनमें से 20 मुस्लिम कैदी हैं। स्टालिन ने कहा, राज्यपाल की मंजूरी मिलने के बाद सभी कैदियों को रिहा कर दिया जाएगा। वहीं, बाकी दोषियों की रिहाई पर सरकार आगे की कार्रवाई करेगी, जिनकी रिहाई की सिफारिश पैनल ने की है।
स्टालिन ने बताया कि इस साल 8 अक्टूबर तक 335 आजीवन कारावास की सजा काट चुके कैदियों को समय से पहले रिहा किया गया है और उनमें से नौ मुस्लिम कैदी हैं।
उन्होंने कहा, “कुछ लोग यह धारणा बनाने की कोशिश कर रहे हैं कि किसी भी मुस्लिम कैदी को रिहा नहीं किया गया और इस संबंध में कोई कार्रवाई नहीं की गई।” उन्होंने कहा कि सरकार उचित कानूनी कार्रवाई कर रही है।
दस साल तक क्यों आखें थी बंद
पलानीस्वामी की मुस्लिम कैदियों की रिहाई के लिए वकालत का जिक्र करते हुए, स्टालिन ने जानना चाहा कि अन्नाद्रमुक ने इस मामले पर अपनी आंखें क्यों बंद कर लीं, जबकि वह 10 साल तक सत्ता में थी।
सीएम ने सवाल किया कि एआईएडीएमके शासन (2011-21) के दौरान मुस्लिम कैदियों की समयपूर्व रिहाई पर कुछ क्यों नहीं किया गया, जबकि उसने धर्मपुरी बस जलाने के मामले में दोषियों को रिहा कर दिया था।
इसके अलावा, स्टालिन ने कहा, “हम जानते हैं, और उससे भी अधिक, अल्पसंख्यक समुदाय के भाई-बहन जानते हैं कि मुस्लिम कैदियों के प्रति एआईएडीएमके के “अचानक पैदा हुए प्रेम” के पीछे का कारण क्या है, जिसने मुस्लिम कैदियों की रिहाई के लिए थोड़ी सी भी कार्रवाई नहीं की, बल्कि उसने संशोधित नागरिकता कानून और कैदियों ने भी संशोधन अधिनियम और केंद्र की राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर संबंधी पहल का “आँखें बंद कर” समर्थन किया था।