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कब्जा बरकरार रखने में सपा और सेंध लगाने में भाजपा ने झोंकी ताकत, आजमगढ़ और रामपुर में दोनों दल लगा रहे जोर

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भाजपा-सपा

रामपुर और आजमगढ़ लोकसभा सीट को यूं तो सपा की परंपरागत सीट माना जाता है। 2014 और 2019 की मोदी लहर में भी इन सीटों पर सपा का वर्चस्व कायम रहा था, लेकिन 2022 में रामपुर और आजमगढ़ सीट पर हो रहे उपचुनाव में सपा ने अपना कब्जा बरकरार रखने में पूरी ताकत झोंकी है वहीं भाजपा सेंध लगाने में अपनी ताकत झोंक रही है।

भाजपा ने रामपुर में घनश्याम लोधी को प्रत्याशी बनाया है। लोधी सपा से विधान परिषद सदस्य रहे हैं। उन्होंने विधानसभा चुनाव से पहले ही सपा छोड़कर भाजपा की सदस्यता ग्रहण की थी। वहीं सपा ने रामपुर में आजम के करीबी आसीम राजा को प्रत्याशी बनाया है। बसपा ने रामपुर उप चुनाव में प्रत्याशी घोषित नहीं किया है। रामपुर में सपा के आसीम राजा और भाजपा के घनश्याम लोधी के बीच सीधा मुकाबला है।

भाजपा ने रामपुर सीट पर चुनाव की कमान प्रदेश सरकार के वित्त मंत्री सुरेश खन्ना को सौंपी है। खन्ना के नेतृत्व में डेढ़ दर्जन से अधिक मंत्री, पश्चिमी यूपी के पार्टी विधायक और पदाधिकारियों ने चुनाव प्रबंधन और प्रचार में ताकत लगाई है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने प्रचार के अंतिम दिन मंगलवार को रामपुर में रैली की है। वहीं प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह, उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य के भी दौरे हो चुके हैं। वहीं सपा की ओर से इस सीट की कमान विधायक आजम खां के हाथ है। रामपुर मुस्लिम बहुल सीट है और मुस्लिम मतदाताओं में आजम की लोकप्रियता है। करीब 26 महीने जेल में रहने के बाद लौटे आजम सभाओं में उन पर जेल में हुए अत्याचार को बताते हुए भावुक हो जाते हैं। इसका असर भी मुस्लिम मतदाताओं पर पड़ रहा है।

आजमगढ़ में मुलायम, अखिलेश के बाद धर्मेंद्र की बारी  
सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव के इस्तीफे से खाली हुई आजमगढ़ सीट को भी पार्टी ने प्रतिष्ठा का प्रश्न बनाया है। सपा ने इस सीट से धर्मेंद्र यादव को उम्मीदवार बनाया है। हालांकि अखिलेख यादव, पत्नी डिंपल यादव और पार्टी संरक्षक मुलायम सिंह यादव यहां प्रचार में नहीं उतरे। पार्टी विधायक शिवपाल सिंह यादव ने भी चुनाव से दूरी बना रखी है। मुलायम, अखिलेश और डिंपल को छोड़कर पूरा कुनबा प्रचार में जुटा है। पार्टी के अधिकांश नेताओं ने भी आजमगढ़ की गली मोहल्लों तक में दस्तक दी है। पार्टी का प्रयास है कि यहां मुलायम, अखिलेश के बाद धर्मेंद्र के रूप में यादव परिवार का कब्जा बरकरार रहे।
बसपा ने यहां शाह आलम उर्फ गुड्डू जमाली को प्रत्याशी बनाया है। गुड्डू आजमगढ़ की मुबारकपुर सीट से बसपा विधायक भी रहे हैं। गुड्डू ने सपा के मुस्लिम वोट बैंक में सेंध लगाने के लिए पूरी ताकत झोंकी है, लेकिन गुड्डू की रणनीति को फेल करने के लिए सपा ने विधायक आजम खां और उनके विधायक बेटे अब्दुल्ला आजम को चुनाव प्रचार में उतारा है।

वहीं,  भाजपा ने आजमगढ़ सीट पर भोजपुरी फिल्म अभिनेता दिनेश लाल यादव निरहु्आ को दूसरी बार उम्मीदवार बनाया है। पार्टी ने चुनाव की कमान कृषि मंत्री सूर्यप्रताप शाही को सौंपी है। पूर्वांचल से आने वाले योगी सरकार के सभी मंत्री और विधायक प्रचार में जुटे हैं। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भी आजमगढ़ में चुनावी सभाएं कर आजमगढ़ का नाम बदलकर आर्यनगढ़ करने की बात कर चुनाव को राष्ट्रवाद के मुद्दे पर लाने की कोशिश की। आजमगढ़ में भाजपा को उम्मीद है कि बसपा के गुड्डू जमाली यदि मुस्लिम वोट बैंक में अच्छीखासी सेंध लगाने में सफल हुए तो निरहुआ मजबूती से खड़े हो सकते है।

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