केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (सीडीएससीओ) के तहत औषधि तकनीकी सलाहकार बोर्ड ने निकोटिन रिप्लेसमेंट थेरेपी (एनआरटी) को औषधि और प्रसाधन सामग्री नियमों की अनुसूची में रखने का प्रस्ताव दिया है।
चिकित्सा विशेषज्ञों का कहना है कि निकोटिन रिप्लेसमेंट थेरेपी को प्रिस्क्रिप्शन दवा की श्रेणी में नहीं रखा जाना चाहिए। क्योंकि इससे बिना डॉक्टर के पर्चे के यह दवा लोगों को उपलब्ध नहीं होगी और इससे ये थेरेपी बड़ी संख्या में ऐसे लोगों की पहुंच से बाहर हो जाएगी जो स्वेच्छा से धूम्रपान की लत छोड़ना चाहते हैं।केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (सीडीएससीओ) के तहत औषधि तकनीकी सलाहकार बोर्ड ने निकोटिन रिप्लेसमेंट थेरेपी (एनआरटी) को औषधि और प्रसाधन सामग्री नियमों की अनुसूची में रखने का प्रस्ताव दिया है ताकि भविष्य में इसे केवल डॉक्टर की सलाह के बाद ही सेवन किया जा सके। गौरतलब है कि एनआरटी के तौर पर निकोटिन पोलाक्रिलेक्स गम, लोजेंज और ट्रांसडर्मल पैच का उपयोग किया जाता है। विशेषज्ञों का कहना है कि धूम्रपान छोड़ने के प्रयासों की तुलना में एनआरटी से यह लत छूटने की संभावना 50 प्रतिशत बढ़ जाती है।
धूम्रपान बड़ी चुनौती
नई दिल्ली स्थित एम्स में सामुदायिक चिकित्सा विभाग के पूर्व प्रमुख डॉ. चंद्रकांत एस पांडव ने कहा देश में धूम्रपान एक बड़ी चुनौती है, क्योंकि 28.6 फीसदी वयस्क इसकी चपेट में हैं। बिना डॉक्टरी सलाह के एनआरटी तक आसान पहुंच लोगों के लिए यह लत छोड़ना आसान बनाती है। क्योंकि इसके इस्तेमाल से लोगों में तंबाकू की तलब घटती है और वह निकोटिन को छोड़ पाते हैं। नई दिल्ली स्थित सर गंगा राम अस्पताल की डॉ. सजीला मैनी भी उनकी राय से सहमत हैं। उन्होंने कहा कि धूम्रपान की आदत छुड़वाने के लिए हमें एनआरटी तक पहुंच बढ़ाने पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए।