कोर्ट ने पिछली सुनवाई के दौरान नोट किया कि यह एकमात्र मामला नहीं है, जिसमें गलत तरीके से मुआवजा दिया गया, बल्कि ऐसे कई मामले हैं। सुप्रीम कोर्ट ने कहा था, हमारा मानना है कि ये एक या दो अधिकारियों के कहने पर नहीं हुआ होगा।
फर्जी तरीके से करोड़ों रुपये का मुआवजा बांटने के आरोप में नोएडा प्राधिकरण की जांच के लिए उत्तर प्रदेश सरकार ने तीन सदस्यीय कमेटी का गठन किया है। प्राधिकरण के दो अधिकारियों पर एक भूस्वामी को गलत तरीके से 7.26 करोड़ रुपये के मुआवजा भुगतान का आरोप लगा है।यूपी सरकार की ओर से एडिशनल एडवोकेट जनरल (एएजी) अर्धेन्दुमौली कुमार प्रसाद ने सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस सूर्यकांत की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय पीठ को बृहस्पतिवार को बताया कि मामले की जांच के लिए बनाई कमेटी में राजस्व बोर्ड के अध्यक्ष, मेरठ मंडल के आयुक्त और मेरठ के एडीजी स्तर के अधिकारी शामिल हैं। शीर्ष अदालत ने कमेटी को तत्काल नोएडा प्राधिकरण का रिकॉर्ड देखने और दो हफ्ते में रिपोर्ट दाखिल करने के लिए कहा। पीठ ने साफ कहा, कमेटी को इसके लिए और समय नहीं दिया जाएगा। मामले में अगली सुनवाई दो नवंबर को होगी। पीठ ने अपने आदेश में कहा, कमेटी की रिपोर्ट पर गौर करने के बाद अगली तारीख पर यह देखा जाएगा कि इस मामले में स्वतंत्र और निष्पक्ष जांच की जानी चाहिए या नहीं।
कोर्ट ने कहा, यह इकलौता मामला नहीं
कोर्ट ने पिछली सुनवाई के दौरान नोट किया कि यह एकमात्र मामला नहीं है, जिसमें गलत तरीके से मुआवजा दिया गया, बल्कि ऐसे कई मामले हैं। सुप्रीम कोर्ट ने कहा था, हमारा मानना है कि ये एक या दो अधिकारियों के कहने पर नहीं हुआ होगा। प्रथमदृष्टया ऐसा लगता है कि पूरी अथॉरिटी इसमें लिप्त है। शीर्ष कोर्ट के सख्त रुख को देखते हुए यूपी सरकार ने जांच के लिए समिति का गठन किया है।
गिरफ्तारी से मिली राहत जारी रहेगी
इस बीच, शीर्ष अदालत ने बृहस्पतिवार को वीरेंद्र सिंह नागर समेत दो अधिकारियों को गिरफ्तारी से मिली अंतरिम राहत को जारी रखने का आदेश दिया है। यह मामला नोएडा सेक्टर-20 थाने में दर्ज फर्जीवाड़े के केस से जुड़ा है। इसमें प्राधिकरण के विधि अधिकारी वीरेंद्र सिंह नागर समेत दो अधिकारियों और एक भूमि मालिक के खिलाफ भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) और भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम की धाराओं के तहत मुकदमा दर्ज किया गया है। आरोप है कि आपराधिक साजिश रच इन अधिकारियों ने भूमि मालिक को गलत तरीके से 7.26 करोड़ रुपये का मुआवजा दिया, जबकि वह इसका हकदार नहीं था। इन अफसरों ने सुप्रीम कोर्ट में अग्रिम जमानत अर्जी दी है।