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चुनावों को लेकर भाजपा की नई रणनीति, क्रीमीलेयर-समान नागरिक संहिता से जाति गणना की खोजेंगे काट

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भाजपा की योजना जुलाई महीने में ही उत्तराखंड के जरिए यूसीसी लागू करने की शुरुआत करने की थी। हालांकि इस बीच आदिवासी समुदाय की आपत्तियों और मणिपुर में कुकी बनाम मैतई जातीय हिंसा के कारण सरकार ने अपने पांव पीछे खींच लिए।

BJP new strategy regarding elections from creamy layer and uniform civil code

बिहार के बाद राष्ट्रीय स्तर पर जाति गणना की मांग के साथ ओबीसी मुद्दों को केंद्र में लाने की विपक्ष की रणनीति को धराशाई करने के लिए सरकार बड़ी तैयारी में है। विपक्षी हमले की धार कुंद करने के लिए सरकार में जहां एक बार फिर से समान नागरिक संहिता पर मंथन का दौर शुरू हुआ है, वहीं सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय ओबीसी क्रीमीलेयर का दायरा बढ़ाने की तैयारी कर रहा है।

सरकार के सूत्र ने कहा कि योजना मोदी सरकार के बीते नौ साल में ओबीसी के हक में लिए गए फैसलों का आक्रामक प्रचार करने के साथ इस वर्ग से जुड़ी दूसरी अहम मांगों को पूरी करने का है। इस क्रम में बीते करीब तीन साल से लंबित क्रीमीलेयर का दायरा बढ़ाने का फैसला जल्द लिया जा सकता है। सरकार उन लंबित मांगों का भी अध्ययन कर रही है, जिसकी मांग लंबे समय से की जा रही है।

यूसीसी पर नए सिरे से मंथन
भाजपा की योजना जुलाई महीने में ही उत्तराखंड के जरिए यूसीसी लागू करने की शुरुआत करने की थी। हालांकि इस बीच आदिवासी समुदाय की आपत्तियों और मणिपुर में कुकी बनाम मैतई जातीय हिंसा के कारण सरकार ने अपने पांव पीछे खींच लिए। अब यूसीसी पर नए सिरे से मंथन शुरू हुआ है। बीते बुधवार को उत्तराखंड के सीएम पुष्कर सिंह धामी की गृह मंत्री अमित शाह से लंबी चर्चा हुई है। इसे यूसीसी की ओर नए सिर से कदम बढ़ाने के रूप में देखा जा रहा है।

पुरानी मांग के आधार पर ही फैसला
क्रीमीलेयर से जुड़े नए प्रस्ताव में विवाद का कारण बने कृषि संबंधी आय को दायरे से बाहर रखा गया है। सरकार की योजना क्रीमीलेयर के दायरे को आठ लाख से बढ़ा कर कम से कम 12 लाख रुपये करने की है। क्रीमीलेयर का दायरा बढ़ाने का मामला 2021 से अटका हुआ है।

इन उपलब्धियों को गिनाएंगे
भाजपा और मोदी सरकार बीते नौ साल में ओबीसी के हक में लिए गए निर्णयों का आक्रामक प्रचार के लिए व्यापक अभियान छेड़ेगी। इसके तहत देश भर में ओबीसी सम्मेलन किए जाएंगे। इन सम्मेलनों में मोदी सरकार द्वारा ओबीसी आयोग को दिए गए सांविधानिक दर्जा, नीट में ओबीसी कोटा, ओबीसी छात्रों को फैलोशिप, पहली बार ओबीसी के लिए वेंचर कैपिटल फंड की स्थापना, नवोदय, सैनिक स्कूलों में ओबीसी आरक्षण, एसोसिएट प्रोफेसर और प्रोफेसर भर्ती में ओबीसी आरक्षण की व्यवस्था करने संबंधी उपलब्धियां गिनाई जाएंगी। सरकार यह भी बताएगी की केंद्रीय योजनाओं के कारण ओबीसी को कितना लाभ पहुंचा।

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