सेलिब्रेटिंग कलर्स ऑफ फ्रेंडशिप कार्यक्रम में जयशंकर ने कहा, जी-20 की सफलता अमेरिकी सहयोग के बिना संभव नहीं थी। जब चीजें अच्छी होती हैं, तो हमेशा मेजबान को श्रेय मिलता है। यह उचित भी है, लेकिन इस समूह के सभी सदस्य देश आयोजन की सफलता के लिए काम नहीं करते, तो ऐसा संभव नहीं था।
विदेश मंत्री एस जयशंकर ने भारत व अमेरिका के रिश्तों में गर्मजोशी की बात करते हुए कहा कि मैं जिसकी बात कर रहा हूं, वह वास्तव में एक अलग भारत है। यह वह भारत है, जो चंद्रयान-3 मिशन को पूरा करने में सक्षम है।
सेलिब्रेटिंग कलर्स ऑफ फ्रेंडशिप कार्यक्रम में जयशंकर ने कहा, जी-20 की सफलता अमेरिकी सहयोग के बिना संभव नहीं थी। जब चीजें अच्छी होती हैं, तो हमेशा मेजबान को श्रेय मिलता है। यह उचित भी है, लेकिन इस समूह के सभी सदस्य देश आयोजन की सफलता के लिए काम नहीं करते, तो ऐसा संभव नहीं था।
अमेरिका के लिए ‘आई’ अक्षर बहुत अच्छा
उन्होंने कहा, लोग 1985 के राजीव गांधी, 2005 के मनमोहन सिंह व प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कई अमेरिकी दौरे को याद करते हैं। लेकिन, मैं यह कहना चाहता हूं कि पीएम मोदी का हालिया दौरा अलग था। आप मुझसे पूछेंगे कि क्या बदलाव आए हैं, मैं कहूंगा कि भारत व अमेरिका पहले एक-दूसरे के साथ सौदा करते थे और अब साथ काम करते हैं।
उन्होंने दोनों देशों के बीच हाल के सहयोगात्मक प्रयासों को याद किया, जो ‘आई’ अक्षर से शुरू होते हैं। इनमें भारत-मध्य पूर्व आर्थिक गलियारा (आईएमईईसी), भारत, इस्राइल, अमेरिका व संयुक्त अरब अमीरात (आई2यू2), इंडो-पैसिफिक सहयोग (आईपीसी) और महत्वपूर्ण एवं उभरती प्रौद्योगिकियों पर पहल (आईसीईटी) शामिल हैं। जयशंकर ने कहा, ‘आई’ अक्षर निश्चित रूप से अमेरिका के लिए बहुत अच्छा है।
पीएम मोदी से बेहतर आश्वस्त करने वाला कोई नहीं हो सकता
विदेश मंत्री ने चंद्रयान-3 की चांद पर लैंडिंग का वाकया साझा किया। जयशंकर ने कहा, जब चंद्रयान-3 की चांद पर लैंडिंग होने वाली थी, तब पीएम मोदी व मैं दक्षिण अफ्रीका में थे। हमने देखा कि वह किस प्रकार इसरो के संपर्क में थे। ऐसा इसलिए, क्योंकि तनाव भरे माहौल में आप चाहते हैं कि कोई ऐसा व्यक्ति साथ रहे, जो आश्वस्त कर सके। यकीन करें, पीएम मोदी से बेहतर कोई आश्वस्त नहीं कर सकता।
अमेरिका-भारत संबंध मूल्यों पर आधारित : रिचर्ड वर्मा
बाइडन प्रशासन के उप विदेश मंत्री रिचर्ड वर्मा ने कहा कि अमेरिका-भारत संबंध साझा विचारों व मूल्यों पर आधारित हैं। इनमें सबसे ऊपर लोकतंत्र व सामाजिक न्याय के प्रति प्रतिबद्धता है। उन्होंने कहा, महात्मा गांधी ने 1942 में तत्कालीन राष्ट्रपति रूजवेल्ट को पत्र लिखा था कि उन्हें थोरो और इमर्सन के लेखन से बहुत लाभ हुआ है। कुछ साल बाद डॉ मार्टिन लूथर किंग ने लिखा, यह गांधी और उनका प्रेम था।
अहिंसा से सामाजिक सुधार का तरीका खोजा
अहिंसा से मैंने सामाजिक सुधार का तरीका खोजा तथा गांधी का दर्शन ही एकमात्र नैतिक व व्यावहारिक रूप से सही तरीका था, जो प्रताड़ित लोगों के लिए स्वतंत्रता के संघर्ष में खुला था। भारतीय संस्कृति की विविधता व जीवंतता तथा भारत-अमेरिका संबंधों का जश्न मनाने के लिए भारतीय दूतावास में आयोजित कार्यक्रम में वर्मा ने कहा, अमेरिका व भारत के मूल्य सभी लोगों के लिए निष्पक्षता और न्याय की पक्षधर हैं।