प्रभारी स्थानीय राजनीति में न उलझें, इसलिए राज्य के बाहरी नेताओं को ही यह जिम्मेदारी दी गई है। इसके अलावा जिले में जो बिरादरी ज्यादा प्रभावशाली है, उसी बिरादरी के प्रभारी नियुक्त किए गए हैं।
सामूहिक नेतृत्व में चुनाव मैदान में उतरने के निर्णय के बाद राजस्थान में हर हाल में जीत हासिल करने के लिए भाजपा नेतृत्व ने माइक्रो मैनेजमेंट पर जोर दिया है। इस रणनीति के तहत प्रदेश को सात जोन में बांटकर इसमें शामिल 44 जिलों की जिम्मेदारी 44 नेताओं को दी गई है। खास बात यह है कि प्रभारी तय करते समय नेतृत्व ने जिले के सामाजिक समीकरण का खास ख्याल रखा है।
प्रभारियों से कहा गया है कि वह बूथ प्रभारी से सीधे संपर्क में रहें। उनसे समर्थन मतदाताओं की जानकारी लें। मतदान के दिन समर्थक मतदाताओं को हर हाल में बूथ तक पहुंचाना सुनिश्चित करें। पार्टी नेतृत्व का मानना है कि कई सीटों पर बेहद नजदीकी मुकाबला होगा। ऐसे में अगर समर्थक मतदाताओं को सफलतापूर्व बूथ पर पहुंचाया गया तो नजदीकी मुकाबला पार्टी के पक्ष में होगा। पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव में पार्टी अपने सभी सांसदों, विधायकों, पार्टी के केंद्रीय और राज्य स्तर के पदाधिकारियों की भूमिका तय करेगी। इसके लिए अलग से मंथन हो रहा है।
सामाजिक समीकरण का ध्यान
प्रभारी स्थानीय राजनीति में न उलझें, इसलिए राज्य के बाहरी नेताओं को ही यह जिम्मेदारी दी गई है। इसके अलावा जिले में जो बिरादरी ज्यादा प्रभावशाली है, उसी बिरादरी के प्रभारी नियुक्त किए गए हैं। मसलन प्रवेश वर्मा, ओमप्रकाश धनखड़ और सुनील जाखड़ को जाट बिरादरी के प्रभाव वाले जोधपुर देहात, झुंझुनू और सीकर की, रमेश बिधूड़ी, कृष्णपाल गुर्जर को गुर्जर प्रभाव वाले टोंक और सवाई माधोपुर की, केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह को राजपूत प्रभाव वाले जयपुर शहर का प्रभार दिया गया है।
भाजपा केंद्रीय चुनाव समिति की बैठक अब एक अक्तूबर को
भाजपा ने शुक्रवार को कहा कि उसकी केंद्रीय चुनाव समिति (सीईसी) की दो दिवसीय बैठक अब एक अक्तूबर को होगी। पूर्व के कार्यक्रम के मुताबिक यह दो दिवसीय बैठक 30 सितंबर और एक अक्तूबर होनी थी। पार्टी सूत्रों के मुताबिक, सीईसी की बैठक अब एक ही दिन होगी। बैठक में भाजपा पांच राज्यों में आगामी विधानसभा चुनावों से संबंधित महत्वपूर्ण निर्णय ले सकती है।