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भारत पर ट्रूडो के आरोपों से भड़का श्रीलंका, विदेश मंत्री बोले- आतंकियों के लिए सुरक्षित पनाहगाह बना कनाडा

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श्रीलंका के विदेश मंत्री अली साबरी ने सोमवार को न्यूयॉर्क में यूएन महासभा से इतर भारत-कनाडा के बीच हाल ही में उपजे राजनयिक संकट पर बात की।

खालिस्तान आतंकी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या को लेकर कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो की तरफ से भारत पर लगाए गए आरोपों पर श्रीलंका भड़क गया है। भारत के इस पड़ोसी देश ने सीधे तौर पर कनाडा को लताड़ लगाई है और उसे आतंकियों का सुरक्षित पनाहगाह करार दिया है।

क्या बोले श्रीलंका के विदेश मंत्री?
श्रीलंका के विदेश मंत्री अली साबरी ने सोमवार को न्यूयॉर्क में यूएन महासभा से इतर भारत-कनाडा के बीच हाल ही में उपजे राजनयिक संकट पर बात की। उन्होंने कहा कि आतंकियों को उत्तरी अमेरिका में स्थित इस देश में सुरक्षित पनाह मिल गई है और प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने इन चीजों से बाहर आने के लिए इस तरह के भड़कऊ आरोप लगाने का रास्ता अपनाया है।

साबरी ने आगे कहा कि उन्हें कनाडा के पीएम के भड़काऊ और बिना सबूतों वाले बयानों पर उन्हें कोई आश्चर्य नहीं हुआ। उन्होंने कहा, “कनाडा के प्रधानमंत्री ने अपनी बात के समर्थन में बिना कोई सबूत दिए ही ऐसे भड़काऊ आरोप लगा दिए। इससे पहले श्रीलंका के लिए भी उन्होंने यही किया था। एक डराने वाला सफेद झूठ बोला कि श्रीलंका में नरसंहार हुआ है। सभी को पता है कि हमारे देश में कोई नरसंहार नहीं हुआ था।”

‘किसी को भी दूसरे देशों के मामले में टांग अड़ाने की इजाजत नहीं’
श्रीलंका के विदेश मंत्री ने ट्रूडो को साफ संदेश देते हुए कहा कि उन्हें किसी भी स्वायत्त देश के मामलों में दखल देने का कोई अधिकार नहीं है। साबरी ने कहा, “मुझे लगता है कि किसी को भी दूसरे देशों के मामले में अपनी टांग नहीं अड़ानी चाहिए और यह नहीं बताना चाहिए कि हम अपने देश को कैसे चलाएं।

साबरी ने हिंद महासागर के देशों को साथ आने का संदेश देते हुए कहा, “हम अपने देश को बाकियों की तरह ही प्यार करते हैं। हमारे लिए हिंद महासागर की पहचान काफी जरूरी है। हमें अपने क्षेत्र का ध्यान रखना होगा। हमें साथ काम करना होगा। इसी तरह हम शांतिपूर्ण माहौल बना सकते हैं। हमें किसी और की बातों में आकर अपने मामलों को नहीं देखना चाहिए।”

कनाडाई संसद में नाजी सैनिक को सम्मानित करने पर उठाए सवाल
इतना ही नहीं श्रीलंका के विदेश मंत्री ने कनाडा की संसद में एक पूर्व नाजी सैनिक को सम्मानित किए जाने को लेकर भी कनाडा को घेरा। उन्होंने कहा कि मैंने कल ही देखा कि कनाडा की संसद में कुछ लोग दूसरे विश्व युद्ध में नाजियों के लिए लड़ने वालेों का स्वागत कर रहे हैं। यह कई सवाल उठाता है और हम इनसे पहले भी निपटे हैं।

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