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सीट बंटवारे और जांच में नरमी पर नहीं बनी सहमति, तो टूटा भाजपा-अन्नाद्रमुक का गठबंधन

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आगामी लोकसभा चुनाव से पहले दक्षिण भारत में अपने समीकरण दुरुस्त करने में जुटी भाजपा को सोमवार को तगड़ा झटका लगा। तमिलनाडु में पार्टी की सहयोगी अन्नाद्रमुक ने भाजपा से नाता तोड़ने की घोषणा की।

आगामी लोकसभा चुनाव से पहले दक्षिण भारत में अपने समीकरण दुरुस्त करने में जुटी भाजपा को सोमवार को तगड़ा झटका लगा। तमिलनाडु में पार्टी की सहयोगी अन्नाद्रमुक ने भाजपा से नाता तोड़ने की घोषणा की।

गठबंधन टूटने का सबसे बड़ी वजह सीट बंटवारे के फॉर्मूले पर सहमति न बन पाना रही। साथ ही अन्नाद्रमुक चाहता था कि कई मामलों में जांच का सामना कर रहे पार्टी के निष्कासित नेताओं टीटीवी दिनाकरण, ओ पनीरसेल्वम और शशिकला के प्रति नरमी बरती जाए। पिछले हफ्ते केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के साथ अन्नाद्रमुक प्रमुख एके पलानीस्वामी की बैठक में कोई रास्ता नहीं निकल पाया था। हालांकि अन्नाद्रमुक ने गठबंधन तोड़ने के लिए भाजपा प्रदेश अध्यक्ष अन्नामलाई की पूर्व सीएम जयललिता और अन्नादुरई के खिलाफ कथित अपमानजनक टिप्पणियों का बहाना बनाया है।
भाजपा को अन्नाद्रमुक से गठबंधन टूटने का पहले ही अंदेशा था। पिछले सप्ताह ही केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और अन्नाद्रमुक प्रमुख एके पलानीस्वामी के बीच सीट बंटवारे के फार्मूले पर सहमति नहीं बन पाई थी। भाजपा की लोकसभा की 15 सीटों की मांग कर रही थी। इनमें से ज्यादातर सीटें अतीत में अन्नाद्रमुक की प्रभाव वाली सीटें रही हैं। भाजपा की योजना पांच सीटें अपने सहयोगियों को देने की थी। इसके अलावा पलानीस्वामी केंद्रीय जांच एजेंसियों से पूछताछ का सामना कर रहे पार्टी से निष्कासित कुछ नेताओं के प्रति नरमी चाहते थे।
हालांकि एनडीए से अलग होने की घोषणा करते हुए अन्नाद्रमुक ने कहा कि यह फैसला पिछले एक साल से अधिक समय से अन्नाद्रमुक और उनके नेताओं पर भाजपा नेताओं के अपमानजनक हमलों के विरोध में लिया गया। पार्टी प्रवक्ता शशिरेखा ने कहा कि हमने कार्यकर्ताओं की राय के बाद एनडीए छोड़ने का फैसला किया है और हम समान विचारधारा वाली ताकतों के साथ आगामी लोकसभा और विधानसभा चुनाव में उतरेंगे।
प्रदेश अध्यक्ष अन्नामलाई का बयान बना बहाना
करीब दो सप्ताह पहले भाजपा प्रदेश अध्यक्ष अन्नामलाई ने सनातन धर्म पर टिप्प्णी मामले में जारी विवाद के बीच द्रविड़ दिग्गज रहे सीएन अन्नादुरई पर निशाना साधा था। उन्होंने कहा था कि अन्नादुरई ने 1956 में हिंदू आस्था की आलोचना की थी, जिसकी राज्य के प्रमुख स्वतंत्रता सेनानी मुथुरामलिंगा थेवर ने निंदा की थी। इससे भड़के पार्टी के प्रवक्ता जयकुमार ने भाजपा को छोटी लोमड़ी बताया था।
n अन्नाद्रमुक का मानना था कि अन्नामलाई की इस टिप्पणी के कारण पार्टी द्रविड़ वोट बैंक में बचा खुचा समर्थन भी खो देगी।
अन्नाद्रमुक के क्षेत्र में बढ़ा भाजपा का प्रभाव
भाजपा का प्रभाव मुक्कुलाथुर (थेवर) समुदाय में अचानक बढ़ा है जो अन्नाद्रमुक का परंपरागत वोट बैंक रहा है। अपनी पुरानी पकड़ कायम रखने के लिए अन्नाद्रमुक इन क्षेत्रों में प्रभावशाली रहे दिनाकरण, पनीरसेल्वम, शशिकला जैसे नेताओं की वापसी पर काम कर रहा है। इसी योजना के तहत पार्टी चाहती थी कि मोदी सरकार इन नेताओं के प्रति अपना रुख नरम करे। जबकि भाजपा इन्हीं समुदाय के प्रभाव वाले क्षेत्रों तिरुनेलवेली, तेनकासी और कन्याकुमारी में प्रभाव बढ़ाने में जुटी है। भाजपा अन्नाद्रमुक से हर हाल में मदुरै, शिवगंगा और रामनाथपुरम, उत्तर में वेल्लोर, मध्य में पेरम्बलूर और पश्चिम में कोयंबटूर और नीलगिरी सीटें चाहती थी।

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