सुप्रीम कोर्ट बीते शुक्रवार को अनूठे पल का गवाह बना जब पहली बार एक मूक-बधिर महिला वकील ने कोर्ट के सामने वर्चुअल तरीके से दलीलें पेश कीं। सारा सनी नामक वकील ने इशारों के जरिये अपनी दलीलें रखीं।
सुप्रीम कोर्ट बीते शुक्रवार को अनूठे पल का गवाह बना जब पहली बार एक मूक-बधिर महिला वकील ने कोर्ट के सामने वर्चुअल तरीके से दलीलें पेश कीं। सारा सनी नामक वकील ने इशारों के जरिये अपनी दलीलें रखीं। सुप्रीम कोर्ट ने दुभाषिये सौरभ रॉय चौधरी की मदद से सारा सनी की बात समझी।बंगलूरू की रहने वाली सारा सनी को शुरुआत में वर्चुअली कोर्ट के सामने लाने के लिए वीडियो स्क्रीन स्पेस देने से कोर्ट के कंट्रोल रूम ने मना कर दिया था। हालांकि बाद में बहस शुरू हुई और स्क्रीन पर सौरभ, सारा से मिले इशारों को कोर्ट को समझाने लगे। बहस के दौरान जब चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने इशारे समझकर सौरभ को दलीलें देते सुना, तो कोर्ट स्टाफ और सौरभ दोनों से कहा कि सारा को भी स्क्रीन पर जगह दी जाए। इसके बाद दोनों स्क्रीन पर आए और अपनी बात कोर्ट के सामने रखने लगे।
दुभाषिये की गति से अचंभित
सुनवाई के दौरान दुभाषिये सौरव की गति को देखकर सभी अंचभित थे। सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता भी उनकी तारीफ करने से खुद को नहीं रोक पाए। मेहता ने कहा, जिस गति से सौरभ सारा की सांकेतिक भाषा की व्याख्या कर रहे हैं, वह अद्भुत है। सारा ने दुभाषिये की ओर से शीर्ष कोर्ट में सुनवाई में मदद पर खुशी जताई। सारा ने कहा, सीजेआई चंद्रचूड़ शुरू से ही दिव्यांगों तक न्याय की समान पहुंच के मुखर समर्थक रहे हैं। उनकी वजह से दिव्यांगों के लिए नए मौके पैदा हुए हैं।
सुनवाई के दौरान दुभाषिये सौरव की गति को देखकर सभी अंचभित थे। सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता भी उनकी तारीफ करने से खुद को नहीं रोक पाए। मेहता ने कहा, जिस गति से सौरभ सारा की सांकेतिक भाषा की व्याख्या कर रहे हैं, वह अद्भुत है। सारा ने दुभाषिये की ओर से शीर्ष कोर्ट में सुनवाई में मदद पर खुशी जताई। सारा ने कहा, सीजेआई चंद्रचूड़ शुरू से ही दिव्यांगों तक न्याय की समान पहुंच के मुखर समर्थक रहे हैं। उनकी वजह से दिव्यांगों के लिए नए मौके पैदा हुए हैं।