रुबिन ने ये भी कहा था कि जस्टिन ट्रूडो भारत पर आरोप लगाकर फंस गए हैं और अब उन्हें इस बात पर जवाब देना होगा कि कनाडा ने एक आतंकवादी को पनाह क्यों दी।
भारत और कनाडा के बीच जारी राजनयिक तनाव गहराता जा रहा है। अमेरिका के विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकेन ने भी बयान जारी कर भारत से कनाडा की जांच में सहयोग की अपील की है। अभी तक अमेरिका सरकार की तरफ से जो बयान आए हैं, उन्हें कनाडा समर्थन से जोड़कर देखा जा सकता है, लेकिन ये सवाल उठ रहा है कि क्या अमेरिका, कनाडा के लिए भारत को नाराज कर सकता है? अमेरिका के ही रक्षा और कूटनीतिक विशेषज्ञ ऐसा नहीं सोचते, उनका कहना है कि भारत की अहमियत को देखते हुए अमेरिका इस विवाद से दूर ही रहना चाहेगा।
‘अमेरिका, भारत-कनाडा विवाद से रहेगा दूर!’
अमेरिका की राजनीतिक रणनीतिकार संस्था सिग्नम ग्लोबल एडवाइजर्स के संस्थापक चार्ल्स मेयर्स का कहना है कि हम भारत के करीब आने के लिए सबकुछ कर रहे हैं ताकि चीन को पछाड़ा जा सके। ऐसे में मुझे नहीं लगता कि अमेरिका इस विवाद (भारत-कनाडा) में पड़ना चाहेगा। बता दें कि चार्ल्स मेयर्स एवरकोर कंपनी के पूर्व उपाध्यक्ष रहे हैं और डेमोक्रेटिक पार्टी के लंबे समय से दानदाता हैं। मौजूदा राष्ट्रपति जो बाइडन के चुनाव प्रचार के लिए भी चार्ल्स मेयर्स ने धन की उगाही की थी।
अमेरिका के रक्षा विशेषज्ञ भी कर चुके हैं भारत का समर्थन
इससे पहले अमेरिका के रक्षा विशेषज्ञ और पेंटागन के पूर्व अधिकारी माइकल रुबिन ने भी मौजूदा विवाद में भारत का समर्थन किया था। माइकल रुबिन ने कहा था कि हरदीप सिंह निज्जर कोई शरीफ आदमी नहीं था। जैसा अमेरिका ने ओसामा बिन लादेन और कासिम सुलेमानी के साथ किया, उसमें और जैसा कहा जा रहा है, भारत ने जो किया, उसमें ज्यादा अंतर नहीं है। रुबिन ने ये भी कहा कि जस्टिन ट्रूडो भारत पर आरोप लगाकर फंस गए हैं और अब उन्हें इस बात पर जवाब देना होगा कि कनाडा ने एक आतंकवादी को पनाह क्यों दी।
खालिस्तानी आतंकी की हत्या से बढ़ा तनाव
बता दें कि बीती 18 जून को कनाडा के ब्रिटिश कोलंबिया में खालिस्तान समर्थक हरदीप सिंह निज्जर की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। कनाडा के पीएम जस्टिन ट्रूडो ने इस हत्या का आरोप भारत पर लगाया और कहा कि कनाडा की धरती पर एक कनाडाई नागरिक की विदेशी सरकार द्वारा हत्या अस्वीकार्य है और यह हमारी संप्रभुता का उल्लंघन है। कनाडा ने भारत के एक राजनयिक को निष्कासित कर दिया तो भारत ने भी जवाब में कनाडा के एक राजनयिक को निष्कासित कर दिया।