Search
Close this search box.

दुनियाभर में 15 करोड़ बच्चे कुपोषण के शिकार, सामान्य शारीरिक विकास के लिए नहीं मिली पर्याप्त कैलोरी

Share:

एशिया में करोड़ों बच्चों के लिए यह एक विनाशकारी वास्तविकता को उजागर करता है। ग्लोबल साउथ यानी उत्तर-दक्षिण विभाजन से आशय विश्व के देशों में सामाजिक-आर्थिक तथा राजनैतिक दृष्टि से बहुत बड़ा अंतर होने से है।

एक नए शोध के अनुसार अशिक्षा और गरीबी की वजह से माताओं और बच्चों के भोजन में आवश्यक पोषक तत्वों की कमी के कारण दुनियाभर में करोड़ों बच्चे कुपोषण के शिकंजे में हैं। कुपोषण की वजह से बच्चे कई प्रकार के रोग जैसे एनीमिया, घेंघा और हड्डियां कमजोर होने का शिकार हो रहे हैं। इसके अलावा पारिवारिक खाद्य असुरक्षा, स्वच्छता में कमी,जागरूकता के अभाव और स्वास्थ्य सेवाओं की अनुपलब्धता के कारण यह समस्या और गहराती जा रही है। ग्लोबल साउथ के एक अध्ययन में बताया गया है कि कुपोषण बच्चों के जन्म के बाद दो वर्षों में शरीर के विकास को गंभीर रूप से प्रभावित करता है। विशेष रूप से एशिया में करोड़ों बच्चों के लिए यह एक विनाशकारी वास्तविकता को उजागर करता है। ग्लोबल साउथ यानी उत्तर-दक्षिण विभाजन से आशय विश्व के देशों में सामाजिक-आर्थिक तथा राजनैतिक दृष्टि से बहुत बड़ा अंतर होने से है। सामान्यतः उत्तर के अन्तर्गत यूएसए, कनाडा, यूरोप, एशिया के विकसित देश सहित आस्ट्रेलिया और न्यूजीलैण्ड आते हैं। विश्व का शेष भूभाग दक्षिण (ग्लोबल साउथ) कहलाता है। शोधकर्ताओं ने नेचर पत्रिका में प्रकाशित इस शोध में अब तक का सबसे व्यापक विश्लेषण प्रस्तुत किया है।

कमजोरी से दस लाख बच्चों की होती है मौत
शोध में कहा गया है कि वर्ष  2022 में दुनिया भर में हर पांच में से एक से अधिक, लगभग 15 करोड़ बच्चों को सामान्य रूप से शारीरिक विकास के लिए पर्याप्त कैलोरी नहीं मिली। 4.5 करोड़ से अधिक बच्चों में  कमजोरी के लक्षण दिखे या उनकी लंबाई के अनुसार उनका वजन बहुत कम था। हर साल 10 लाख से अधिक बच्चे कमजोरी के कारण मौत के मुंह में चले जाते हैं और ढाई लाख से अधिक बच्चे बौनेपन के कारण मरते हैं। जिन लोगों ने बचपन में बौनेपन और कमजोरी का अनुभव किया है उन्हें भी जीवन में आगे याददाश्त की कमी हो जाती है।

Leave a Comment

voting poll

What does "money" mean to you?
  • Add your answer

latest news