Search
Close this search box.

भारतीय महिला हॉकी टीम की स्वर्ण जीतने की तैयारी, किसी ने पिज्जा तो किसी ने चाय-मिठाई से बनाई दूरी

Share:

भारतीय महिला हॉकी टीम एशियाड में देश के लिए स्वर्ण जीतने के लिए कोई कसर नहीं छोड़ना चाहती हैं। खिलाड़ियों ने स्वर्ण के लिए अपनी फिटनेस को प्राथमिकता देने के लिए खाने की चीजों से दूरी बना ली।

Asian Games 2023: Indian womens hockey team preparing to win gold medal, players stop eating pizza, tea, sweet
भारतीय महिला हॉकी टीम की कप्तान सविता पूनिया के कंधों पर एशियाई खेलों में 41 साल से देश के खिताबी सूखों को खत्म करने का भार है। महिला हॉकी टीम ने पिछी बार इन खेलों में स्वर्ण पदक 1982 में जीता था और तब टीम पहली बार इन खेलों में खेली थी। अब एशियाई खेल 23 सितंबर से चीन के हांगझोऊ शहर में आयेाजित होंगे। सविता हीं नहीं टीम की अन्य खिलाड़ी भी इन खेलों में देश को स्वर्ण जीतने के लिए कोई कसर नहीं छोड़ना चाहती हैं। खिलाड़ियों ने स्वर्ण के लिए अपनी फिटनेस को प्राथमिकता देने के लिए खाने की चीजों से दूरी बना ली।

कप्तान सविता ने पिज्जा-गोल गप्पे से बनाई दूरी

गोलकीपर और कप्तान सविता ने इन खेलों में अपनी फिटनेस को प्राथमिकता देने के लिए पिज्जा और गोल-गप्पे खाने भी छोड़ दिए। उन्होंने कहा, ‘हमने तय किया है कि फिटनेस के लिए एशियाई खेलों तक कुछ चीजें छोड़ेंगे। मुझे पिज्जा और गोलगप्पे बहुत पसंद हैं, लेकिन मैने प्रण किया है कि अब एशियाई खेलों तक नहीं खाऊंगी। मैं 2009 से 2018 तक बेरोजगार रही, लेकिन परिवार ने पूरा साथ दिया और मैंने अपना खेल प्रभावित नहीं होने दिया।’

Winning gold at Asian Games is the target: Savita Punia | Hockey News -  Times of India

कई वर्षों तक रहीं बेराेजगार
हरियाणा की सविता कई वर्षों तक बेरोजगार रही थीं। उन्होंने कहा, ‘मुझे 2018 में अर्जुन पुरस्कार मिला तो मेरी मम्मी बोली कि अब नौकरी मिल जाएगी। मेरे लिए यह बहुत मुश्किल दौर था। 2014 एशियाई खेल में पदक था, 2016 में ओलंपिक खेली और 2017 एशिया कप में पदक था, लेकिन नौकरी नहीं मिली। फिर 2018 में जब भारतीय खेल प्राधिकरण में ओलंपियन के लिए नौकरी निकली थी तब मैने सहायक कोच के रूप में जुड़ी थी।’
शादी के पांचवें दिन बाद ही शिविर में लौटीं
सविता अप्रैल में शादी के बाद पांचवें दिन ही शिविर में लौट आई थी। वह अलग टाइम जोन होने के कारण विदेश में बसे अपने पति से फोन पर भी कम बात कर पाती हैं। उन्होंने कहा, ‘इस साल पांच अप्रैल को मेरी शादी हुई थी। लेकिन उसके बाद से सात दिन ही पति के साथ रही हूं। शादी के पांच दिन बाद ही मैं शिविर में आ गई थीं।’ मैंने उनसे (पति) कहा है कि मैं बात करने की जिद भी करूं तो आप याद दिलाओगे कि फोन बंद करना है क्योंकि अगले दिन सुबह अभ्यास होता है। कई बार बहुत बातें करने का मन करता है, लेकिन खुद से वादा किया है कि एशियाड तक ऐसा नहीं करना है।’

नेहा ने जंक फूड से की तौबा

Our Tokyo Olympics performance has changed our mentality

हरियाणा की मिडफील्डर नेहा गोयल ने अपनी मां को 800 रुपये के लिए महीने भर साइकिल की फैक्ट्री में दिन-रात मजदूरी करते देखा। उन्होंने कहा कि परिवार को इस हालात से बाहर निकालने के लिए हॉकी का खेल जरिया बना। उन्होंने कहा, ‘स्कूल में जूते और कपड़ों के लिए मैंने हॉकी खेलना शुरू किया था। मेरी मम्मी और हम सभी साइकिल के पहिए पर तार बांधने का काम करते थे और सौ तार बांधने पर तीन रुपये मिलते थे। महीने के 800 या 1000 रुपये मिलते जिससे घर चलता था।

उन्होंने कहा- मुझे अभ्यास के लिए गांव से 10 किलोमीटर दूर जाना पड़ता था और ऑटो के 20 रुपये मांगने में भी शर्म आती थी।’ नेहा को 2015 में रेलवे में नौकरी मिली जिसके बाद उसने बहनों की शादी कराई और अपनी मां का काम करना बंद कराया। नेहा ने कहा, ‘मैंने तय किया है कि एशियाई खेलों तक कोई जंक फूड नहीं खाऊंगी। मुझे पिज्जा पसंद है, लेकिन अब खेलों के बाद ही खाऊंगी।’

निक्की ने चाय से बनाई दूरी

South Eastern Railway on X:

झारखंड के खूंटी जैसे नक्सल प्रभावित आदिवासी इलाके से आई अनुभवी डिफेंडर निक्की प्रधान के पास इतने पैसे भी नहीं थे कि वह हॉकी स्टिक खरीद सके। लेकिन उन्होंने हार नहीं मारी और बांस को छीलकर स्टिक बनाई व खेलना शुरू किया। निक्की ने कहा, ‘हमारे गांव में खेल का मैदान नहीं था और अब भी नहीं है। स्टिक खरीदने के पैसे नहीं थे तो बांस छील कर खेतों या सड़क पर हॉकी खेला करते थे। मैं 2016 में रियो ओलंपिक खेली और अब पेरिस में पदक तक का सफर तय करना है। इसके लिए हम एशियाई खेलों के जरिये ही सीधे क्वालिफाई करने की कोशिश करेंगे।’

चाय की शौकीन निक्की दिन में आठ से दस कप पी जाती थी, लेकिन अब अपनी इस आदत से उन्होंने दूरी बना ली। निक्की ने कहा, ‘मैं बहुत चाय पीती थी। जब मिल जाए तब, लेकिन अब मैंने एशियाई खेलों के बाद ही पीने का फैसला किया है।’

एशियाड तक मिठाई नहीं खाएंगी इक्का

Odisha's Deep Grace Ekka recommended for Arjuna Award

ओडिशा की दीप ग्रेस इक्का ने एशियाई खेलों तक मिठाई नहीं खाएंगी। उन्होंने कहा, ‘मुझे मीठा पसंद है, लेकिन अब नहीं खा रही हूं। हम सभी का ध्यान पूरी तरह से एशियाड पर है। मैंने सुंदरगढ़ में हॉकी का गौरव देखा है और ओलंपिक पदक के साथ मैं इसका हिस्सा बनना चाहती हूं। परिवार का, अपने जिले का और देश का नाम रोशन करना चाहती हूं।’

Leave a Comment

voting poll

What does "money" mean to you?
  • Add your answer

latest news