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भारत ने दुनिया को दिखाई कूटनीतिक धमक, चीन को कई मोर्चों पर शिकस्त

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जी-20 शिखर सम्मेलन के सफल आयोजन के जरिये भारत ने दुनिया को अपनी मजबूत कूटनीतिक ताकत का अहसास कराया है।

जी-20 शिखर सम्मेलन के सफल आयोजन के जरिये भारत ने दुनिया को अपनी मजबूत कूटनीतिक ताकत का अहसास कराया है। भारत ने चीन को कई मोर्चों पर कूटनीतिक शिकस्त देकर बीजिंग के पीछे खड़े रहने वाले रूस को भी सख्त संदेश दिया है। कूटनीतिक विशेषज्ञ भी मानते हैं कि राष्ट्रपति शी जिनपिंग की अनुपस्थिति के जरिए सम्मेलन को पटरी उतारने का चीन का दांव उल्टा पड़ा है।

कूटनीतिक हलके में यह सवाल उठ रहा है कि क्या इस अहम मंच से दूरी बना कर रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने भी गलती की? इन दोनों बड़े नेताओं की अनुपस्थिति के बावजूद भारत न सिर्फ साझा घोषणापत्र जारी कराने में सफल रहा, बल्कि रूस और चीन दोनों को उनके विस्तारवादी एजेंडे पर नसीहत भी देने में कामयाब रहा।

वैश्विक दक्षिण को साधा
सरकारी सूत्रों के मुताबिक, महत्वाकांक्षी परियोजना आईएमईसी पर बनी सहमति, एयू को समूह में शामिल करने में कामयाबी चीन की वैश्विक दक्षिण में एकक्षत्र राज की योजना पर पानी फेरेगी। आईएमईसी यूएई के साथ सऊदी अरब को भी इसमें शामिल कर चीन को तगड़ा झटका दिया है। गौरतलब है कि यूएई और सऊदी अरब चीन की परियोजना बीआरआई में भी साझीदार हैं।

आईएमईसी इस तरह है बीजिंग को झटका
चीन की बीआरआई परियोजना में भूमि मार्ग और समुद्री मार्ग शामिल है। भूमि मार्ग चीन को दक्षिण पूर्व एशिया, दक्षिण एशिया, मध्य एशिया, रूस और यूरोप से जोड़ता है। इसमें दक्षिण पूर्व और दक्षिण एशिया, दक्षिण प्रशांत, पश्चिम एशिया, पूर्वी अफ्रीका और यूरोप को जल मार्ग के जरिये तटों को भी जोड़ने की कोशिश है। आईएमईसी परियोजना में जलमार्ग के साथ ही रेल संपर्क भी शामिल है। माल आपूर्ति के लिए मध्य पूर्व में रेल नेटवर्क बिछाकर भारत, मध्य पूर्व और यूरोप को रेल एवं बंदरगाह नेटवर्क के जरिए जोड़ा जाना है।

आर्थिक गलियारा भी झटका : भारत चीन को कूटनीतिक मोर्चे पर चौतरफा झटका देने में कामयाब रहा। सबसे बड़ा झटका बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (बीआरआई) के जवाब के रूप में भारत-मध्यपूर्व एशियरा-यूरोप आर्थिक गलियारा (आईएमईसी) से मिला। ब्रिक्स के विस्तार के जरिए ग्लोबल साउथ में सबसे बड़ा खिलाड़ी बनने की कोशिशों को झटका जी-20 में अफ्रीकी यूनियन (एयू) के प्रवेश से लगा।

रूस को भी कड़ा संदेश  
आईएमईसी परियोजना और साझा घोषणापत्र के जरिए भारत ने चीन के पिछलग्गू बने रूस को भी कड़ा संदेश दिया है। हालांकि घोषणापत्र में यूक्रेन युद्ध पर न तो रूस की निंदा की गई है और न ही उसका नाम लिया गया है, मगर बाली घोषणापत्र के इतर इसमें पैराग्राफ जोड़े गए हैं। भारत ने दूसरे देशों की अखंडता-संप्रभुता का सम्मान करने की पंक्ति जोड़ कर चीन के साथ रूस को भी विस्तारवादी एजेंडे पर नसीहत दी।

सीतारमण ने चीन के वित्त मंत्री से कई मुद्दों पर की चर्चा
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने रविवार को चीन के अपने समकक्ष लियू कुन से मुलाकात कर जी-20 से जुड़े मुद्दों पर विचार साझा किए। वित्त मंत्रालय ने सोशल नेटवर्किंग मंच एक्स पर कहा, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने नई दिल्ली में जी-20 शिखर सम्मेलन के बीच चीन के वित्त मंत्री लियू कुन से मुलाकात की। उन्होंने जी-20 से संबंधित विभिन्न मुद्दों पर विचार साझा किए। चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने जी-20 शिखर सम्मेलन में भाग नहीं लेने का निर्णय लिया था।

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