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आंदोलन के प्रतिनिधिमंडल ने एकनाथ शिंदे से की मुलाकात, सीएम ने कहा- सकारात्मक चर्चा हुई

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मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, प्रदर्शनकारियों का एक प्रतिनिधिमंडल सीएम के साथ बैठक करने के लिए जालना से मुंबई आया था। बैठक के बाद सीएम शिंदे ने कहा कि सकारात्मक चर्चा हुई।

महाराष्ट्र में एक बार फिर मराठा आरक्षण आंदोलन ने जोर पकड़ लिया है। वे मराठा लोगों के लिए आरक्षण की मांग कर रहे हैं। इस बीच शुक्रवार को आंदोलन कर रहे प्रदर्शनकारियों के एक प्रतिनिधिमंडल ने शुक्रवार को सीएम एकनाथ शिंदे से मुंबई में मुलाकात की। सीएम शिंदे ने बैठक के बाद कहा कि सकारात्मक चर्चा हुई है।

प्रतिनिधिमंडल के साथ करेंगे चर्चा
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, प्रदर्शनकारियों का एक प्रतिनिधिमंडल सीएम के साथ बैठक करने के लिए जालना से मुंबई आया था। बैठक के बाद सीएम शिंदे ने कहा कि मराठा आंदोलन के नेता मनोज जारांगे पाटिल ने एक प्रतिनिधिमंडल को भेजा था, जिनके साथ सकारात्मक चर्चा हुई। अब यही प्रतिनिधिमंडल जारांगे के साथ चर्चा करेगा। हमें उम्मीद है कि चर्चा का फल मिलेगा और एक रास्ता निकल जाएगा।

 

कार्यक्रम में यह अतिथि शामिल
बैठक के दौरान उपमुख्यमंत्री देवेन्द्र फड़नवीस, मध्य रेल राज्य मंत्री रावसाहेब दानवे, राजस्व मंत्री राधाकृष्ण विखे पाटिल, ग्रामीण विकास मंत्री गिरीश महाजन, विधायक भरत गोगवले, पूर्व विधायक अर्जुन खोतकर, अन्नासाहेब आर्थिक विकास महामंडल के अध्यक्ष नरेंद्र पाटिल, महाधिवक्ता डॉ. बीरेंद्र सराफ, बैठक के दौरान मुख्य सचिव मनोज सौनिक सहित विभिन्न विभागों के अपर मुख्य सचिव, प्रमुख सचिव, सचिव उपस्थित थे।

मराठा आरक्षण पर अभी क्या हो रहा है? 
मनोज जरांगे के नेतृत्व में आंदोलनकारी 29 अगस्त से जालना जिले में मराठा समुदाय के लिए आरक्षण की मांग को लेकर भूख हड़ताल कर रहे थे। स्थिति तब बिगड़ी जब डॉक्टरों की सलाह पर पुलिस ने जरांगे को अस्पताल में भर्ती कराने की कोशिश की। लेकिन उन्होंने मना कर दिया।

इसके बाद, एक सितंबर को आंदोलन हिंसक हो गया। अंबाड तहसील में धुले-सोलापुर रोड पर अंतरवाली सराटी गांव में हिंसक भीड़ को तितर-बितर करने के लिए पुलिस ने लाठीचार्ज किया और आंसू गैस के गोले छोड़े थे। पुलिस ने घटना को लेकर कई लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया है। पुलिस ने हिंसा में शामिल 16 प्रदर्शनकारियों की पहचान की है। करीब 350 अन्य लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है। हिंसा के बाद भी आंदोलनकारी अपनी मांग पर अड़े हैं। उनका कहना है कि जब तक सरकार समुदाय को आरक्षण नहीं देती तब तक वे आंदोलन जारी रखेंगे।

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