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रूस-यूक्रेन युद्ध के संदर्भ में बढ़ गई है इस शिखर सम्मेलन की अहमियत; साझा बयान पर फंस सकता है पेच

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वैश्विक आयोजन में रूस-यूक्रेन युद्ध का मुद्दा छाया रहेगा। यूरोपियन यूनियन से लेकर अमेरिका तक कई देश रूस के खिलाफ आम सहमति बनाने का प्रयास कर रहे हैं।

भारत नौ-10 सितंबर को जी20 शिखर सम्मलेन की मेजबानी कर रहा है। नई दिल्ली में आयोजित यह सम्मेलन बेहद खास माना जा रहा है। यूक्रेन पर रूस के हमले के बाद से जहां पश्चिमी देश एकजुट होकर पुतिन के खिलाफ कार्रवाई कर रहे हैं और युद्ध की समाप्ति के लिए दबाव बनाने की कोशिश कर रहे हैं। ऐसे में इस वैश्विक आयोजन में रूस-यूक्रेन युद्ध का मुद्दा छाया रहेगा। यूरोपियन यूनियन से लेकर अमेरिका तक कई देश रूस के खिलाफ आम सहमति बनाने का प्रयास कर रहे हैं। रूस-यूक्रेन युद्ध के अलावा, भारत जलवायु परिवर्तन और आर्थिक मुद्दों पर सार्थक पहल के लिए एकराय बनाने की कोशिश में है।भारत पहली बार इस बैठक का मेजबान है और राजधानी नई दिल्ली फूलों-फव्वारों से सजी हुई है। सुरक्षा के लिए 1.30 लाख पुलिसकर्मी और अर्धसैनिक बल तैनात किए गए हैं। एंटी-ड्रोन प्रणालियां लगाई गई हैं। दुनिया की 80 फीसदी से ज्यादा जीडीपी पर नियंत्रण वाले देशों के प्रमुखों के विमर्श से कूटनीतिक के साथ ही आर्थिक और विकास के मुद्दों पर वैश्विक सहयोग की नई राह खुलेगी।

1999 में गठन
एशियाई वित्तीय संकट के बाद आर्थिक समूह के रूप में यह समूह बनाया गया। सोच थी कि वित्तीय संकट को किसी देश की सीमा के भीतर सीमित नहीं रखा जा सकता। ऐसे हालात से उबरने के लिए बेहतर अंतरराष्ट्रीय आर्थिक सहयोग की जरूरत है। इसमें भारत, अर्जेंटीना, ऑस्ट्रेलिया, ब्राजील, कनाडा, चीन, फ्रांस, जर्मनी, इंडोनेशिया, इटली, जापान, दक्षिण कोरिया, मैक्सिको, रूस, सऊदी अरब, दक्षिण अफ्रीका, तुर्की, यूनाइटेड किंगडम, अमेरिका और यूरोपीय संघ शामिल हैं।

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