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पीएम-किसान योजना को लागू करने में अरुणाचल सरकार की कई कमियां आई सामने, कैग ने लगाई फटकार

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भारत के नियंत्रक और महालेखा परीक्षक (कैग) के सामने पूर्वोत्तर राज्य में प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना को लागू करने को लेकर कई कमियां सामने आई है।

CAG raps Arunachal for deficiencies in implementing PM Kisan yojana

भारत के नियंत्रक और महालेखा परीक्षक (कैग) के सामने पूर्वोत्तर राज्य में प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना को लागू करने को लेकर कई कमियां सामने आई है। इसको लेकर कैग ने अरुणाचल प्रदेश सरकार को फटकार लगाई है और उसकी आलोचना की है। सीएजी ने हाल ही में विधानसभा में पेश की गई अपनी रिपोर्ट में राज्य में केंद्रीय योजना को लागू करते समय कई विसंगतियों के बारे में भी बताया।

फरवरी 2019 में शुरू की गई थी पीएम-किसान योजना 
केंद्र सरकार द्वारा प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना फरवरी 2019 में शुरू की गई थी और इसका उद्देश्य किसानों के लिए आय सहायता और जोखिम शमन प्रदान करना था। योजना के तहत, पात्र किसानों को कृषि और संबद्ध गतिविधियों के साथ-साथ घरेलू जरूरतों से संबंधित खर्चों को पूरा करने के लिए आय सहायता मिलती है। शत-प्रतिशत केंद्रीय वित्त पोषण वाली यह योजना प्रत्यक्ष लाभ अंतरण (डीबीटी) मोड के तहत संचालित होती है। योजना के तहत, देश भर के सभी पात्र किसानों को तीन समान किस्तों में प्रति वर्ष 6000 रुपये की आय सहायता प्रदान की जाती है।

 

पात्रता के लिए कोई ठोस तंत्र भी नहीं था मौजूद
कैग ने रिपोर्ट में आगे कहा है कि राज्य में “स्व-पंजीकरण प्रक्रिया को ठीक से लागू नहीं किया गया” जिसके कारण अनुचित अस्वीकृति हुई और 90 फीसदी पंजीकरण प्रयास सत्यापन के लिए लंबित रहे। सीएजी ने अपनी रिपोर्ट में आरोप लगाया कि राज्य में विकसित दिशानिर्देशों के अनुसार लाभार्थियों की पहचान के लिए कोई विधिवत अनुमोदित वैकल्पिक तंत्र नहीं था, जिससे योजना के उचित कार्यान्वयन में बाधा आ रही थी। पात्रता के लिए कोई ठोस तंत्र भी नहीं था।

रिपोर्ट में कहा गया है कि उपयुक्त अधिकारियों के सत्यापन के बिना कुल 373 लाभार्थियों को पंजीकृत किया गया था और 28.22 लाख रुपये का लाभ पहले ही असत्यापित लाभार्थियों को दिया जा चुका है। कुल 46.98 लाख रुपये का लाभ 572 अयोग्य लाभार्थियों को दिया गया है।

इसमें कहा गया है कि सार्वजनिक वित्तीय प्रबंधन प्रणाली (पीएफएमएस) से जुड़े योजना खातों से 95 लाख रुपये का अतिरिक्त वितरण हुआ था, जिसके लिए राज्य नोडल विभाग उचित नहीं ठहरा सका। रिपोर्ट में कहा गया है कि राज्य परियोजना निगरानी इकाई ने कोई गतिविधि नहीं की और योजना के दिशानिर्देशों के अनुसार किए जाने वाले ‘पांच फीसदी भौतिक सत्यापन’ के कवरेज में भारी कमी है।

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