यूरोपीय संघ के एक अधिकारी ने बुधवार को कहा कि पश्चिम और रूस-चीन गठबंधन के बीच मतभेदों के कारण भारत को आम सहमति बनाने में कठिनाई का सामना करना पड़ रहा है।
नई दिल्ली में नौ और 10 सितंबर को जी20 शिखर सम्मलेन का आयोजन किया जा रहा है। सम्मलेन से पहले यूरोपीय संघ के एक अधिकारी का कहना है कि यूक्रेन संकट यूरोपीय संघ के लिए प्राथमिकता है। इस वजह से रूस और चीन अब अलग-थलग पड़ रहे हैं। भारत जी20 नेताओं के बीच संकट पर आम सहमति बनाने की कोशिश कर रहा है।
मसौदे को अंतिम रूप दे रहे हैं जी20 शेरपा
यूरोपीय संघ के एक अधिकारी ने बुधवार को कहा कि पश्चिम और रूस-चीन गठबंधन के बीच मतभेदों के कारण भारत को आम सहमति बनाने में कठिनाई का सामना करना पड़ रहा है। पिछले साल बाली में रूस और चीन ने यूक्रेन संकट पर दो पैराग्राफ पर सहमति जताई थी लेकिन इस बार वे इससे पीछे हट गए। जी20 शेरपा फिलहाल जी20 नेताओं की घोषणा के मसौदे को अंतिम रूप देने के लिए बात कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि भारत ने फिलहाल जो पाठ पेश किया था, वह जी7 और ईयू के लिए पर्याप्त नहीं है।
रूसी पक्ष को किया खारिज
संघ के अधिकारी का कहना है कि कि चीन-रूस यूक्रेन संकट पर जी7 की तुलना में अधिक अलग-थलग हो गए हैं। दोनों सामान्य सिद्धांतों पर सहमत हुए हैं कि राज्य एक दूसरे पर न हमला करेंगे और न ही धमकियों का सहारा लेंगे। यूरोपीय संघ के अधिकारी ने रूस के उस बयान को खारिज कर दिया, जिसमें उसने कहा कि जी20 आर्थिक मंच है और यहां भूराजनीतिक मुद्दों पर चर्चा नहीं की जानी चाहिए।
एक दिन पहले, अमेरिका के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जैक सुलिवन ने व्हाइट हाउस में मीडिया को संबोधित करते हुए कहा था कि भारत, अमेरिका और जी20 के अन्य सदस्य भू-रानीतिक सवालों पर चीन को अलग रखेंगे। सब कुछ चीन पर निर्भर करता है, अगर वह कार्यक्रम में आना चाहे तो वह आ सकता है और बिगाड़ने वाले की भूमिका निभाना चाहते है तो उसके लिए यह विकल्प उपलब्ध है। सुलिवन ने आगे कहा कि अमेरिका सहित जी20 सम्मेलन के अन्य सदस्य जलवायु, बहुपक्षीय विकास, बैंक सुधार, ऋण राहत, प्रौद्योगिकी पर ध्यान केंद्रित करेंगे। सम्मेलन में भू-राजनीतिक सवालों को अलग रखकर वास्तव समस्या और उसके समाधान पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए।
राष्ट्रपति बाइडन ने जताई थी निराशा
राष्ट्रपति जो बाइडन ने रविवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान पुष्टि की थी कि वे शिखर सम्मेलन में शामिल होने के लिए भारत जा रहे हैं। यहां उन्होंने चीनी राष्ट्रपति के भारत न आने पर निराशा जताई थी। बाइडन ने कहा था कि चीनी राष्ट्रपति जिनपिंग नई दिल्ली नहीं आ रहे हैं, इसलिए वह निराश हैं। बता दें, बाइडन और जिनपिंग की आखिरी मुलाकात नवंबर 2022 में हुई थी।
जी20 शिखर सम्मेलन के लिए भारत आएंगे यह देश
अमेरिका के राष्ट्रपति जो बिडेन, फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रोन, ऑस्ट्रेलियाई प्रधान मंत्री एंथनी अल्बनीस, जर्मन चांसलर ओलाफ स्कोल्ज़, ब्रिटेन के प्रधान मंत्री ऋषि सुनक, जापानी प्रधान मंत्री फुमियो किशिदा, कनाडाई प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो, इंडोनेशियाई राष्ट्रपति जोको विडोडो, सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान और ब्राजील के राष्ट्रपति लुइज इनासियो लूला दा सिल्वा सहित अधिकांश जी20 नेताओं ने पहले ही शिखर सम्मेलन में अपनी भागीदारी की पुष्टि कर दी है।
जी20 में इतने राष्ट्र शामिल
जी20 समूह में अर्जेंटीना, ऑस्ट्रेलिया, ब्राजील, कनाडा, चीन, फ्रांस, जर्मनी, भारत, इंडोनेशिया, इटली, जापान, कोरिया गणराज्य, मैक्सिको, रूस, सऊदी अरब, दक्षिण अफ्रीका, तुर्की, यूके, अमेरिका और यूरोपीय संघ शामिल हैं।