जयराम रमेश ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर लिखा, इसरो की सफलता के पीछे की जिस मुख्य वजह को नहीं पहचाना जा रहा है, वह यह है कि नेहरू ने पहले दिन से ही आत्मनिर्भरता पर जोर दिया था, जबकि दिल्ली में कुछ आवाजें अधिक अमेरिकी भागीदारी की वकालत कर रही थीं। कुछ ऐसे भी लोग थे, जो तत्कालीन सोवियत संघ के साथ घनिष्ठ सहयोग की बात कर रहे थे।
भारत के ‘मिशन मून’ चंद्रयान-3 की सफल लैंडिंग के साथ ही इसरो ने दुनिया में अपना कीर्तिमान स्थापित कर दिया है। वहीं, देश में इसका श्रेय लेने को लेकर राजनीतिक शुरू हो गई है। कांग्रेस ने शनिवार को कहा कि देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू की अंतरिक्ष क्षेत्र में भारत को आत्मनिर्भर बनाने की सोच और आलोचनाओं के बावजूद दुनिया की बड़ी शक्तियों से सहयोग नहीं लेने के उनके फैसले के कारण अंतरिक्ष अन्वेषण में इतने अच्छे परिणाम मिल रहे हैं।
रमेश ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर लिखा, इसरो की सफलता के पीछे की जिस मुख्य वजह को नहीं पहचाना जा रहा है, वह यह है कि नेहरू ने पहले दिन से ही आत्मनिर्भरता पर जोर दिया था, जबकि दिल्ली में कुछ आवाजें अधिक अमेरिकी भागीदारी की वकालत कर रही थीं। कुछ ऐसे भी लोग थे, जो तत्कालीन सोवियत संघ के साथ घनिष्ठ सहयोग की बात कर रहे थे।
उन्होंने कहा, नेहरू युग में विज्ञान और प्रौद्योगिकी के लिए मजबूत नींव रखी गई और विशाल बुनियादी ढांचे का निर्माण हुआ। ऐसा उन तीखी आलोचनाओं के बावजूद किया गया, जिनमें कहा जाता था कि एक बेहद गरीब देश होने के कारण भारत इस तरह के निवेश के लिए समर्थ नहीं हो सकता है। रमेश ने कहा, बावजूद इसके यह एक आत्मनिर्भर और वैज्ञानिक रूप से उन्नत राष्ट्र का दृष्टिकोण ही है, जो आज भरपूर लाभ दे रहा है।