ज्योतिरादित्य सिंधिया के भाजपा में आने के बाद गठित मंत्रिमंडल को लेकर पूर्व सीएम उमा भारती कई बार कह चुकी थीं कि मंत्रिमंडल में जातीय संतुलन नहीं है। उमा के इस बयान के पीछे की वजह यह थी कि मंत्रिमंडल में लोधी समाज का एक भी मंत्री नहीं था, जबकि पिछली भाजपा की सरकारों में कुसुम महदेले और जालम सिंह पटेल मंत्री थे। 2014 में बनी केंद्र में मोदी सरकार में पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती केंद्रीय कैबिनेट में शामिल थीं।
मध्यप्रदेश में विधानसभा चुनाव से करीब दो माह पहले शनिवार को शिवराज मंत्रिमंडल में तीन नए मंत्रियों को शामिल किया गया है। राज्यपाल मंगू भाई पटेल ने तीनों मंत्रियों को राजभवन में शपथ दिलवाई। इन तीनों मंत्रियों में महाकौशल से गौरीशंकर बिसेन, विंध्य से राजेंद्र शुक्ला और बुंदेलखंड से पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती के भतीजे राहुल लोधी शामिल है। बिसेन और शुक्ला को कैबिनेट मंत्री, जबकि लोधी को राज्यमंत्री बनाया गया है। शिवराज कैबिनेट में अब 33 मंत्री हो गए हैं। अभी भी 1 पद खाली है। विधानसभा चुनाव से पहले केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह कई बार प्रदेश का दौरा कर चुके हैं। शाह के दौरे पर ही वरिष्ठ नेताओं की नाराजगी का मुद्दा उठाया गया था। इसके बाद कैबिनेट विस्तार को हरी झंडी दी गई थी।
प्रदेश के मालवा क्षेत्र से आने वाले एक वरिष्ठ विधायक अमर उजाला से बातचीत में कहते है कि, प्रदेश में आचार संहिता लगने में महज 50 दिन का समय बचा हुआ हैं। सारे विधायक और मंत्री यह मान चुके थे कि अब कोई विस्तार नहीं होगा। यहीं नहीं गृहमंत्री अमित शाह भी बैठक में इसके संकेत दे चुके थे कि संगठन और सत्ता में कोई परिवर्तन नहीं होगा। लेकिन क्षेत्रीय और जातिगत संतुलन को साधने के लिए भाजपा ने मंत्रिमंडल विस्तार किया। जिन्हें मंत्रिमंडल में शामिल किया गया है उनका क्षेत्र में प्रभाव भी है।साथ ही वे जातिगत समीकरण में बिल्कुल फिट बैठते है। बावजूद इसके यह विस्तार पार्टी के लिए घाटे का सौदा साबित हो सकता है। क्योंकि प्रदेश में फिलहाल एक अनार और सौ बीमार जैसी सी स्थिति है।
नए मंत्रियों पर बढ़ेगा दबाव
प्रदेश में अक्टूबर के पहले हफ्ते में आचार संहिता लग सकती है। इसलिए नए मंत्रियों को मंत्रालय संभालने और काम करने के लिए महज डेढ़ माह का ही समय मिलेगा। ऐसे में उन्हें अपने क्षेत्र के लोगों के कामों और उनकी अपेक्षाओं पर खरा उतरने के लिए बहुत कम समय है। इन डेढ़ माह में मंत्रियों पर अपने पद के दायित्वों को पूरा करने का दबाव लगातार बना रहेगा। इस दौरान लोगों के काम नहीं हुए तो उन्हें चुनाव में इसकी खामियाजा भी भुगतना पड़ सकता है।
इन लोगों को बनाया गया है मंत्री
- विंध्य से पूर्व मंत्री और रीवा विधायक राजेंद्र शुक्ल फिर से मंत्री बनाए गए है। शुक्ला विंध्य में पार्टी का बड़ा ब्राह्मण चेहरा हैं। पार्टी को आगामी विधानसभा चुनाव में विंध्य में कांग्रेस से कांटे की टक्कर मिलती दिख रही है। आम आदमी पार्टी भी कड़ी टक्कर दे रही है। सिंगरौली महापौर सीट पार्टी के हाथ से निकल गई। इसे क्षेत्र में पार्टी के प्रति नाराजगी के रूप में देखा जा रहा है। सर्वे रिपोर्ट में भी पार्टी की स्थिति ठीक नहीं है। ऐसे में अब शुक्ल को मंत्री बनाकर पार्टी क्षेत्र की जनता को साधने की कोशिश में है।
- पूर्व मंत्री और विधायक गौरीशंकर बिसेन अन्य पिछड़ा वर्ग से आते हैं। अभी वे मध्य प्रदेश पिछड़ा वर्ग आयोग के अध्यक्ष भी हैं। गौरीशंकर बिसेन ने सात बार विधायक और लोकसभा का चुनाव जीता है। महाकौशल में बड़ी संख्या में ओबीसी वोटर हैं। बिसेन को मंत्री बनाकर ओबीसी वर्ग को साधने की रणनीति बनाई जा रही है।
- राहुल सिंह लोधी एक बार के विधायक हैं। वह 2018 में खरगापुर विधानसभा क्षेत्र से चुनाव जीते। राहुल पूर्व सीएम उमा भारती के भतीजे हैं। बुंदेलखंड और ग्वालियर चंबल में बड़ी संख्या में लोधी वोटर हैं। राहुल लोधी को मंत्री बनाकर भाजपा बुंदेलखंड के साथ ही ओबीसी वोटर को साध रही है।