मौलाना अरशद मदनी ने कहा कि मॉब लिंचिंग किसी समुदाय विशेष का मुद्दा नहीं है, यह राजनीतिक मुद्दा है। इसलिए सभी राजनीतिक दल, जो खासकर खुद को धर्मनिर्पेक्ष कहते हैं, उन्हें इसके खिलाफ कानून बनाना चाहिए। यह सिर्फ निंदा करने के लिए नहीं है।
मुस्लिम संगठन जमीयत उलेमा-ए-हिंद का प्रतिनिधिमंडल राजस्थान के वसीम खान के घर का दौरा किया। प्रतिनिधिमंडल ने मृतक के परिजनों से मुलाकात की और अपनी संवेदनाएं व्यक्त की। उन्होंने कहा कि खुद को धर्मनिर्पेक्ष बताने वाले राजनीतिक दलों को मॉब लिंचिंग के खिलाफ कानून बनाना चाहिए।
यह राजनीति का मुद्दा है
जमीयत उलेमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी ने वसीम के परिजनों के प्रति संवेदना जाहिर की। उन्होंने कहा कि वसीम के अनाथ बच्चों के पढ़ाई-लिखाई की जिम्मेदारी जमीयत की होगी। उनका कहना है कि मौत के जिम्मेदारों के खिलाफ कार्रवाई होनी चाहिए और उन्हें न्याय के कटघरें में खड़ा करना चाहिए। उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के सख्त निर्देशों के बाद भी यह क्रूरता कम होने का नाम नहीं ले रही है। मॉब लिंचिंग किसी समुदाय विशेष का मुद्दा नहीं है, यह राजनीतिक मुद्दा है। इसलिए सभी राजनीतिक दल, जो खासकर खुद को धर्मनिर्पेक्ष कहते हैं, उन्हें इसके खिलाफ कानून बनाना चाहिए। यह सिर्फ निंदा करने के लिए नहीं है।
अब जानिए क्या है पूरा मामला
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, वसीम के परिजनों का आरोप है कि वन विभाग कर्मियों ने गुरुवार को नारोल गांव में वसीम सहित तीन लोगों की पिटाई की थी, जिससे उसकी मौत हो गई। कोटपूतली-बहरोड़ एसपी रंजीता शर्मा का कहना है कि शरीर पर लगी चोटों के कारण देखकर लगता है कि यह मॉब लिंचिंग नहीं है।