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सहयोगी पार्टियों को भी कमजोर प्रत्याशी नहीं उतारने देगी BJP; साथियों से लेगी पूरी जानकारी

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चिराग पासवान और उनके चाचा पुशपति पारस के बीच टकराव का कारण बनी हाजीपुर सीट पर अंतिम फैसला भाजपा नेतृत्व का होगा। पार्टी नेतृत्व ने दोनों धड़े को इस आशय की जानकारी दे दी है। दोनों धड़ों ने इस पर सहमति दी है। पार्टी सूत्र ने कहा कि बिहार में उपेंद्र कुशवाहा, जीतन राम मांझी के आने से भी कुछ सीटों पर समस्या है। इन सीटों पर भी भाजपा नेतृत्व का फैसला ही अंतिम होगा।

आगामी लोकसभा चुनाव में जीत की हैट्रिक लगाने के लिए भाजपा फूंक-फूंक कर कदम उठा रही है। राजग में एकजुटता कायम रखने और सभी सीटों पर मजबूत उम्मीदवार उतारने, सीट विशेष पर सहयोगियों के बीच टकराव टालने के लिए पार्टी ने ठोस रणनीति तय की है। पार्टी चाहती है उसके हिस्से की सीटों पर सहयोगी भी मजबूत उम्मीदवार उतारें। इसके लिए पार्टी सहयोगियों के हिस्से में आने वाली सीटों से संबंधित उम्मीदवारों की भी जानकारी लेगी।

चुनावी रणनीति से जुड़े पार्टी के वरिष्ठ नेता के मुताबिक, पार्टी देश की सभी 543 सीटों का कई स्तर पर फीडबैक ले रही है।  उक्त नेता के मुताबिक, पार्टी सहयोगी दल को उम्मीदवारों के चयन में सहयोग करेगी। उन्हें बताएगी कि उनके हिस्से की सीट पर किस पृष्ठभूमि का उम्मीदवार होना चाहिए। सहयोगियों की टकराव वाली सीटों पर अंतिम निर्णय भाजपा नेतृत्व का होगा। आगामी चुनाव में भाजपा के करीब 10 सहयोगी मैदान में होंगे। इनमें महाराष्ट्र व बिहार में सीटों की गुत्थी सुलझना कठिन है। इन राज्यों में कई सीटें ऐसी हैं, जिन पर दो-दो दलों ने दावा जताया है। खासतौर से बिहार में लोजपा और लोजपा रामविलास में सीटों के बंटवारे पर पेच फंसा है, जबकि महाराष्ट्र में एक दर्जन सीटों पर एनसीपी (अजित पवार) और शिवसेना (शिंदे) के बीच उलझन की स्थिति है। ऐसी सीटों पर टकराव टालने के लिए भाजपा नेतृत्व का फैसला अंतिम होगा।

हाजीपुर का मामला भाजपा के हवाले
चिराग पासवान और उनके चाचा पुशपति पारस के बीच टकराव का कारण बनी हाजीपुर सीट पर अंतिम फैसला भाजपा नेतृत्व का होगा। पार्टी नेतृत्व ने दोनों धड़े को इस आशय की जानकारी दे दी है। दोनों धड़ों ने इस पर सहमति दी है। पार्टी सूत्र ने कहा कि बिहार में उपेंद्र कुशवाहा, जीतन राम मांझी के आने से भी कुछ सीटों पर समस्या है। इन सीटों पर भी भाजपा नेतृत्व का फैसला ही अंतिम होगा।

ढाई दर्जन सहयोगियों के लिए भी रणनीति
राजग में इस समय 39 दल हैं। इनमें से करीब 10 दल ही लोकसभा चुनाव लड़ेंगे। करीब ढाई दर्जन ऐसे दल जो लोकसभा चुनाव नहीं लड़ेंगे, उन्हें अभी से विधानसभा, विधान परिषद या किसी अन्य पद दिए जाने के बारे में आश्वस्त कर दिया जाएगा। दरअसल, ये दल और छोटे समूहों का क्षेत्र विशेष में व्यापक प्रभाव है। ऐसे में भाजपा इन्हें साधे रखना चाहती है।

एक सुर में बोलेंगे सभी सहयोगी
भाजपा की रणनीति है कि लोकसभा चुनाव में सभी दल विभिन्न मुद्दों पर एकसुर में बोलें। इस क्रम में 11 अगस्त को राजग के प्रवक्ताओं की कार्यशाला का आयोजन किया गया था। पार्टी सूत्रों का कहना है कि गांव, गरीब, विकास, केंद्रीय योजना, प्रधानमंत्री का व्यक्तित्व और लोकप्रियता ऐसे मुद्दे हैं, जिन्हें आगे कर चुनाव लड़ने पर राजग में आम सहमति है। चुनाव से छह महीने पहले ही केंद्रीय और राज्य स्तर पर भाजपा सहयोगी दलों के प्रवक्ताओं को भी एकसुर में बोलने के लिए प्रशिक्षित करेगी।

पीएम मोदी को कन्याकुमारी से उतारने पर भी चर्चा 
पार्टी की रणनीति प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सहारे दक्षिण भारत में भाजपा के पक्ष में हवा बनाने की है। इस क्रम में प्रधानमंत्री को कन्याकुमारी से चुनाव मैदान में उतारने के विकल्प पर भी गंभीर चर्चा हो रही है।

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