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सपनों के घर को सुरक्षित रखने में महत्वपूर्ण है होम इंश्योरेंस, ऐसे करें दावे की शुरुआत

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हमारे घर से हमारी गहरी भावनाएं जुड़ी होती हैं। हमारे जीवन में घर के महत्व को देखते हुए यह महत्वपूर्ण हो जाता है कि अपने आशियाने को सुरक्षित रखें। ऐसे में गृह बीमा किसी भी घर को सुरक्षित रखने में मदद करता है।

हमारा घर कई कारणों से हमारे लिए बेशकीमती होता है। आर्थिक पहलू को छोड़ भी दें तो हमारे घर से हमारी गहरी भावनाएं जुड़ी होती हैं। हमारे जीवन में घर के महत्व को देखते हुए यह महत्वपूर्ण हो जाता है कि अपने आशियाने को सुरक्षित रखें। ऐसे में गृह बीमा किसी भी घर को सुरक्षित रखने में मदद करता है। एक बीमा कवर घर को प्राकृतिक आपदाओं, चोरी और सेंधमारी, आग और अन्य खतरों से बचाने में मदद करता है।

ऐसे करें दावे की शुरुआत…
गृह बीमा के दावे की शुरुआत में  बीमा कंपनी को ईमेल, कॉल या मोबाइल एप के माध्यम से घटना को बताना होता है। पॉलिसी खरीद में बीमा सलाहकार से सहायता ली गई है तो उनसे भी संपर्क करें। बीमा कंपनी को पॉलिसी संख्या भी अवश्य बताएं।
घरेलू उपकरणों के टूटने को भी करता है कवर
घर के बीमा की पॉलिसी आकस्मिक क्षति के कारण घरेलू उपकरणों के टूटने को भी कवर करती है। अपने फ्लैट, बिल्डिंग या विला का बीमा करा सकते हैं। होम इंश्योरेंस से यह सुनिश्चित होता है कि घर को किसी घटना से हानि होती है तो अपनी मेहनत की सारी कमाई खोए बिना उस आपात स्थिति से निपटने में सक्षम होंगे। ऐसे में दावे की प्रक्रिया यहाँ सबसे महत्वपूर्ण पहलू बन जाता है।

कागजात जमा करें  
नुकसान की तस्वीरें या वीडियो जुटा लें, क्योंकि यह सहायक कागजात के रूप में काम करेगा। तोड़ फोड़, डकैती, या ऐसी किसी मानव निर्मित आपदा क्षति के मामले में स्थानीय पुलिस स्टेशन में एफआईआर दर्ज करें। इसे भी दावे के फॉर्म के साथ जमा करना होगा। बाढ़, तूफान या किसी अन्य प्राकृतिक आपदा की स्थिति में भारत मौसम विज्ञान विभाग की रिपोर्ट, घटना पर मीडिया रिपोर्ट/पेपर कटिंग भी दावे के समय काम आएंगी।

दावे के फॉर्म का महत्व 
दावे के निपटान के लिए विधिवत भरा हुआ फॉर्म बहुत मायने रखता है। फॉर्म स्पष्ट रूप से भरें और विवरण सटीक बताएं। घर के अंदर रखे सामान के नुकसान की सूची दें। सब कुछ सही हो, इसके लिए फॉर्म को दोबारा जांचें। सभी सहायक कागजात संलग्न करें। पॉलिसी के तहत विकल्प चुना गया है तो ऐड-ऑन कवर का भी उल्लेख करें। इसमें आकस्मिक क्षति, किराए की हानि, या वैकल्पिक आवास के लिए किराया आदि।

सर्वेक्षक की होती है महत्वपूर्ण भूमिका
सर्वेक्षक आपसे खरीद बिल, विभिन्न इलेक्ट्रॉनिक सामानों के मरम्मत बिल आदि जैसे दस्तावेजों के लिए पूछ सकते हैं। सर्वेक्षक फिर बीमा कंपनी को मूल्यांकन रिपोर्ट देगा। पॉलिसी के नियम और शर्तों के अनुसार अंतिम दावा रकम तय होगी।

एक लाख रुपये से कम के दावे के मामले में बीमा कंपनी स्वतंत्र सर्वेक्षक नियुक्त नहीं करती है। यदि दावा एक लाख से अधिक है, तो नुकसान का मूल्यांकन करने के लिए  सर्वेक्षक नियुक्त होगा। सर्वेक्षक एक स्वतंत्र तीसरा पक्ष है जो नुकसान की जांच कर लागत का अनुमान लगाता है।

हमेशा ऐसी बीमा कंपनी को चुनें जिसके दावे-भुगतान की क्षमता और उसका रिकॉर्ड अच्छा हो और जरूरत के समय ग्राहकों के साथ खड़ी हो। आखिरकार, दावा आपकी  संपूर्ण बीमा यात्रा का सबसे आवश्यक पहलू है।

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