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इंटरनेशनल रेंजर फाउंडेशन: रिपोर्ट में खुलासा- भारत में वन संरक्षकों की मौत सबसे अधिक, सुरक्षा संसाधन भी सीमित

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वन कर्मियों के पास बिजली या मोबाइल नेटवर्क तक की पहुंच नहीं है। कुछ जगहों पर इनकी एकमात्र उम्मीद सौर पैनल हैं जो मानसूनी सीजन में मुश्किल से ही काम कर पाते हैं। प्रत्येक वनरक्षक हल्का-फुल्का हथियार लेकर हर दिन औसतन 25 किलोमीटर की दूरी तय करता है।

भारत के वन रेंजर, उनके सहायक और प्रहरी जो तस्करों व हमलावरों से जंगली जानवरों की रक्षा करते हैं, चिंताजनक दर से ड्यूटी के दौरान अपनी जान गवा रहे हैं। विश्व स्तर पर वन संरक्षकों की मौतों की सूची में भारत शीर्ष पर है। इंटरनेशनल रेंजर फाउंडेशन के अनुसार जून 2022 से मई 2023 के दौरान देशभर में ड्यूटी के दौरान 40 से अधिक रेंजर्स मारे गए हैं। अधिकांश मामलों में ऐसे रेंजर मारे गए जिनके पास आत्मरक्षा के लिए पर्याप्त हथियार मौजूद नहीं थेइस विषय का दूसरा पहलू यह है कि जो रेंजर मारे गए उनमें से अधिकतर अपने परिवार का पालन-पोषण करने वाले एक मात्र सदस्य थे। ओडिशा में वन रक्षकों की हालिया मौत देशव्यापी संकट को दर्शाती है। सिमिलिपाल नेशनल पार्क के बारीपदा डिवीजन में कार्यरत वन रक्षक चंद्रकांत की मौत हाथियों को तस्करों के चंगुल से बचाने के प्रयास में हुई। तस्करों का सामना करने के लिए चंद्रकांत के पास पर्याप्त हथियार नहीं थे। इसी तरह शिकारियों के हमलों में पिछले 2 महीनों के दौरान दो और वन गश्ती कर्मचारियों की जान चली गई। अधिकतर नेशनल पार्क और टाइगर रिजर्व के घने जंगलों में यह वनरक्षक अपने परिवारों से दूर जंगल के अंदर कई महीने बिताते हैं।

बगैर हथियारों के कर रहे ड्यूटी  
वन कर्मियों के पास बिजली या मोबाइल नेटवर्क तक की पहुंच नहीं है। कुछ जगहों पर इनकी एकमात्र उम्मीद सौर पैनल हैं जो मानसूनी सीजन में मुश्किल से ही काम कर पाते हैं। प्रत्येक वनरक्षक हल्का-फुल्का हथियार लेकर हर दिन औसतन 25 किलोमीटर की दूरी तय करता है।

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