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रिटर्न का ध्यान रख टैक्स बचत में करें निवेश, नफा-नुकसान का गणित जानने के लिए पढ़ें यह रिपोर्ट

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ईएलएसएस में तीन साल का लॉक इन

आमतौर पर टैक्स बचाने वाले साधन तो बहुतेरे हैं, लेकिन इसके साथ लॉकइन अवधि का भी ध्यान रखा जाता है। बात जब लॉकइन अवधि की आती है तो म्यूचुअल फंड की इक्विटी लिंक्ड सेविंग स्कीम (ईएलएसएस) सबसे पहले आती है। ऐसा इसलिए क्योंकि सबसे कम लॉक इन अवधि इसी साधन की है। अधिकांश टैक्स सेविंग या ईएलएसएस पिछले तीन वर्षों में अपने संबंधित बेंचमार्क को मात देने में विफल रहे। तीन साल का प्रदर्शन महत्वपूर्ण है, क्योंकि ईएलएसएस फंड में तीन साल की अनिवार्य लॉक-इन अवधि होती है।

57 फीसदी का तीन साल में बेंचमार्क से कम फायदा
57 फीसदी म्यूचुअल फंड की ईएलएसएस  योजनाएं तीन साल की अवधि में संबंधित बेंचमार्क को मात देने में विफल रही। 37 ईएलएसएस योजनाओं में से 21 योजनाएं संबंधित बेंचमार्क से कम फायदा दी हैं। केवल 16 योजनाएं ही बेंचमार्क से अधिक मुनाफा देने में सफल रहीं।

बेंचमार्क निफ्टी 500-टोटल रिटर्न इंडेक्स (टीआरआई), एसएंडपी बीएसई 100-टीआरआई, और एसएंडपी बीएसई 500-टीआरआई हैं। इन बेंचमार्क ने समान अवधि में 23.14-24.88 फीसदी रिटर्न दिया।

सालाना 1.5 लाख रुपये का बचा सकते हैं टैक्स…
ईएलएसएस आयकर अधिनियम की धारा 80सी के तहत कर बचाने में मदद करती हैं। इन योजनाओं में निवेश करके निवेशक एक वित्त वर्ष में अधिकतम 1.5 लाख रुपये बचा सकते हैं। म्यूचुअल फंड की इस श्रेणी का एसेट अंडर मैनेजमेंट यानी इस योजना में निवेशकों के निवेश का मूल्य 1.71 लाख करोड़ रुपये है। नई आयकर व्यवस्था के बाद इस श्रेणी ने अपनी कुछ लोकप्रियता खो दी है। ऐसा इसलिए क्योंकि, नई व्यवस्था में कर बचाने के लिए ईएलएसएस जैसे अनिवार्य निवेश की जरूरत नहीं है।

ईएलएसएस में भी रहता है जोखिम
ईएलएसएस फंड शेयरों में निवेश करते हैं और उच्च जोखिम रखते हैं। इसकी तीन साल की लॉक इन अवधि से निवेशकों, विशेषकर नए और अनुभवहीन निवेशकों को इक्विटी बाजारों की प्रकृति और उससे जुड़ी अस्थिरता के बारे में जानने में मदद मिलती है। ऐसे में अगर टैक्स बचत साधनों में निवेश करना चाहते हैं तो जरूर देखें कि उसका रिटर्न क्या है। यानी इतना रिटर्न मिल जाए कि आप जो टैक्स बचा रहे हैं, कम से कम उतना रिटर्न तो दे दे।

वित्तीय स्वतंत्रता देने के लिए फ्रीडम एसआईपी
सिस्टैमैटिक इन्वेस्टमेंट प्लान (एसआईपी) एक परखा हुआ वित्तीय साधन है। अब इसमें एक वैकल्पिक सुविधा फ्रीडम एसआईपी भी शामिल हो गई है। यह योजना एक निश्चित अवधि के बाद नकदी प्रवाह के दूसरे साधन के साथ वित्तीय स्वतंत्रता प्राप्त करने में मदद करती है।

मूलतः, फ्रीडम एसआईपी व्यवस्थित निवेश और निकासी का मिश्रण है। कोई भी व्यक्ति न्यूनतम 8 वर्ष के लिए इस साधन में निवेश कर सकता है और इसे वह 30 वर्ष की अवधि तक बढ़ा सकता है।

समय पूरा होने पर इस योजना में जमा फंड आपके तय वित्तीय लक्ष्य के मुताबिक दूसरे फंड में बदल दिया जाता है। यह बदलाव आपके निवेश पर सकारात्मक असर डालता है।

वित्तीय मजबूती के साथ मिलेगा लाभ
धन बनाने की सुविधा के साथ फ्रीडम एसआईपी लाभ पाने में मदद करता है। वित्तीय मजबूत बनाता है। महत्वपूर्ण है कि यह लालच और भय से बचाता है। वित्तीय स्वतंत्रता वाले सभी निवेशक इसे चुन सकते हैं। -मनोज कुमार शर्मा, एमएफडी

आमतौर पर टैक्स बचाने वाले साधन तो बहुतेरे हैं, लेकिन इसके साथ लॉकइन अवधि का भी ध्यान रखा जाता है। बात जब लॉकइन अवधि की आती है तो म्यूचुअल फंड की इक्विटी लिंक्ड सेविंग स्कीम (ईएलएसएस) सबसे पहले आती है। ऐसा इसलिए क्योंकि सबसे कम लॉक इन अवधि इसी साधन की है। अधिकांश टैक्स सेविंग या ईएलएसएस पिछले तीन वर्षों में अपने संबंधित बेंचमार्क को मात देने में विफल रहे। तीन साल का प्रदर्शन महत्वपूर्ण है, क्योंकि ईएलएसएस फंड में तीन साल की अनिवार्य लॉक-इन अवधि होती है।

57 फीसदी का तीन साल में बेंचमार्क से कम फायदा
57 फीसदी म्यूचुअल फंड की ईएलएसएस  योजनाएं तीन साल की अवधि में संबंधित बेंचमार्क को मात देने में विफल रही। 37 ईएलएसएस योजनाओं में से 21 योजनाएं संबंधित बेंचमार्क से कम फायदा दी हैं। केवल 16 योजनाएं ही बेंचमार्क से अधिक मुनाफा देने में सफल रहीं।

बेंचमार्क निफ्टी 500-टोटल रिटर्न इंडेक्स (टीआरआई), एसएंडपी बीएसई 100-टीआरआई, और एसएंडपी बीएसई 500-टीआरआई हैं। इन बेंचमार्क ने समान अवधि में 23.14-24.88 फीसदी रिटर्न दिया।

सालाना 1.5 लाख रुपये का बचा सकते हैं टैक्स…
ईएलएसएस आयकर अधिनियम की धारा 80सी के तहत कर बचाने में मदद करती हैं। इन योजनाओं में निवेश करके निवेशक एक वित्त वर्ष में अधिकतम 1.5 लाख रुपये बचा सकते हैं। म्यूचुअल फंड की इस श्रेणी का एसेट अंडर मैनेजमेंट यानी इस योजना में निवेशकों के निवेश का मूल्य 1.71 लाख करोड़ रुपये है। नई आयकर व्यवस्था के बाद इस श्रेणी ने अपनी कुछ लोकप्रियता खो दी है। ऐसा इसलिए क्योंकि, नई व्यवस्था में कर बचाने के लिए ईएलएसएस जैसे अनिवार्य निवेश की जरूरत नहीं है।

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