दिग्गज रेटिंग एजेंसी मॉर्गन स्टेनली ने उभरते बाजारों की सूची में भारत को अपग्रेड किया है जबकि चीन, ताईवान और ऑस्ट्रेलिया को डाउनग्रेड कर दिया है। दुनिया के बड़े निवेशकों के लिए भारत गंतव्य के तौर पर उभरा है और अब चीन को भी आने वाले दिनों में पीछे छोड़ने की क्षमता रखता है।
एजेंसी का मानना है कि भारत में लंबी तेजी की शुरुआत होने वाली है, जबकि चीन की तेजी खत्म होने के करीब है। मॉर्गन स्टेनली ने भारत की रेटिंग को अपग्रेड कर ओवरवेट कर दिया है। भारत पांच स्थान ऊपर छलांग लगाते हुए उभरते बाजारों की सूची में पहले स्थान पर आ चुका है। भारत का सुधार और मैक्रो-स्थिरता एजेंडा एक मजबूत पूंजी निवेश को मदद कर रहा है।
भारतीय अर्थव्यवस्था भविष्य में बेहतर प्रदर्शन करेगी। भारत की रेटिंग में यह बदलाव ऐसे समय में आया है जब अमेरिका एएए की रेटिंग खो चुका है और चीन की अर्थव्यवस्था में सुस्ती है। मॉर्गन स्टेनली ने कहा, भारत का भविष्य काफी हद तक चीन के अतीत जैसा दिखता है। दशक के अंत में चीन की वृद्धि दर भारत के 6.5% की तुलना में 3.9 फीसदी रहेगी। डेमोग्राफिक रुझान भी भारत के पक्ष में दिख रहा है जबकि चीन में पिछले दशक की शुरुआत से कामकाजी उम्र की आबादी में गिरावट देखी गई है। 31 मार्च को ब्रोकरेज फर्म ने भारत को अंडरवेट से इक्वलवेट में अपग्रेड किया था। इसने चीन के अलावा ताइवान को डाउनग्रेड कर इक्वलवेट कर दिया है।
रेटिंग बढ़ाने के 2 कारण
- भारत में ढांचागत सुधारों का असर अब तेजी से दिखने लगा है
- कॉरपोरेट टैक्स में कटौती और पीएलआई जैसी नीतियों में सुधार
ये दो जोखिम के कारण
- महंगाई का बढ़ना और इसे नियंत्रण में लाने के लिए रेपो रेट में बढ़ोतरी
- भारत के सेवा निर्यात और लेबर फोर्स पर बड़ा असर होना
भारत के ओवरवेट होने का मतलब
किसी बाजार के ओवरवेट का मतलब है कि ये बाजार दूसरों की तुलना में बेहतर प्रदर्शन करेगा। वहीं इक्वलवेट का मतलब है कि दूसरे बाजारों की तरह ही प्रदर्शन करना। अंडरवेट का मतलब है कि बाजार का दूसरों से पिछड़ना।
दिसंबर तक सेंसेक्स 68,500 पहुंच सकता है
मॉर्गन स्टेनली ने कहा, दिसंबर तक सेंसेक्स 68,500 के स्तर तक पहुंच जाएगा। ये लक्ष्य तभी पूरा होगा जब खाने पीने, सोना-चांदी सहित अन्य वस्तुओं (कमोडिटी) में बहुत ज्यादा बढ़ोतरी न हो व अमेरिका में मंदी न आए। अभी सेंसेक्स 65,000 पर है। भारत उभरते बाजारों के बीच शीर्ष रैंक वाला पसंदीदा बाजार है। भारत में घरेलू कर्ज जीडीपी की तुलना में केवल 19% है जबकि चीन में 48% है। हालांकि, केवल 2 फीसदी भारतीय परिवारों के पास जीवन बीमा है।